सरकारी योजनाओं में तीन वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर स्थायी करने का आदेश हवा में
एक तरफ गहलोत सरकार सरकारी योजनाओं में तीन वर्ष तक कार्य करने वालों को स्थाई करने के लिए कार्मिक विभाग से आदेश जारी कर चुकी है, वहीं दूसरी तरफ उन विभागों में खाली पदों पर नई भर्तियां निकालकर खाली पदों को भरने के लिए भी कवायद कर रही है।
मामला है सरकारी आईटीआई संस्थानों में कार्यरत लगभग 1200 अतिथि अनुदेशकों का, जो कई वर्षों से आईटीआई संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
ये अतिथि अनुदेशक कर्मचारी राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही संविदा पर रखने की मांग कर रहे थे और सरकार द्वारा संविदा रूल्स 2022 नियम बनने के बाद उनकी इस प्रक्रिया में शामिल करने की मांग मांग तेज हो गई थी लेकिन इनके ऊपर न तो कभी आईटीआई विभाग ने कभी ध्यान दिया और न ही सरकार की कभी कोई मेहरबानी हुई। सरकार के कई विधायक और मंत्रियों से मिलकर इन लोगों ने अपनी सविंदा में शामिल करने की मांग को खूब जोर जोर से उठाया और जनप्रतिनिधियों ने भी इस संबंध में मुख्यमंत्री को कई पत्र लिखें लेकिन स्थिति जस की तस रही और यह कर्मचारी अतिथि ही बने रहे। इन्हें संविदा रूल्स पर लेने की कोई भी कार्यवाही विभाग और सरकार द्वारा नहीं की गई।
हाल ही में राज्य सरकार द्वारा योजनाओं में तीन वर्ष तक कार्य करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश आने पर इन अतिथि अनुदेशकों में स्थाई होने की उम्मीद जगी थी लेकिन सरकार द्वारा आईटीआई संस्थानों में 2500 कनिष्ठ अनुदेशकों की भर्ती को मंजूरी मिलने के बाद इन अतिथि अनुदेशकों की उम्मीदों पर पानी फिरने लगा है। वित्त विभाग द्वारा मंजूरी मिलने के बाद कनिष्ठ अनुदेशकों के 2500 पदों पर अधीनस्थ बोर्ड भी भर्ती निकलने की तैयारी में है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि गहलोत सरकार जब सरकारी योजनाओं में 3 तीन वर्ष का अनुभव रखने वाले कर्मचारियों को स्थाई करने का आदेश पारित कर चुकी है तो फिर इन सरकारी आईटीआई संस्थानों में कई वर्षों से काम कर रहे अतिथि अनुदेशकों की नौकरी का क्या होगा? क्योंकि नियमित कर्मचारी की भर्ती होने पर इन कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया जाता है। गहलोत सरकार की खोखले दावों के बीच यह अतिथि अनुदेशक ट्विटर पर सरकार का जमकर विरोध करने लगे हैं और सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की तैयारी में जुट गए हैं।
वहीं आईटीआई संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनीस खान का कहना है कि संविदा नियम 2022 में शामिल करने के लिए सरकार से गुहार लगाते-लगाते थक चुके हैं। कई जनप्रतिनिधियों को विज्ञापन दिए और उन्होंने सरकार को पत्र भी लिखा लेकिन राज्य सरकार ने इस पर कभी कोई एक्शन नहीं लिया, सिर्फ आश्वासन ही मिलते रहे। अब सरकार नई भर्ती निकालकर 1200 अतिथि अनुदेशकों को बेरोजगार करने का कदम उठा रही है जबकि सरकार ने 3 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को स्थाई करने में पार्ट टाइम कर्मचारियों भी शामिल किया हुआ है। अब यह गहलोत सरकार दोहरी नीति क्यों अपना रही है। नई भर्ती में अतिथि अनुदेशकों को बोनस अंक भी नहीं दिए जा रहे हैं, इससे हमारी नौकरी खतरे में पड़ गई है। सरकार की इस दोहरी नीति का खुलकर विरोध किया जाएगा।