जयपुर: पतंगबाजी पक्षियों की जान पर आफत बड़ी बन गई है। मकर संक्रांति के दूसरे दिन लगभग 390 पक्षी घायल हुए है। पतंग की डोर से कटकर लगभग 20 पक्षियों की मौत हुई। घायल पक्षियों का पक्षी उपचार केंद्रों पर इलाज जारी है। तीसरे दिन पतंगबाजी से 850 से अधिक पक्षी घायल हो चुके है। लगभग 90 पक्षियों की मौत हो चुकी है। इससे पहले मकर संक्रांति पर 150 से अधिक पक्षी पतंगबाजी से घायल हो चुके हैं।
घायल पक्षी वन विभाग, रक्षा संस्थान व होप एंड बियोंड के शिविरों में लाए गए हैं। पक्षियों का इलाज चिकित्सा शिविरों में किया जा रहा है। घायल पक्षियों में सर्वाधिक कबूतर, चील, कौवे और तोते भी शामिल हैं। मकर संक्रांति पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेशवासियों से पक्षियों की सुरक्षा को लेकर अपील की थी। सीएम गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि ऊँची पतंग, खुला आकाश, परिंदों की सुरक्षा, हो हमारा प्रयास। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सूर्योदय और सूर्यास्त का समय पक्षियों के विचरण का समय है। अत: दोपहर के समह ही पतंग उड़ाएं, जिससे पक्षी पतंग की डोर से घायल न हों सके। इसके साथ ही सीएम गहलोत ने लोगों से अपील करते हुए कहा था कि पतंगबाजी हेतु चायनीज मांझे, लोहे और कांच से बने धागे और विषाक्त पदार्थों से बने धागों का प्रयोग पूर्णतया प्रतिबंधित है।
मकर सक्रांति से एक दिन पहले आज पतंगबाजी के दौर ने कई बेजुबान पक्षियों के पर काट दिए है। पतंग की डोर में फंसकर गुरुवार को लगभग 69 बेजुबान पक्षी घायल हुए थे। वहीं करीब 10 से ज्यादा पक्षियों की मौत हो गई थी। रक्षा संस्थान, होप एंड बियोंड एवं वन विभाग द्वारा लगाए गए शिविरों में घायल पक्षियों का इलाज किया जा रहा है। घायल पक्षियों के इलाज के लिए वन विभाग ने स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से जयपुर में केवल 4 जगहों पर पक्षी उपचार केंद्र बनाए। 13 जनवरी से 15 जनवरी तक के लिए जयपुर शहर में पक्षी उपचार शिविर लगाए गए थे।