सवाई माधोपुर: बाघ और पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर करने वाले चौथे रॉयल रणथंभौर इंटरनेशनल टाइगर वीक 2025 का तीन दिवसीय आयोजन 11 अप्रैल से सवाई माधोपुर में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें मानव-बाघ संघर्ष, पर्यटन और वन्यजीव संरक्षण पर हुई गहन चर्चा के साथ ही बाघ संरक्षण के लिए अद्वितीय कार्य करने वालों को 7 कैटेगरी में सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान राजस्थान वाइल्डलाइफ बोर्ड की सदस्य नम्रता भारती के स्वागत भाषण और दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का आगाज हुआ। लिविंग विद द स्ट्राइप्सरू ह्यूमन-टाइगर कॉन्फ्लिक्ट एंड रेजोल्यूशन सत्र में वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एम.के. रणजीतसिंह झाला और टाइगर मैन दौलत सिंह शक्तावत ने मानव-बाघ संघर्ष के समाधान पर विचार साझा किए। एम.के. रणजीत सिंह झाला ने कहा कि बाघ म*रने की खबर प्रकाशित हो जाती है लेकिन बाघ जिस जानवर पर जिंदा है उनकी तादाद खत्म होती जा रही है, कुछ प्रजातियां तो विलुप्त हो गई हैं उस पर गौर नहीं किया जाता।
पर्यटकों के आधिक्य ने जंगलों का चरित्र ही बिगाड़ दिया है। यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बाघों की नजर में इंसान की कोई इज्जत नहीं रह गई। जानवरों और इंसानों में एक आपसी संबंध होता है, वो इंसान ने खराब कर दिया है। नेशनल पार्कों में एक बाघ के पास बीस-तीस गाड़ियाँ चलती है, और उन्हें अ*टैक करने को मजबूर किया जा रहा हैं। हमारे नेशनल पार्क्स बुनियादी रूप से टूरिज्म के लिए नहीं बने थे लेकिन टूरिज्म ने अपने लिए पार्क्स बना लिए हैं। भारत में पर्यटन दोधारी तल*वार बन गया है।
लोग सिर्फ जंगल में टाइगर देखने जाते हैं, उसे ही सफलता मानते हैं, जंगल देखने, उसे समझने में नहीं। मॉडरेशन एनटीसीए के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक पी.एस. सोमशेखर ने किया। आईएएस विक्रम सिंह (निदेशक, पर्यटन विभाग व प्रबंध निदेशक आरटीडीसी) और कार्तिकेय शंकर (सहायक संपादक, आउटलुक ट्रैवलर) ने ट्रैवल विद ए पर्पज़ सपोर्टिंग कंजर्वेशन रिस्पॉन्सिबल टूरिज्म विषय पर बात रखी। सत्र का संचालन नवरोज डी. धोंडी ने किया।
रीवाइल्डिंग इंडियाज़ कंजर्वेशन एथोस सत्र में संगीतकार और संरक्षण कार्यकर्ता अभिषेक रे ने अनुभव साझा किए। इसी के साथ बाघ संरक्षण में जुटे रणथंभौर टाइगर रिजर्व के कर्मियों के लिए एक विशेष स्वास्थ्य जांच शिविर लगाया गया, जिससे उनके योगदान को सम्मान दिया जा सके। साथ ही, “बच्चों की नजर से बाघ का जीवन” विषय पर स्थानीय विद्यालयों के बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें बच्चों की रचनात्मकता और वन्यजीवों के प्रति प्रेम झलका। कार्यक्रम के दूसरे दिन भारत में वाइल्डलाइफ फिल्ममेकिंग का उदय में प्रसिद्ध वाइल्डलाइफ सिनेमैटोग्राफर सुब्बैया नल्लामुथु और सरिस्का टाइगर फाउंडेशन के संस्थापक-सचिव दिनेश दुर्रानी ने वाइल्डलाइफ फिल्म मेकिंग से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डाला।
राजस्थान क्राउन ज्वेल ऑफ टाइगर कंजर्वेशन-चुनौतियां और उपलब्धियां सत्र में पूर्व इंस्पेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट, नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के पी.एस. सोमशेखर और वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के पूर्व निदेशक एवं राजस्थान स्टेट वाइल्डलाइफ एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य डॉ. विनोद बी. माथुर ने चर्चा की। जंगल से परे भविष्य के वन्यजीव आवासों की सुरक्षा सत्र में वर्ल्ड बैंक के सीनियर एनवायर्नमेंटल स्पेशलिस्ट अनुपम जोशी और वर्ल्ड वाइल्ड फण्ड फॉर नेचर-इंडिया (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया) के सेक्रेटरी जनरल और सीईओ रवि सिंह ने विचार साझा किए। वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के चेयरमैन एम.के. रंजीतसिंह झाला और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अमित मल्लिक ने गार्डियंस ऑफ द वाइल्ड वाइल्डलाइफ क्राइम और शिकार के खिलाफ नवाचार विषय पर प्रकाश डाला।
वही, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के सीनियर डायरेक्टर डॉ. दीपांकर घोष ने अपनी भूमिका मॉडरेटर के रूप में निभाई। रॉयल रणथंभौर इंटरनेशनल टाइगर वीक के फाउंडर और लिव फॉर फ्रीडम पार्टनर सुनील मंगल ने बताया कि देबमाल्या रॉय चौधरी को कंज़र्वेशनिस्ट अंडर 40, सतपुड़ा लैंडस्केप टाइगर पार्टनरशिप को इमर्जिंग एनजीओ, पेरिआर टाइगर रिज़र्व से वन संरक्षक मनू एम जे और आरोमल एम ए व राजसमंद के दिवंगत रेंजर किशोर कुमार को रॉयल रणथंभौर टाइगर वॉरियर्स अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
कैरव इंजीनियर को अनंत बजाज वाइल्डलाइफ फिलंथ्रोपिस्ट, वहीं जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को टाइगर रिजर्व विद लार्जेस्ट टाइगर पॉप्युलेशन अवॉर्ड से नवाजा गया। मध्य प्रदेश को इंडियन स्टेट विथ द लार्जेस्ट पापुलेशन अवॉर्ड दिया गया। बाघ संरक्षण एवं सुरक्षा कानून में अपना अहम योगदान निभाने वाले वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एम.के. रणजीतसिंह झाला को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया।