16 से 20 नवंबर के मध्य आयोजित 75वां वार्षिक निरंकारी संत समागम स्वयं में दिव्यता एवं भव्यता की एक अनूठी मिसाल बना जिसमें देश-विदेशों से लाखों की संख्या में पहुंचे जिसमें सवाई माधोपुर से और आसपास के गांव से श्रद्धालु भक्तों ने सम्मिलीत होकर सत्गुरु के पावन दर्शन एवं अमृतमयी प्रवचनों का आनन्द प्राप्त किया। मानवता का यह महाकुम्भ सम्पूर्ण निरंकारी मिशन के इतिहास में निश्चय ही एक मील का पत्थर रहा जो सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।
रूहानियत और इंसानियत संग-संग
इस वर्ष के समागम का मुख्य विषय रहा रूहानियत और इंसानियत संग संग समागम स्थल की ओर जाते समय स्थान-स्थान पर लगाये गये होर्डिंग्ज एवं बैनर्स में कोई भी समागम के इस बोध वाक्य को पढ़ सकता था। समागम के इस मुख्य विषय पर ही वक्ताओं ने अपने भावों को विभिन्न विधाओं के माध्यम द्वारा व्यक्त किया। सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने रूहानियत एवं इन्सानियत के संदेश पर अपने आशीर्वचना में कहा कि आध्यात्मिकता मनुष्य की आंतरिक अवस्था में परिवर्तन लाकर मानवता को सुंदर रूप प्रदान करती है हृदय में जब इस परमपिता परमात्मा का निवास हो जाता है तब अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट हो जाता है और मन में व्याप्त समस्त दुर्भावनाओं का अंत हो जाता है।
परमात्मा शाश्वत एवं सर्वत्र समाया हुआ है जिसकी दिव्य ज्योति निरंतर प्रज्ज्वलित होती रहती है जब ब्रह्मज्ञानी भक्त अपने मन को परमात्मा के साथ इकमिक कर लेता है तब उस पर दुनियावी बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। समागम के दौरान 19 नवंबर को गांधी ग्लोबल फैमिली द्वारा निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज को शांतिदूत सम्मान से विभूषित किया गया। गांधी ग्लोबल फैमिली के अध्यक्ष पदम् भूषण गुलाम नबी आजाद ने मुख्य मंच पर विराजमान सत्गुरु माता जी को यह सम्मान प्रदान किया। इस अवसर पर उनके साथ संस्था के उपाध्यक्ष पदमश्री डॉ. एस.पी वर्मा एवं सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश इन्दिरा बैनर्जी उपस्थित थी। विश्व शांतिदूत सम्मान के प्रति अपने भाव प्रकट करते हुए सत्गुरु माता सुदीक्षा जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि यह उपलब्धि इन संतों की ही देन है जो इस एक प्रभु को जानकर एकल्प के सूत्र में बंध गए हैं।