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कोविड-19 के हर नियम की पालना करते हुए दी मां को अंतिम विदाई – जिला कलेक्टर

जिला कलेक्टर सवाई माधोपुर नन्नूमल पहाड़िया की मां के कोरोना पॉजिटिव होने एवं निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार को लेकर उन पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे है। इस संबंध में कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया ने उन पर नियमों के उल्लंघन के लगाए जा रहे आरोपों को खारिज करते हुए अपना पक्ष सबके सामने रखा है।
कलेक्टर मां शब्द कहकर एक आम आदमी की तरह भावुक हो गए और इतना ही कहा कि मां से बढ़कर जीवन में कुछ नहीं हो सकता, लेकिन इसके बावजूद मैंने अपनी मां का अंतिम संस्कार सभी सामाजिक संस्कारों को दर किनार कर सरकार की गाईडलाईन एवं हर नियम का पालन करते हुए किया है।
इस बारे में सवाल-जवाब के रूप में कलेक्टर पहाड़िया ने अपना पक्ष रखा है।

 

I have followed covid-19 guidlines district collector sawai madhopur

1. आप पर आरोप है कि आप की माताजी कोरोना पॉजिटिव थी फिर भी आपने उनके शव को अपने पास रखा?
कलेक्टर पहाड़िया ने कहा कि यह पूरी तरह गलत हैं। पहली बात उनका निधन किसी अस्पताल में नहीं हुआ। सुबह पॉजिटिव की जानकारी मिलते ही अस्पताल से उनको उपचार के लिए कोटा रैफर किया गया था। कोटा ले जाते समय रास्ते में ही उनका निधन हो गया था। ऐसे में उनकी बॉडी को 1 प्रतिशत सोडियम हाईपोक्लाराईड से विसंक्रमित करवाया गया तथा विसंक्रमित लीक प्रूफ बेग में रखा गया था।

2. आप पर आरोप है कि आपने नियमों की अनदेखी की?

कलेक्टर:- ये आरोप पूरी तरह गलत है। मेरी माताजी का निधन मेरे पास हुआ और सरकार द्वारा 18 अप्रैल 2020 को जारी की गई गाईडलाईन के पाइंट नं. 5 की मद संख्या 7 एवं 8 तथा पांइट नं. 9 की मद संख्या 12 में यह साफ है कि पॉजिटिव शव को लीक प्रूफ प्लास्टिक ब्लेक बेग में पैक कर उनके परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए दिया जा सकता है। गाईडलाईन में लिखा हुआ है कि शव को अनजिप कर बेग से नहीं निकाला जाएगा, लेकिन गाईडलाईन के पाइंट 11 की मद संख्या 3 में साफ लिखा हुआ है कि शव के चेहरे को अंतिम दर्शन के लिए अनजिप किया जा सकता है। मैंने भी वही किया, केवल चेहरा दिखाने के लिए कुछ देर के लिए उतना ही हिस्सा खोला गया था, जिसकी इजाजत सरकार की गाईडलाईन भी देती है।

3. आप पर आरोप है कि आपने अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी की?

कलेक्टर:- यह पूरी तरह गलत है। हिन्दू संस्कृति में अंतिम संकार से पहले कई रस्में होती है। उनमें से हमने एक भी नहीं की। न मुंह में चंदन रखा, ना गंगाजल और न ही तुलसी, ना बॉडी को नहलाया और न ही चेहरा धोया। किसी ने उनके चेहरे को छूआ भी नहीं और न ही कोई पास गया। सभी ने निर्धारित दूरी से प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चेहरे के अंतिम दर्शन किए। जिसकी इजाजत गाईडलाईन के पाइंट नं. 11 की मद संख्या 3 में दी गई है।

4. सबसे ज्यादा इस बात को लेकर चर्चा की जा रही है कि आपको शव किस प्रकार दे दिया गया?

कलेक्टर पहाड़िया ने बताया कि अगर शव मुझे नहीं देते तो किस को देते। गाईडलाईन के पाइंट नं. 5 की मद संख्या 8 में साफ लिखा हुआ है कि शव परिजनों को दिया जाए या फिर मोर्चरी में उसका निस्तारण किया जाए। यह तब होता है जब परिजन शव लेने से इंकार कर दे या शव लावारिश हो। इन दो हालातों में ही मोर्चरी में शव का निस्तारण किए जाने का प्रावधान है। अगर परिजन शव लेकर, नियमों की पालना करते हुए अंतिम संस्कार करना चाहते है तो शव परिजनों को दिए जाने का प्रावधान है।

5. आप पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि आपने शव की चकडोल निकाली?

कलेक्टर:- यह पूरी तरह गलत है। आरोप लगाने वाले लोग नहीं जानते है कि इस परंपरा को पूरा करने के लिए बैंड बाजे होते हैं। पुष्प वर्षा एवं गुलाल उड़ाई जाती है। शव को लेटा कर नहीं बैठा कर उसकी गाजे बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली जाती है, लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। नियमों की पालना करते हुए उनके शव को परिवार के लोग शमशान लेकर गए थे, वह भी पूरी तरह सरकार द्वारा निर्धारित लीक प्रूफ ब्लेक बेग में बंद करके ले जाया गया था।

6. आप पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि अंतिम संस्कार में नियमों की अनदेखी की?

कलेक्टर पहाड़िया ने कहा कि यह सरासर गलत आरोप है। घर पर परिजनों को अंतिम दर्शन करवाने के बाद बेग बंद कर दिया गया था, जिसे कहीं भी नहीं खोला गया था। जिसकी इजाजत गाईडलाईन के पाइंट नं. 11 की मद संख्या 3 में दी गई है। यहां तक की नियमों की पालना करते हुए शव को बंद बेग सहित ही चिता पर रखा गया और बेग सहित ही उनका अंतिम संस्कार किया गया था। न कपड़े हटाए, न कपड़े बदले, ना नहलाया, ना चंदन लगाया, ना परिक्रमा की गई, ना शरीर पर घी का लेप लगाया गया, न किसी ने शव को छूआ, न कोई उन से लिपटा, फिर कहां नियमों का उल्लंघन हो गया। मुझे समझ नहीं आ रहा है।

कलेक्टर, नन्नूमल पहाड़िया ने कहा कि मां किसी की भी हो उनको लेकर नुक्ताचीनी नहीं होनी चाहिए। दुनिया की हर मां एक समान है। मां छोटे बड़े आदमी के हिसाब से अलग नहीं होती है। मां केवल मां ही होती है। वह अतुलनीय है। यह मेरा दुर्भाग्य है कि मेरी मां का निधन इन हालातों में हुआ। मुझ पर मां और समाज के साथ सरकार के हर नियम की पालना करने की दोहरी जिम्मेदारी है। मैं इस बात को जानता हूं की अगर मैं कोई गलती करूंगा तो उसका प्रभाव पूरे सिस्टम पर पड़ेगा। इसलिए मैंने बेटे से पहले एक जिम्मेदार अधिकारी के कर्तव्य की पालना को ही प्राथमिकता देते हुए अपनी मां को अंतिम विदाई दी है।

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