Monday , 28 October 2024

पकड़ा गया फ*र्जी जज, चलाता था फ*र्जी कोर्ट 

गुजरात: गुजरात के अहमदाबाद में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां पर एक व्यक्ति नकली कोर्ट चला रहा था। आरोपी ने खुद को उसका जज बताया और गांधीनगर में बने अपने ऑफिस में असली अदालत जैसा माहौल बनाते हुए फैसले भी सुना रहा था। आरोपी का नाम मॉरिस सैमुअल है।  बड़ी हैरानी बात यह है कि मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन नाम का ये व्यक्ति अहमदाबाद सिविल कोर्ट के सामने ही अपनी फ*र्जी कोर्ट पिछले 5 सालों से चला रहा था।
court judge Ahmedabad gujarat police news 22 oct 24
इस दौरान आरोपी ने अरबों की विवादित जमीनों से जुड़े मामले में कई ऑर्डर भी पास किए है। फिलहाल पुलिस ने मॉरिस सैमुअल के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिर*फ्तार भी कर लिया है। मिली जानकारी के अनुसार पेशे से वकील मॉरिस सैमुअल उन लोगों को अपने जाल में फं*साता था, जिनके जमीनी विवाद के मामले शहर की सिविल कोर्ट में पेंडिग थे। वो अपने मुवक्किलों से मामले का निपटारा करने के लिए फीस लेता था।
आरोपी मॉरिस अपने मुवक्किलों को गांधीनगर में अपने कार्यालय बुलाता था। उसने अपने ऑफिस को एकदम अदालत की तरह डिजाइन किया हुआ था। आरोपी मॉरिस फ*र्जी कोर्ट में लोगों के मामलों से जुड़ी दलीलें सुनता था फिर एक ट्रिब्यूनल के अधिकारी के रूप में आदेश भी पारित करता था। इस दौरान उसके साथी अदालत के कर्मचारी और वकील के रूप में वहां खड़े रहते थे ताकि लोगों को लगे कि यह कार्रवाई असली है। इस तरह मॉरिस करीब 11 मामलों में अपने पक्ष में आर्डर पारित कर चुका है।

 

 

 

इस तरह हुआ फ*र्जी कोर्ट का खुलासा:

मिली जानकारी के अनुसार अहमदाबाद के भादर में सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई की वजह से इस फ*र्जी कोर्ट और नकली जज मॉरिस सैमुअल क्रिश्चिन के फ*र्जीवाड़े का खुलासा हो पाया है। उन्होंने ही आरोपी मॉरिस के खिलाफ कारंज पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज करवाया था। 2019 में आरोपी मॉरिस ने अपने मुवक्किल के पक्ष में एक आदेश जारी किया था, जो जिला कलेक्टर के अधीन एक सरकारी जमीन से जुड़ा था।

 

 

 

उसके मुवक्किल की तरफ से दावा किया गया कि पालडी इलाके की जमीन के लिए सरकारी दस्तावेजों में अपना नाम दर्ज करवाने की कोशिश की गई। आरोपी मॉरिस ने कहा कि सरकार ने उसे मध्यस्थ बनाया है।इसके बाद मॉरिस ने फ*र्जी अदालती कार्रवाई शुरू करते हुए मुवक्किल के पक्ष में आदेश दे दिया। इस मामले में कलेक्टर को जमीन के दस्तावेजों में मुवक्किल का नाम दर्ज करने का आदेश दिया गया और इसके साथ ही वो आदेश अटैच किया जो उसकी तरफ से जारी किया गया था।

 

 

फिर कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई को पता चला कि मॉरिस न तो मध्यस्थ है और न ही उसकी ओर से जारी किया गया आदेश असली है। ऐसे में रजिस्ट्रार ने करंज पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। तब जाकर इस नकली कोर्ट के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।

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