नई दिल्ली: एक्स (पूर्व में ट्विटर) ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत जारी किए गए ब्लॉकिंग आदेशों के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट में भारत सरकार पर मुकदमा दर्ज किया है। यह याचिका 5 मार्च को दायर की गई थी। इसमें आईटी एक्ट के सेक्शन 79 के तहत ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती दी गई है। यह सेक्शन एक्स, यूट्यूब और फेसबुक जैसे इंटरमीडियरी को यूजर्स की ओर से उनके प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए गए कंटेट के लिए जिम्मेदार होने से बचाता है।
एक्स ने तर्क दिया है कि इस प्रावधान के तहत सरकार ने ब्लॉकिंग आदेश जारी किए हैं, जो कि कानून के खिलाफ हैं और कंटेट हटाने की कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार करते हैं। याचिका में कहा गया है कि कई केंद्रीय और राज्य एजेंसियों ने अलग-अलग विभागों और स्थानीय अधिकारियों को कंटेंट ब्लॉक करने का अधिकार दे दिया है। इस याचिका में यह भी बताया गया है कि सरकार ने सहयोग पोर्टल नाम का एक सेंसरशिप पोर्टल बनाया है ताकि कंटेंट ब्लॉक करना आसान हो जाए।
हालांकि एक्स ने इस पोर्टल से नहीं जुड़ने का फैसला किया है। 12 फरवरी को, रेल मंत्रालय ने एक्स और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को कुछ पोस्ट हटाने का आदेश दिया था। इसके जवाब में 14 फरवरी को एक्स ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कहा कि इस तरह से पोस्ट हटाने के आदेश अ*वैध हैं और वह सरकार को अदालत में चुनौती देगा। 21 फरवरी को रेल मंत्रालय ने एक्स को निर्देश दिया कि वह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भग*दड़ से संबंधित कुछ पोस्ट हटा दे।
एक्स ने हाई कोर्ट से अपील की है कि सरकार इस सेक्शन के तहत कंटेंट ब्लॉक नहीं कर सकती और एक्स को सहयोग पोर्टल से न जुड़ने के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए। जुलाई 2022 में भी एक्स (पूर्व में ट्विटर) ने कर्नाटक हाई कोर्ट में सरकार के 39 ब्लॉकिंग आदेशों के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। अदालत ने एक्स के खिलाफ फैसला सुनाया था और इस फैसले के खिलाफ अपील अभी लंबित है। एक्स की ओर से दायर नया मामला 27 मार्च को सुना जाएगा।