इस साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होना है और दोनों पार्टियों के नेता जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हुए हैं। वहीं एक-दूसरे पर शब्दों के तीर भी चलाए जा रहे है। अब ताजा मामला राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे के एक बयान का है, जिसने प्रदेश की राजनीति में सियासी पारा चढ़ा दिया है, उनके उस बयान के कई मायने निकाले जा रहे है। दरअसल, उन्होंने उदयपुर जिले के लसाडिया में आयोजित प्रतापगढ़ जिले के धरियावद विधानसभा के पूर्व दिवंगत विधायक गौतम लाल मीणा की मूर्ति अनावरण के कार्यक्रम के बाद देर रात एक ट्वीट किया था। उन्होंने कहा कि, “अब वक्त आ गया है 2003 और 2013 को दोहराने का, पर हाथ पर हाथ धर कर बैठे रहने से काम नहीं चलेगा। कांग्रेस को परास्त करने के लिए हमें मोदी जी की उपलब्धियां, हमारी पिछली भाजपा सरकार के काम, कार्यकर्ताओं का अथक परिश्रम और हमारी एकजुटता जो हमारे असली हथियार है, उनके माध्यम से लड़ाई लड़नी होगी। तब ही हमें विजय मिलेगी, घर बैठे गंगा नहीं आयेगी।” इसके अलावा उन्होंने कहा कि, कई बार खरगोश सोया रह जाता है और कछुआ आगे निकल जाता है, इसलिए सब कार्यकर्ता भागीरथ बन कर दुष्टों की इस सरकार को भगाने में जुट जाओ। राजे ने आगे कहा कि पूरे देश में सबसे अधिक अगर कहीं भ्रष्टाचार है, तो वह राजस्थान में है।
महिला अत्याचार, दलित उत्पीड़न, दुष्कर्म, गैंगवार, गैंगरेप, लूट व हत्या जैसी घिनौनी घटनाएं भी राजस्थान में ही सर्वाधिक हो रही है, कांग्रेस सरकार की शह पर प्रदेश में धर्म परिवर्तन हो रहा है। वहीं उन्होंने कहा कि जब जहाज डूबने लगता है, तो सब उसे छोड़ कर भागने लगते है। अफरा तफरी मच जाती है। यही हाल गहलोत सरकार का है। पहली बार विपक्ष के साथ-साथ सरकार के विधायकों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसलिए इस सरकार को डूबने से अब कोई नहीं बचा सकता। बता दें इससे पहले राजे ने मंच से अपने संबोधन में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दिवंगत विधायक मीणा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें आदिवासी क्षेत्र का विकास पुरुष बताया, गोतम लाल मीणा के कोरोना संक्रमण के चलते निधन को उन्होंने अपनी व्यक्तिगत क्षति भी बताया। राजे ने गोतम लाल मीणा के विकास कार्यों की लम्बी फेरिस्त और अपने साथ के अनुभवों को भी साझा किया। जनसभा को संबोधित करते हुए वसुन्धरा राजे सिंधिया ने गहलोत सरकार पर भी जमकर निशाना साधा और सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया।
आपको बता दें वसुंधरा राजे के इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल बढ़ी हुई है। सूबे की राजनीति पर नजर रखने वाले मान रहे हैं कि प्रदेश के भीतर भाजपा के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल भाजपा के भीतर इस सारी कलह की जड़ मुख्यमंत्री पद को लेकर है। क्योंकि पिछला चुनाव वसुंधरा राजे के नेतृत्व में लड़ा गया था और भाजपा को हार मिली थी, यही कारण है कि इस बार भाजपा वसुंधरा पर पूरी तरह से विश्वास करने में अक्षम है। हालांकि भाजपा आलाकमान को ये भी पता है कि वसुंधरा का अपना एक जनाधार है। जिसे नजर अंदाज किया नहीं जा सकता। दूसरी ओर केन्द्र के भाजपा के नेताओं को ये भी पता है कि वसुंधरा राजे के संबंध कांग्रेस के नेताओं से भी अच्छे है। ऐसे में अगर वसुंधरा राजे को ज़्यादा साइडलाइन करने की गलती की गई तो वो भाजपा के लिए यह भारी पड़ सकता है।
क्योंकि अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी के लिए वसुंधरा राजे से बड़ा कोई नेता यहां नहीं है। राज्य में पार्टी की सबसे वरिष्ठ और कद्दावर नेता वसुंधरा राजे को आगे करके ही बीजेपी गहलोत का तोड़ निकाल सकती है। गौरतलब है कि अगले साल यानी 2023 में राज्य के विधानसभा चुनाव होने है, यानी भाजपा और कांग्रेस दोनों में 200 सीटों के लिए कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। इसलिए बीजेपी के पास सूबे में वसुंधरा राजे से बड़े कद का फिलहाल कोई नेता नहीं दिखता। तमाम विरोधाभासों के बावजूद अभी भी वसुंधरा राजे राजस्थान में जननेता के तौर पर बेहद लोकप्रिय है। यही वजह है कि उनकी दावेदारी को खारिज करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा।