जयपुर: अक्षय तृतीया (आखातीज), पीपल पूर्णिमा जैसे पर्वों पर बाल विवाहों के आयोजन की संभावनाओं को देखते हुए गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनन्द कुमार ने राज्य के सभी जिला कलेक्टर, एसपी और पुलिस उपायुक्तों को विशेष चौकस रहने तथा सरकारी मशीनरी को सक्रिय रखने के निर्देश दिए हैं।
एसीएस ने इन अधिकारियों को लिखे पत्र में बताया है कि गत वर्षों की भांति बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम एवं तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों/अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों (वृत्ताधिकारियों, थानाधिकारियों, पटवारियों, भू-अभिलेख निरीक्षकों, ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्राम सेवकों, कृषि पयवेक्षकों, महिला एवं बाल विकास के परियोजना अधिकारियों, पर्यवेक्षकों, आगंनबाडी कार्यकर्त्ताओं, महिला सुरक्षा सखी, शिक्षकों, नगर निकाय के कर्मचारियों, जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्यों, सरपंचो तथा वार्ड पंचो) के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार कर आम जन में जनजागृति उत्पन्न करें तथा बाल विवाह रोके जाने के लिए कार्रवाई की जाए।
एसीएस ने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए समाज की मानसिकता एवं सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना आवश्यक है। इसके लिए जिला व ब्लॉक स्तर पर गठित विभिन्न सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाडी कार्यकर्ता, महिला सुरक्षा सखी, साथिन सहयोगिनी के कोर ग्रुप को सक्रिय किया जाये। ऐसे व्यक्ति व समूह जो विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी होते हैं जैसे हलवाई, बैण्ड वाले, पंडित, बाराती, टेंट वाले, ट्रांसपोर्टर इत्यादि से बाल विवाह में सहयोग न करने का आश्वासन ले और उन्हें कानून की जानकारी दी जाए।
जन प्रतिनिधियों व प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ चेतना बैठकों का आयोजन करवाएं। ग्राम सभाओं में सामूहिक रूप से बाल विवाह के दुष्प्रभावों की चर्चा कर रोकथाम की कार्यवाही,बाल विवाह रोकथाम हेतु किशोरियों, महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहों व विभिन्न विभागों के कार्यकर्ता जैसे स्वास्थ्य, वन, कृषि, समाज कल्याण, शिक्षा विभागों इत्यादि के साथ समन्वय बैठक आयोजित कर इन कार्मिकों को बाल विवाह होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना देने हेतु पाबन्द किया जाये। आनन्द कुमार ने बताया कि विवाह निमंत्रण पत्र में वर-वधु के आयु का प्रमाण प्रिन्टिग प्रेस वालो के पास रहे अथवा निमंत्रण पत्र पर वर-वधु की जन्म तारीख प्रिन्ट करवाई जाए।
अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा जैसे अबूझ सावों पर जिला एवं उप खण्ड कार्यालयों में नियंत्रण कक्ष स्थापित किये जायें जो 24 घण्टे क्रियाशील रहें तथा नियंत्रण कक्ष का दूरभाष नं. सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा किया जाए। बाल विवाह की रोकथाम हेतु 181 कॉल सेन्टर पर तथा पुलिस नियंत्रण कक्ष के 100 नम्बर पर कॉल कर कभी भी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है, इसका भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। विद्यालयों में बाल-विवाह के दुष्परिणामों व इससे संबंधित विधिक प्रावधानों की जानकारी दिये जाने हेतु सभी स्कूलों को निर्देशित किया जाये।
सामूहिक चर्चा से मिली जानकारी के आधार पर जहाँ बाल विवाह होने की आशंका हो, समन्वित रूप से कानून द्वारा बाल विवाह को रोका जाये। बाल विवाह की रोकथाम के संबंध में अपने-अपने क्षेत्रों में समुचित कार्रवाई सुनिश्चित करें एवं सूचना प्राप्त होने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत कानूनी कार्यवाही की जाए। बाल विवाहों के आयोजन किये जाने की स्थिति में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा-6 की उप धारा 16 के तहत नियुक्त “बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों” (उप खण्ड मजिस्ट्रेट) की जवाबदेही नियत की जावे एवं जिनके क्षेत्रों में बाल विवाह सम्पन्न होने की घटना होती है, उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।
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