सृष्टि का संचालन बेटियों के बिना संभव नहीं है। आज हमारी बेटियां बुलंदियों के क्षितिज को छू रही हैं। अपने माता पिता, घर और गांव शहर का नाम रौशन कर रही हैं। यह सारी बातें हमारे डैप रक्षकों ने ग्राम पंचायतों में आयोजित हुई बेटी पंचायतों में कही। उन्होंने सभी को बताया कि शिक्षा, सामाजिक, खेल और पढ़ाई हर क्षेत्र में बेटियों के नाम का डंका बज रहा है, वो हर क्षेत्र में आगे बढ रही है।
विभाग द्वारा प्रशिक्षित डैप रक्षकों ने ग्राम वासियों को प्रजेंटेंशन, भावनात्मक एनिमेशन फिल्म के माध्यम से बेटियों द्वारा किए जा रहे उल्लेखनीय कार्यों से लोगों को अवगत करवाया। डैप रक्षकों ने सभी को बताया कि हमें अपनी पुरानी रूढिवादी मान्यताओं से बाहर निकलना होगा। प्रकृति में हर चीज का संतुलन बना रहता है, लेकिन अगर हम प्रकृृति से छेडछाड करके परिवर्तन करेंगे तो उस परिवर्तन से सामाजिक ताने बाने में असंतुलन हो सकता है। समाज में यदि बेटियां नहीं होगी तो समाज का स्वरूप ही नहीं रहेगा। घर बाहर सभी जगह महिलाओं व पुरूषों की सोच बदलने पर ही हमारे समाज की सोच बदली जा सकती है।
बेटी जन्म को बढावा और बेटी बचाओ के प्रति जन जागरूकता की एक अभिनव और ऐतिहासिक पहल करते हुए डाॅटर्स आर प्रीषियस अभियान के तहत शुक्रवार को पंचायत स्तर पर बेटी पंचायत का आयोजन किया गया। जिले की 47 ग्राम पंचायतों में 3547 ग्रामवासियों से बेटी संवाद किया गया और बेटियों की कहानियां सुनाई गईं।
कन्या भ्रूण हत्या न करने की खाई कसम:-
डैप रक्षकों द्वारा समुदाय मे समझाइश करके बेटियां अनमोल है की भावना जागृत की गई। बेटी पर बनी मार्मिक फिल्म को देखकर ग्राम वासी भावुक हो गए, साथ ही सभी को भविष्य में भी इस कार्यक्रम से जुड़े रहने व बेटियों को कोख में न मारने का संकल्प लिया। ग्रामवासियों को समझाया गया कि वंश, विरासत, मोक्ष के नाम पर बेटियों को कोख में न मारा जाए। लोगों को पावर पाॅइंट प्रजेन्टेशन व विडियो के माध्यम से बेटियों को कोख में मारने के अपराध और बचाने के प्रयासों की पूरी हकीकत दिखाई गई। कार्यक्रमों में आमजन ने भी सक्रियता दिखाते हुए बढ चढ कर भागीदारी निभाई।
ग्रामीणों को पहली बार बेटियों, लिंगानुपात व कन्या भ्रूण हत्या से जुडे तथ्यों के बारे मेें पता चला। बाल लिंगानुपात की चिंताजनक स्थिति, कम लिंगानुपात के कारणों, अभियान की जानकारी, लिंग चयन, कन्या भ्रूण हत्या के अर्थ के बारे में, पीसीपीएनडीटी कानून के बारे में साधारण भाषा में, कानून के अंतर्गत प्रावधानों के बारे में, सोनोग्राफी का दुरूपयोग, सरकार द्वारा लागू किए गए कानूनों, मुखबिर योजना, डिकाॅय ऑपरेशन के बारे में विस्तार से व साधारण शब्दों में संवाद किया गया। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित किए जाने वाले इस अभियान में महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायती राज विभाग के साथ साथ शिक्षा विभाग, सहयोगी संस्था यूएनएफपीए के कार्मिक आशा सहयोगिनियों, एएनएम, आंगनवाडी कार्यकर्ता, ग्राम सेवक, शिक्षक, सरपंच, वार्ड पंच आदि ने अपना योगदान दिया।
पोषण कार्यक्रम भी जुडा बेटी पंचायत से, पोषण से देश होगा रौशन का दिया संदेश
सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर स्तर पर पोषण संबंधी समस्त घटकों की जानकारी देते हुए डैप रक्षकों द्वारा जानकारी दी जा रही है। सभी ग्राम पंचायतों में आयोजित बेटी पंचायतों में पोषण, संतुलित आहार, टीकाकरण, स्वच्छता, संतुलित आहार, स्वच्छता, हाथ धोने के तरीके, स्तनपान आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। सभी को पोषण से देष होगा रौशन का संदेश दिया गया। ग्रामवासियों को समझाया गया कि स्वस्थ नागरिको से ही सबल देश का निर्माण हो सकता है।
25, 28 सितंबर को भी होगी बेटी पंचायत:-
बेटियां अनमोल है का संदेश गांव गांव पहुंचाने के लिए जिले की 200 ग्राम पंचायतों में सितंबर माह बेटी पंचायत का आयोजन किया जाएगा। सितंबर माह की 25, 28 तारीख को भी निर्धारित कार्ययोजना के अनुसार बेटी पंचायतें आयोजित की जाएंगी। डाॅटर्स आर प्रीषियस के जन जागरूकता के दो चरण प्रदेश के काॅलेजों व स्कूलों में आयोजित की जा चुके हैं। और सितंबर माह में अधिक से अधिक ग्राम पंचायतों में कार्यक्रम आयोजित कर ग्राम स्तर तक जागरूकता फैलाई जाएगी। प्रदेश भर में 9800 ग्राम पंचायतें हैं जिनमें से प्रथम चरण में 5000 ग्राम पंचायतों में कार्यक्रम करने का लक्ष्य रखा गया है।
इन ग्राम पंचायतों में हुए कार्यक्रम:-
गोठ, मोरन, मीना कोलेता, ककराला, सीतोड, सुमेल,खेडली, कोयला, डाबर, कोली प्रेमपुरा, हिंगोटिया, उमरी, नौगांव, सलेमपुर, महुकलां, रायपुर, खेडा बाढ, रामगढ,नायपुर, बरनावदा, मेईकला, खंडेवला, पाली, पांचोलास, रवांजना डूंगर, खिजूरी, डूंगरवाडा, चितारा, सूरवाल, करमोदा, सेलु, जीनापुर, गंभीरा, खटूपुरा, नींदडदा, इसरदा, माहपुरा में बेटी पंचायत आयोजित की गई।
जिला स्तरीय अधिकारियों जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुधीन्द्र शर्मा, यूएनएफपीए कंसल्टेंट आदित्य सिंह तोमर, जिला पीसीपीएनडीटी काॅर्डिनेटर आशीष गौतम, अर्बन हेल्थ प्लानिंग कंसल्टेंट प्रतीक शर्मा, जिला आईईसी समन्वयक प्रियंका दीक्षित, नवलकिशोर अग्रवाल डीएनओं, मनोज लुहारिया जिला लेखा प्रबंधक, विमलेश षर्मा जिला आशा समन्वयक, सहित समस्त डैप रक्षकों ने अपनी नियत ग्राम पंचायतों में बेटी पंचायत में बेटियां अनमोल हैं संवाद किया और आमजन को जागरूक किया।
डेप 3 कार्यक्रम की सफलता के लिए राज्य स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक टीमों का गठन किया गया है। जिसमें राज्य स्तर पर समस्त परियोजना निदेषक, राज्य कार्यक्रम प्रबंधक, राज्य सलाहकार, कार्यक्रम अधिकारी को टीम में शामिल किया गया है। वहीं जिला स्तर पर सीएमएचओ, जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई, एनयूएचएम, वर्टीकल कार्यक्रम के कार्मिकों को, ब्लाॅक में बीसीएमओ, बीपीएम, ब्लाॅक आशा फेसिलिटेटर, पीएचसी प्रभारी, आशा सुपरवाइजर तथा ग्राम स्तर पर ग्राम विकास अधिकारी, एएनएम, आशा सहयोगनियों को शामिल किया गया है।