सोशल मीडिया पर विगत वर्षों में कई दोषारोपण हुए हैं। कहा जाता है कि युवा अपना समय केवल लक्ष्य हीन सर्फिंग, ट्रोलिंग और कमेंटिंग में बैठ कर रहे हैं और यही सोशल मीडिया हमारे युवाओं का भविष्य बिगाड़ने का सबसे बड़ा कारण है। वहीं यदि सोशल मीडिया को एक लक्ष्य बनाकर नेक दिली के साथ अच्छे कार्यों को करने का माध्यम बना लिया जाए तब उसे एक ऐसे मंच में बदला जा सकता है, जिस मंच पर किसी एक लक्ष्य की पूर्ति के लिए सबको साथ खड़ा करना संभव हो सकता है। इसका सबसे ताजा उदाहरण ‘बाबा का ढाबा’ कैंपेन रहा है जो दिल्ली में एक बुजुर्ग ढाबा चलाने वाले दंपत्ति के लिए चलाया गया था।
इन सबसे परे एक सुखद आश्चर्य हुआ जब जाति, समाज एवं क्षेत्र से परे अर्चना मीना ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर एक होनहार किंतु आर्थिक दृष्टि से कमजोर विद्यार्थी चर्चित कुमार सेठी को आर्थिक मदद पहुंचाने की अपील की। चर्चित कुमार सेठी लालसोट कस्बे से हैं और फिजिक्स की उच्च शिक्षा के लिए जर्मनी की हैमबर्ग यूनिवर्सिटी में चयनित हुए हैं। किंतु उनके पिता उनकी पूरी फीस वहन करने में असमर्थ हैं। ऐसे में चर्चित के साइंटिस्ट बनने के सपने को पूरा करने में मदद करने के लिए आगे बढ़कर यथासंभव मदद की अपील कर समाजसेवी अर्चना मीना ने सराहनीय प्रयास किया है। सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता का प्रसार करने का अर्चना का यह पहला प्रयास नहीं है बल्कि इसके पूर्व भी वे इस प्रकार की गतिविधियों से जुड़ी रही हैं। कोरोना काल में उन्होंने जरूरतमंदों को भोजन पहुंचाने की व्यवस्था के साथ 11 हज़ार मास्क सिल कर उन्हें बंटवाने का लक्ष्य रखा और उसे पूरा किया। कोरोना योद्धाओं का सम्मान व उनका समय-समय पर उत्साहवर्धन भी वे करती रहीं। साथ ही आत्मनिर्भर भारत मिशन को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास, स्वावलंबी बनाने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने का प्रयास भी अर्चना करती आई हैं। कोरोना काल में छोटे बच्चों की वर्कशॉप जिसमें बच्चों को कोविड से बचाव करने के उपायों की जानकारी, नो वेस्ट, सेव अर्थ, सेव वाटर जैसे कई कैंपेन भी उन्होंने निरंतर विगत कुछ महीनों में चलाई हैं। अर्चना मीना स्वदेशी जागरण मंच राजस्थान राज्य की सह महिला प्रांत प्रमुख हैं और अपने इसी उत्तर दायित्व के निर्वहन के लिए अर्चना समय-समय पर महिलाओं की स्वास्थ्य जांच व जागरूकता वर्कशॉप करवाती हैं। उन्होंने एक आंगनवाड़ी गोद लेकर उसे आदर्श आंगनवाड़ी बनाने के सार्थक प्रयास भी किए हैं। स्वदेशी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए वे स्वदेशी जागरण मंच द्वारा संचालित कई कार्यक्रमों में बतौर मुख्य अतिथि भाग लेती रही हैं। अर्चना मीना एक समाजसेवी के साथ साथ अर्चना मीना फाउंडेशन की प्रेसिडेंट व होटल अनुरागा पैलेस की डायरेक्टर भी हैं।
अर्चना का कहना है कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि शिक्षा से बढ़कर कोई यज्ञ नहीं। हमारे होनहार बच्चे हमारे देश के विकास की पहली सीढ़ी है। इनके भविष्य निर्माण में सहायता करके हम हमारे ही देश के भविष्य में निवेश करते हैं। उन्होंने कहा चर्चित एक दिन साइंटिस्ट बन कर देश का नाम रोशन करने की योग्यता रखता है और उसकी इसी योग्यता के बल पर जर्मनी की हेम्बर्ग यूनिवर्सिटी में उसका चयन हुआ है। हर संभव प्रयास करने के बाद भी उसके पिता वीजा के लिए अनिवार्य 10 लाख रूपये का सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा करवाने में असमर्थ है। उन्होंने सभी से यथासंभव आर्थिक सहायता उस तक पहुंचाने की अपील करते हुए कहा है कि एक दिन हमारे सम्मिलित प्रयासों से (#ScientistBanegaApnaCharchit) साइंटिस्ट बनेगा अपना चर्चित।