जयपुर: राजस्थान के ब्यावर जिले के देवमाली गांव को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर केन्द्र सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार ब्यावर के तत्कालीन जिला कलेक्टर उत्सव कौशल और देवमाली गांव की सरपंच पूजा गुर्जर ने ग्रहण किया है। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित पुरस्कार समारोह में देवमाली गांव को यह पुरस्कार समुदाय आधारित पर्यटन श्रेणी में दिया गया है।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़, केंद्रीय मंत्री, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री, नागरिक विमानन किंजरापु राममोहन नायडू, केंद्रीय राज्य मंत्री पर्यटन सुरेश गोपी सहित पर्यटन मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद थे। भारत के गांवों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 2023 में सर्वश्रेष्ठ गांव प्रतियोगिता शुरू की गई थी। इस प्रतियोगिता के दूसरे संस्करण 2024 में 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 991 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें 8 श्रेणियों के अंतर्गत 36 गांवों को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव प्रतियोगिता 2024 में सम्मानित किया गया। इस सम्मान समारोह में इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य उन गांवों को चिन्हित और पुरस्कृत करना है, जो पर्यटन के क्षेत्र में समुदाय आधारित मूल्यों के माध्यम से सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपत्तियों का संरक्षण और पोषण करते हैं।
सम्मान की यह है वजह:
राजस्थान के अजमेर से सटे ब्यावर जिले में स्थित देवमाली देवनारायण भगवान की भूमि कहलाता है। इस गांव की संस्कृति और यहां का जनजीवन ही इसे यह पुरस्कार दिलाने में मददगार साबित हुआ है। बताया जाता है कि इस गांव की करीब 3000 बीघा जमीन पर सालों से यहां के लोग रहते हैं, इसके बावजूद किसी के पास जमीन के मालिकाना हक से जुड़े कोई भी दस्तावेज नहीं है। गांव वालों के मुताबिक गांव की जमीन भगवान देवनारायण को समर्पित है, इसलिए इस जमीन के मालिक भी वही है।
गाँव में सभी घर मिट्टी के बने हुए:
इस गांव के लोग भगवान देवनारायण के सच्चे भक्त हैं और अपने देवता को वचन दिया है कि गांव में कोई पक्का घर नहीं बनाएगा। इस गांव में हर घर मिट्टी का बना है जिसकी छतें छप्पर की हैं और यहां कोई भी मांसाहारी भोजन और मद्यपान नहीं करता है। इसके अलावा इस गांव में केरोसिन तेल और नीम की लकड़ी जलाने पर पूरी तरह से प्रति*बंध है।
कभी भी अपने लिए स्थाई घर नहीं बनाया:
इस गांव के लिए यह भी कहा गया है कि यहां कई दशकों से चोरी या डकैती का कोई मामला नहीं हुआ है। भगवान देवनारायण को समर्पित पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर बहुत लोकप्रिय स्थल है जिसमें हर साल लाखों पर्यटक मंदिर में आते हैं। स्थानीय गांव वालों के अनुसार कई साल पहले जब भगवान देवनारायण गांव में पहुंचे तो उन्होंने स्थानीय समुदाय से रहने के लिए जगह मांगी।
समुदाय ने उनके लिए एक स्थानीय घर बनाया साथ ही यह भी तय किया कि वह कभी भी अपने लिए स्थाई घर नहीं बनाएंगे। यही कारण है कि यहां के घरों के निर्माण में किसी भी कंक्रीट या धातु की छड़ का उपयोग नहीं किया जाता है। गांव में स्थाई संरचनाओं में केवल सरकारी भवन और मंदिर है। इस गांव का रहन-सहन देश के अन्य हिस्सों से काफी अलग है जो इसे पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाता है।