राजस्थान न्यायिक अधिकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं राजस्थान सरकार की 43 वर्ष तक विभिन्न पदों पर सेवा करने वाले पूर्व जिला एवं सत्र न्यायधीश दामोदर मिश्रा का एक संक्षिप्त बीमारी के बाद जयपुर में निधन हो गया। वह 80 वर्ष के थे। मिश्रा अपने पीछे पत्नी एवं चार पुत्रों सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ कर चले गए।
मिश्रा का नाम बहुत सी समाजोपयोगी सेवा संस्थाओं के साथ जुड़ा रहा है एवं इस प्रकार की बहुत सी गतिविधियों से भी वे प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए थे।
उनको सर्वश्रेष्ठ हिन्दी निर्णय लेखन के लिए जस्टिस वेदपाल त्यागी स्मृति राज्य स्तरीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
मिश्रा ने अपने जीवन में विभिन्न विषयों पर 13 पुस्तकें लिखी हैं एवं चार कानूनों का हिन्दी अनुवाद भी किया है। उनके “खीम्प-क्रान्ति” नामक एक बहुपयोगी प्रोजेक्ट को जीटीवी द्वारा एक अनूठा एवं ग्रामीण जन-जीवन में सर्वांगीण विकास करने वाला प्रोजेक्ट घोषित किया गया था।
मिश्रा ने अपना कैरियर प्राथमिक शिक्षक के रूप में रतनगढ़ जिला चूरू के गाँव सुलखणिया से शुरू किया और धीरे-धीरे प्रगति करते हुए वे डिस्ट्रिक्ट जज के पद तक पहुंचे। अपनी सेवानिवृति से पूर्व उन्हें राज्य सरकार द्वारा पांच वर्षों तक जिला उपभोग मंचाए चूरू का अध्यक्ष बनाया गया। उसके बाद वह राजस्थान उच्च न्यायलय के सक्रिय अधिवक्ता बने।
अपने जीवन के अन्तिम दिनों तक वह वकालत के क्षेत्र में सक्रिय थे।