Monday , 1 July 2024
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रणथंभौर नेशनल पार्क के अतिरिक्त राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य पालीघाट भी बन रहा पर्यटकों का आकर्षण केन्द्र

घड़ियालों का घर राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण्य पालीघाट

 

राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य (National Chambal Sanctuary) भारत का एक संरक्षित क्षेत्र है, जो गंभीर रूप से विलुप्तप्राय घड़ियाल, लालमुकुट कछुआ, विलुप्तप्राय गंगा सूंस, स्मूथ कोटेड ओटर और बहुत से पक्षी समूहों की रक्षा के लिए बनाया गया है। यह चम्बल नदी पर राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के त्रिबिन्दु क्षेत्र पर सन् 1978 में स्थापित हुआ और 5400 वर्ग किमी (2100 वर्ग मील) पर विस्तारित है। यह अभयारण्य राजस्थान के सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर खण्डार मार्ग पर चम्बल नदी के किनारे पालीघाट गांव में स्थित है। अभयारण्य के भीतर चम्बल नदी अपने मूल प्राकृतिक रूप में बीहड़ खाइयों और पहाड़ियों से गुजरती है और उस पर कई रेतीले किनारों पर वन्यजीव पनपते हैं। यह घड़ियालों के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है।

 

यहां पर घड़ियालों की विश्व की 75 प्रतिशत संख्या पाई जाती है। राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य के एकवेटिक फॉनल सर्वे राजस्थान 2022 के अनुसार अभ्यारण्य में 976 घड़ियाल पाए जाते हैं। घड़ियाल विलुप्तप्राय जीव है जो मूल रूप से भारतीय उप महादीप का जीव होने के साथ-साथ स्वच्छ जल पारितंत्र का भी सांकेतक है। राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य, घड़ियाल, मगरमच्छ, आठ प्रजातियों के कछुओं, इण्डियन स्ट्रीप्ट हेयनास, जंगली बिल्ली, गोल्डन जेकल्स, भेड़िये, लोमड़ी के अतिरिक्त सेन्चुरी पक्षी प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग है। यहां पर करीब 316 प्रजातियों के प्रवासी एवं विदेशी पक्षी जिसमें ब्लैक हेडेड गुल, इण्डियन स्कीमर्स, बार हेडेड गीज मुख्यतः पाये जाते हैं।

 

Home of Gharials National Chambal Sanctuary Palighat in khandar

 

राष्ट्रीय चम्बल अभयारण्य के उप वन संरक्षक अनिल यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री बजट घोषणा वर्ष 2021-22 संख्या 203 अन्तर्गत पालीघाट पर्यटन स्थल पर पर्यटको को मूलभूत सुविधाएं जैसे बोट जैटी, पेयजल की सुविधा, लॉन विकास कार्य, वन्यजीव रेस्क्यू सेन्टर निर्माण, नदी तट का सौन्दर्यकरण और बैठने की सुविधा, टेन्ट की सुविधा, 3 नाव क्रय करना, वाच टावर, रिसेप्सन, प्लेटफार्म निर्माण, रेस्ट हाउस का रिपेयर इत्यादि विकास कार्यों पर स्वीकृत डीपीआर राशि 525 लाख में से वर्ष 2021-22 में 178 लाख तथा वित्तीय वर्ष 2022-23 में 318 लाख का व्यय किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि रणथम्भौर नेशनल पार्क में आने वाले पर्यटकों के लिए अब टाईगर सफारी ही एक मात्र आकर्षण का केन्द्र नहीं है, इसके अतिरिक्त चम्बल घड़ियाल अभ्यारण्य पालीघाट भी बोट सफारी के लिए तेजी से नए आकर्षण केन्द्र के रूप में उभरा है। इसके साथ ही केमल सफारी और वॉलर्स के लिए नैचर ट्रेल का विकास किया जा रहा है।

 

सवाई माधोपुर के खण्डार में पालीघाट पर्यटन स्थल पर 32 नाव पंजीकृत है जिनसे बोट सफारी कर पर्यटक मगरमच्छ, घड़ियाल सहित अन्य दुलर्भ प्रजातियों के पक्षियों के कलरव एवं वन्यजीवों के विचरण का आनंद लेते सकते हैं। एक घण्टा बोट सफारी का शुल्क भारतीय पर्यटकों के लिए 600 रूपए, विदेशियों के लिए 1166 रूपए तथा विद्यार्थियों के लिए 455 रूपए निर्धारित किया गया है। पर्यटन से राज्य सरकार को इस विŸाीय वर्ष में करीब 16 लाख रूपए का राजस्व प्राप्त हो चुका है। पर्यटन बढ़ने से स्थानीय लोगों को टूर ऑपरेटर, गाइड, टैक्सी ड्राईवर, वोट चालक जैसे व्यवसायों के नए अवसर मिल रहे हैं।

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