राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर एवं अश्वनी विज अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (जिला एवं सेशन न्यायाधीश) सवाई माधोपुर के निर्देशन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सवाई माधोपुर के तत्वाधान में आज शनिवार को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर सिस्को वेबेक्स के माध्यम से ऑनलाईन विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर से जुड़े हुए जिलें के पैनल अधिवक्तागण, पैरालीगल वॉलेन्टियर्स और अन्य आमजन को श्वेता गुप्ता सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सवाई माधोपुर ने बताया कि बाल श्रम हमारे देश व समाज के लिए बहुत ही गंभीर समस्या है। बाल मजदूरी को बडे लोगों एवं माफियाओं ने व्यापार बना लिया है जिसके कारण दिन-प्रतिदिन हमारे देश में बाल श्रम बढ़ता जा रहा है और बच्चों का बचपन खराब हो रहा है। इससे बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है, साथ में देश में गरीबी फैलती है और देश के विकास में बाधाएं आती है। बाल श्रम के कारणों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गरीबी, शिक्षा का अभाव, माता-पिता का लालच, पारिवारिक मजबूरियां, जनसंख्या वृद्धि और भ्रष्टाचार आदि बाल श्रम के कारण है। साथ ही कोरोना महामारी के बढ़ते हुए संक्रमण की रोकथाम और बचाव हेतु कोविड-19 टीकाकरण करवाने, मास्क, सेनेटाईजर आदि का प्रयोग करने हेतु आमजन को प्रेरित किया। शिविर से जुड़े हुए पैनल अधिवक्ता अभय कुमार गुप्ता ने भी पैरालीगल वॉलेन्टियर्स, पैनल अधिवक्तागण तथा अन्य आमजन को जानकारी देते हुए बताया कि सरकार देश को बाल श्रम से पूर्णतः मुक्त करवाने के लिए अनेक कानून बनाती आई है लेकिन जब तक हम और आप उन कानूनो का सही ढ़ंग से अनुसरण नहीं करेंगे तब तक देश को बाल श्रम से पूरी तरह मुक्त कराना संभव नहीं है।
बाल श्रम को जड़ से खत्म करने के लिए 1986 में चाइल्ड लेबर एक्ट बनाया गया जिसके तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से कार्य करवाना दंडनीय अपराध माना गया। बच्चों के लिए ज्यूवेनाईल जस्टिस अधिनियम (देखभाल और संरक्षण) 2000 के तहत अगर कोई बच्चों से मजदूरी करवाता है या फिर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करता है तो उस पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। बच्चों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 तक तहत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी, साथ ही प्राइवेट स्कूलों में भी गरीब और विकलांग बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटे आरक्षित होगी।