प्रशासन गांवों के संग अभियान को नया रूप देते हुये इसे सुनवाई का अधिकार अधिनियम से जोड़ दिया गया है। राजस्व विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक प्रत्येक शिविर में शाम 3 बजे से सुनवाई शुरू होगी तथा परिवादी को भी बोलने का मौका मिलेगा।
न केवल व्यक्तिगत परिवाद बल्कि सार्वजनिक समस्या, विकास कार्य में भी इस अधिनियम के अन्तर्गत कैम्प में सुनवाई होगी। जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन ने बताया कि सबसे पहले परिवादी हैल्प डेस्क पर जायेगा जहां निर्धारित निःशुल्क आवेदन पत्र पर उसका परिवाद लिखा जायेगा।
इससे परिवादी टाइप करवाने में होने वाली परेशानी और खर्च से बच सकेगा। परिवाद को रजिस्टर में दर्ज कर परिवादी को रसीद दी जायेगी। इसकी एक प्रति परिवाद पर लगाकर सम्बंधित विभाग की डेस्क पर पहुंचाया जायेगा।
उस विभाग की डेस्क पर भी इस परिवाद का पंजीयन होगा। सम्बंधित विभाग का अधिकारी शाम 3 बजे से शुरू होने वाली सुनवाई में बतायेगा कि परिवाद का क्या निस्तारण हुआ या कब तक क्या कार्रवाई की जानी है। परिवादी को भी बोलने का मौका मिलगा।
परिवादी सन्तुष्ट न हुआ तो सुनवाई के अधिकार अधिनियम के तहत अपील कर सकेगा तथा अपील में पाया गया कि कैम्प में उसे नियमानुसार राहत नहीं दी गई थी या काम नहीं हुआ तो पहली सुनवाई करने वाले अधिकारी के खिलाफ अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई होगी। इस सुनवाई के समय की सूचना कैम्प में बार-बार माइक से दी जायेगी।
माइक से बार-बार यह भी सूचना देनी है कि ई-मित्र संचालक को किसी भी काम के लिये 1 पैसा भी नहीं देना है। उनको राज्य सरकार पुनर्भरण कर रही है। ग्रामीणों की सुविधा के लिये प्रति कैम्प कम से कम 3 ई-मित्र लगाने के भी निर्देश दिये गये हैं।