प्राइमरी स्तर तक बच्चों का ड्रॉपआउट रोकने व उन्हें स्कूलों से जोड़ने के लिए नई शिक्षा नीति 2020 के तहत पढ़ाई के स्तर में बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। ऐसा सिलेबस और माहौल तैयार किया जाएगा जिससे स्कूल में बच्चों को पारिवारिक माहौल मिले। बच्चों में समझ विकसित करने के लिए उन्हें उनकी मूल भाषा में पढ़ाया जाएगा। इस मूल भाषा का स्तर कैसा होगा, इसको लेकर सर्वे करवाया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश के 24 जिलों में एक से 15 जनवरी तक ऑनलाइन सर्वे होगा। इसमें प्रत्येक स्कूल के हिंदी शिक्षक इस फॉर्मेट को ऑनलाइन भरकर मातृभाषा के बारे में जानकारी देंगे। बता दें कि प्रदेश के 9 जिलों में पिछले साल सर्वे हो चुका है। प्रत्येक जिलों से फॉर्मेट में स्थानीय भाषा की जानकारी उदयपुर भिजवाई जाएगी, जहां से एक रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को भिजवाई जाएगी।
इसके बाद प्राइमरी स्तर के बच्चों को पढ़ाने का मॉड्यूल तैयार होगा। प्रत्येक जिला स्तर पर स्थानीय भाषा के कठिन शब्दों का शब्दकोश तैयार होगा। इसके बाद जिला स्तर पर डाइट की ओर से शिक्षकों को स्थानीय भाषा में पढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। घर में बोली जाने वाली भाषा उन्हें स्कूल व पुस्तकों में मिलेगी तो उनका आकर्षण शिक्षा के प्रति होगा और वे स्कूल से जुड़कर अच्छे नागरिक बन सकेंगे।
जिला स्तर और पीईईओ व यूसीईओ स्तर पर होगी कार्यशाला
प्राइमरी स्तर के बच्चों को स्थानीय भाषा में पढ़ाने से पहले प्रदेश स्तर पर प्रत्येक जिले से वहां की भाषा के बारे में जानकारी ली जाएगी। इस संबंध में 23 दिसंबर को जिला स्तर पर एसीबीईओ, पीईईओ एवं यूसीईईओ की एक-एक कार्यशाला आयोजित हुई है। यह संबंधित यूसीईईओ (शहरी नोडल) एवं पीईईओ (ग्राम पंचायत स्तर नोडल) अपने अधीन स्कूलों के शिक्षकों को जानकारी देंगे। ये काम 31 दिसंबर से पहले पूरा कर लिया जाएगा। एक जनवरी से सभी तयशुदा फार्मेट में ऑनलाइन जानकारी देंगे। प्राथमिक शिक्षा के सिलेबस में राजस्थानी आने से प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधरेगा और बच्चों में सीखने की प्रवृति उसकी मातृभाषा में अधिक होगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्राइमरी क्लास के बच्चों को स्कूलों में पारिवारिक एवं सौहार्दपूर्ण माहौल देने की तैयारी हाे रही है। इसके तहत मूल भाषा में पढ़ाई कराने के लिए भाषाई मानचित्र सर्वेक्षण हो रहा है, ताकि कक्षा पांच तक पढ़ने वाले प्रत्येक बालक को मूल भाषा में पढ़ाई कराने का कोर्स तैयार किया जा सके। इसके लिए उसी अनुरूप सिलेबस व सामग्री तैयार की जाएगी। ऑनलाइन पढ़ाने का भी मॉडयूल तैयार होगा।