कोटा: राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने कहा कि दीक्षित विद्यार्थी अर्जित ज्ञान का नैतिकता और विवेकशीलता के साथ उपयोग कर लोक कल्याण के लिए समर्पित रहें। निरंतर बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के प्रयास करें। हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा जीवन पथ का आलोक है, उससे प्रेरणा लेते हुए अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ें और विकसित भारत के संकल्प को साकार करें। राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे शुक्रवार को वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत की परंपरा जीवन का एक नया अध्याय है, जिसमें विद्यार्थी को ज्ञान के सागर में उतरकर अनेक नवाचार करने होंगे और देश व समाज के उत्तरदायित्वों का जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन करना होगा। उन्होंने कहा कि केवल डिग्री प्राप्त करना पर्याप्त नहीं, कौशल और बौद्धिक क्षमता का संवर्धन करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा, ऐसा कर्म करो कि आपकी पहचान बन जाए। हर कदम ऐसा रखो कि निशान बन जाए। भगवान महावीर के जीवन से प्रेरणा लेते हुए ऐसा जीवन जीयो कि कर्तव्य पथ से कोई आपको डिगा ना सके, कोई आपकी तपस्या भंग ना कर सके।
उन्होंने गुरुजनों का भी आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान भंडार को विद्यार्थियों को हस्तांतरित करें, विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर प्रयास हों। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति जो 400 कुलपतियों, 1000 शिक्षाविदों और 1400 विषय विशेषज्ञों के सानिध्य में तैयार की गई है, इसके उत्कृष्ट परिणाम आने वाले समय में परिलक्षित होंगे। यह शिक्षा नीति देश, समाज और हर नागरिक के लिए उपयोगी होगी।
यह सिर्फ लिखना, पढ़ना, सिखाने के बजाय जीवन कैसा हो, यह सिखाएगी। दीक्षांत अतिथि गुरूनानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर के कुलपति प्रो. करमजीत सिंह ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों का आह्वान किया कि अर्जित ज्ञान और परिश्रम के साथ लक्ष्य प्राप्ति में जुट जाएं और समाज को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए जीवन लगा दें।
वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.कैलाश सोडाणी ने कहा कि दीक्षित विद्यार्थी समय का मूल्य समझते हुए, समय के साथ चलने और उद्यमिता के पथ पर बढ़ने में रूचि लें। स्वदेशी चिंतन और सोच के साथ आगे बढ़ें। उन्होंने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए उपलब्धियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया। कुलसचिव सरिता ने आभार व्यक्त किया।