स्थानीय महाविद्यालय आचार्य नानेश शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय सवाई माधोपुर में 2 दिसम्बर शनिवार को विश्व दिव्यांग दिवस की पूर्व संध्या में एक सगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाविद्यालय के संस्थापक रवीन्द्र कुमार जैन तथा निदेशक मुकेश जैन थे। कार्यक्रम प्रभारी ने बताया कि सभी छात्राध्यापिकाएं एवं व्याख्यातागण निर्धारित समयानुसार सभागार में उपस्थित हुए तथा विकलांगता का अर्थ स्पष्ट किया। साथ ही बताया कि इस वैज्ञानिक युग में कोई भी मनुष्य पूर्ण स्वस्थ नहीं है। कण्ठा, तनाव, घृणा आदि भी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को विकृत कर देते है।
डाॅ. सुनिल कुमार जैन ने बताया कि दिव्यांगों को प्रेम, सहयोग, परोपकार, समन्वय के साथ समाज की मुख्यधारा से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने हेतु केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है दिव्यांग व्यक्तियों के साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए। इन योजनाओं का लाभ दिलाने में सहयोग करना चाहिए। व्याख्याता कन्हैया लाल ने बताया कि देश के जन नायक प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी द्वारा ही “दिव्यांग” शब्द का प्रथम बार प्रयोग किया क्योंकि विकलांग शब्द कहने और सुनने मात्र से घृणा का आभास देती है। अतः विकलागों में आत्म सम्मान जागृत करने का पर्याय है दिव्यांगता। दिव्यांगों में कोई न कोई विशेष कला प्रच्छन्न रूप से होती है। बशर्ते उसे बाहर प्रदर्शन के अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है।
अन्य व्याख्यातागणों ने बताया कि आज के समाज में दिव्यांगों के प्रति परिजनों, समाजबन्धुओं का दृष्टिकोण परिवर्तित हुआ है। दिव्यांगजन विभिन्न क्षेत्र जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, क्रीडा आदि में समान अवसर प्राप्त कर स्वयं का, परिवार का, अपने गांव का, राज्य का, और राष्ट्र का नाम विश्व पटल पर गौरवान्वित कर रहे है। राजस्थान की पैराखिलाड़ी अवनी लखेरा ने वर्ष 2023 में चीन में आयोजित विश्व पैरा ओलम्पिक खेलों में स्वर्णपदक प्राप्त किया इसी तरह भारतीय खिलाड़ियों ने वर्ष 2023 में कुल 25 पदक जीते। कार्यक्रम में छात्राध्यापिका ज्योति नामा, निकिता जांगिड़, पूजा बैरवा, नीलम बैरवा, खुशी जैन, मोहिनी मीना, ललिता सैनी, राजकरन्ती मीना, आशा मीना, साक्षी शर्मा, पूजा कुमारी बैरवा, दीपिका राठौर, ज्योति मीना आदि ने बताया कि सन् 1976 में अध्यादेश लाने वाले हेतु प्रस्ताव लिया गयां सन् 1981-82 में राज्यसभा के अनुमोदन पर दिव्यांग जनों के हितार्थ कानून निर्माण की घोषणा हुई। 1981-1991 के दशक को विकलांग दशक के रूप में मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1992 मे अन्तराष्ट्रीय विकलांग दिवस 3 दिसम्बर को मनाने की औपचारिक घोषणा की तब से आज तक हम प्रत्येक वर्ष 3 दिसम्बर को दिव्यांग दिवस के रूप में अनैक कार्यक्रम आयोजित करते है।
जिसका उद्देश्य दिव्यांगों के प्रति सद्भावना, सहयोग, प्रेग पूर्ण व्यवहार करना है। सन् 1990 में पैंशन विथ डिसएबलिटी एक्ट के तहत् श्रवण बाधिता, द्ष्टिबाधिता, मानसिक विमन्दता, अस्थि विकलांगता, पैरालायसिस आदि प्रकारों को जोड़ा गया है। कार्यक्रम के अन्त में प्राचार्य डा. निधि जैन ने दिव्यांगों को आत्मविश्वास के साथ समाज के प्रत्येक क्षेत्र कर प्रत्येक गतिविधि में सक्रियता रखनी चाहिए। वर्तमान युग तकनीकी का है और तकनीकी द्वारा आत्म गौरव प्राप्त करना चाहिए। मीडिया, दुरदर्शन, चलचित्र, पत्र-पत्रिकाओं मे इनके बारे में दिखाया जाता है जैसे- तारें जमी पर मूवी द्वारा संदेश दिया कि विकलांगता केा पहचान कर सही दिशा एवं दशा दिखाने की जरूरत है। प्राचार्य डॉ. निधि जैन ने सभी वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के मंच का संचालन छात्राध्यापिका अंजलि यादव ने किया।