उत्तर प्रदेश: नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तंज किया है। अखिलेश यादव ने बिना किसी का नाम लिए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि जो लोग कर्मचारियों को 90 घंटे काम करने की सलाह दे रहे हैं, कहीं वो इंसान की जगह रोबोट की बात तो नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इंसान तो जज़्बात और परिवार के साथ जीना चाहता है। अखिलेश यादव ने कहा कि आम जनता का सवाल ये भी है कि जब अर्थव्यवस्था की प्रगति का फायदा कुछ गिने चुने लोगों को ही मिलना है तो ऐसी 30 ट्रिलियन की इकोनॉमी हो जाए या 100 ट्रिलियन की, जनता को उससे क्या।
उन्होंने आगे लिखा है कि, “सच्चा आर्थिक न्याय तो यही कहता है कि समृद्धि का लाभ सबको बराबर से मिले, लेकिन भाजपा सरकार में तो ये संभव ही नहीं है। साथ ही सलाह देनेवाले भूल गये कि मनोरंजन और फ़िल्म उद्योग भी अरबों रुपए इकोनॉमी में जोड़ता है। ये लोग शायद नहीं जानते हैं कि एंटरटेनमेंट से लोग रिफ़्रेश्ड, रिवाइव्ड और री-एनर्जाइज़्ड फ़ील करते हैं, जिससे वर्किंग क्वॉलिटी बेटर होती है। ये लोग न भूलें कि युवाओं के सिर्फ हाथ-पैर या शरीर नहीं, एक दिल भी होता है जो खुलकर जीना चाहता है और बात घंटों काम करने की नहीं होती बल्कि दिल लगाकर काम करने की होती है।
क्वांटिटी नहीं, क्वॉलिटी ऑफ़ वर्क सबसे जरूरी होता है। सच तो ये है कि युवाओं की रात-दिन की मेहनत का सबसे ज्यादा लाभ सबसे ऊपर बैठे हुए लोगों को बैठे-बिठाए मिलता है, इसीलिए ऐसे कुछ लोग ‘90 घंटे काम करने’ जैसी इंप्रैक्टिकल सलाह देते हैं। आज जो लोग युवाओं को ये सलाह दे रहे हैं, वो दिल पर हाथ रखकर बताएं कि ये विचार उन्हें तब आया था क्या जब वो युवा थे और आया भी था और उन्होंने अपने समय में अगर 90 घंटे काम किया भी था तो फिर आज हम इतने कम ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी तक ही क्यों पहुँचे। वर्क एंड लाइफ का बैलेंस ही मानसिक रूप से एक ऐसा स्वस्थ वातावरण बना सकता है, जहाँ युवा क्रिएटिव और प्रॉडक्टिव होकर सही मायने में देश और दुनिया को और बेहतर बना सकते हैं।
अगर भाजपाई भ्रष्टाचार ही आधा भी कम हो जाए तो अर्थव्यवस्था अपने आप दुगनी हो जाएगी। जिसकी नाव में छेद हो उसकी तैरने की सलाह का कोई मतलब नहीं। इससे पहले खबरों के अनुसर नीति आयोग के पूर्व सीईओ और भारत सरकार में कई अहम पदों पर रहे अमिताभ कांत ने कहा था कि भारतीयों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए। चाहे वह सप्ताह में 80 घंटे हों या 90 घंटे। उन्होंने कहा कि अगर आपकी महत्वाकांक्षा चार हजार अरब डॉलर से 30 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की है, तो आप इसे मनोरंजन या कुछ फिल्मी सितारों के विचारों का अनुसरण करके नहीं हासिल कर सकते।
इससे पहले लार्सन एंड टूब्रो के चेयरमैन एस. एन. सुब्रह्मण्यन ने कहा था कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करना चाहिए और लोगों को रविवार को भी काम करना चाहिए। जबकि इंफोसिस के फाउंडर नारायणमूर्ति भी सप्ताह में 70 घंटे काम करने की बात कह चुके हैं। काम करने के घंटों के बारें ऐसे बयानों पर कई बार लोगों की तीखी प्रतिक्रिया भी आ चुकी है।