दक्षता कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षित लेबर रूम में दे रहें सेवाएं
परंपरागत तरीकों के स्थान पर नए साक्ष्य आधारित तरीकों से प्रसव करवाने संबंधी दक्षता कार्यक्रम के परिणाम अब जमीनी स्तर पर रंग लाते दिखाई दे रहे हैं। लेबर रूम में कार्यरत चिकित्साकर्मियों के सशक्त स्किल के लिए जिले में दक्षता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। चिकित्साकर्मियों की इसी दक्षता के बदौलत चिकित्सा संस्थानों पर करवाए जाने वाले प्रसवों की गुणवत्ता में वृद्धि हो रही है। दक्षता कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है।
क्या है दक्षता कार्यक्रम
दक्षता कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर 30 अप्रैल 2015 को और राज्य स्तर पर 20 जून 2015 को शुरू किया गया था। इसके अंतर्गत चिकित्सा संस्थानों पर कार्यरत स्टाफ को प्रशिक्षण द्वारा अधिक दक्ष बनाया जाता है उन्हें पारंपरिक तरीकों में बदलाव कर नवीन एवं साक्ष्य आधारित तरीकों द्वारा प्रसव की ट्रेनिंग दी जाती है जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाई सके। जिले में भी प्रसव कक्षों के हालातों को सुधारना, संक्रमण हेतु सभी आवश्यक उपाय करना एवं लेबर रूम को भारत सरकार द्वारा निर्देषित गाइडलाइन के अनुसार संचालित किया जाना शामिल है। राज्य सरकार द्वारा संचालित दक्षता कार्यक्रम में चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिनमें प्रशिक्षण, संसाधनों की उपलब्धता, लगातार नवीन विधियों को प्रचलन में लाना और जिला स्तर से समय समय पर निगरानी किया जाना शामिल है।
प्रशिक्षण में कॉम्प्लिकेशन मैनेजमेंट, बर्थ एसपेक्सिया, पीपीएच, एपीएच, सीवियर प्री एक्लेम्शिया, पार्टोग्राफ, लेबर की चार स्टेज, ड्रग, बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, न्यू बोर्न रिसेसिटेशन, लेबर रूम ऑर्गेनाइजेशन के बारे में जानकारी दी जाती है।
हर माह होती है निगरानी:
डॉ. काकोली ने बताया कि जिला स्तर पर सभी चिन्हित चिकित्सा संस्थानों का प्रति माह निरीक्षण किया जा रहा है इसी क्रम में सोमवार को जिला अस्पताल लेबर रूम में मोनिटरिंग सुपरविजन विजिट किया गया। विजिट के दौरान पूर्व में दक्षता कार्यक्रम के दौरान दिए गए प्रशिक्षण का सुपरविजन किया जा रहा है कि किस प्रकार प्रशिक्षित स्टाफ अपने स्किल्स को प्रयोग में ला रहा है। स्टाफ से डमी पर भी प्रयोग करवा कर देखा जा रहा है। साथ ही हाइपरटेंसिव डिसऑर्डर का प्रशिक्षण भी दिया गया जिसमें दक्षता के तहत प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मियों ने भाग लिया। उन्हें प्री एक्लेम्शिया व एक्लेम्शिया के बारे में व प्रसव के दौरान उसके प्रबंधन की जानकारी दी गई।
जिले में अब तक 88 चिकित्सा कर्मी प्रशिक्षित:
जिले के आठ सर्वाधिक प्रसव भार वाले चिकित्सा संस्थानों के 88 चिकित्सा कर्मियों को दक्षता के अंतर्गत प्रशिक्षित किया गया है। इन्हें कुल 8 बैचों में प्रशिक्षित किया गया है यह प्रशिक्षण हेल्थ पार्टनर जपाइगो के ट्रेनर डॉ. रविन्द्र, डॉ. राम व डॉ. काकोली द्वारा दिया गया है। प्रशिक्षण पाने वालों में चिकित्सा अधिकारी प्रभारी, बाल रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ, एलएचवी, जीएनएम, एएनएम शामिल हैं। जिला अस्पताल सवाई माधोपुर, उप जिला अस्पताल गंगापुरसिटी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खंडार, बौंली, बामनवास, वजीरपुर, चौथ का बरवाड़ा, मलारना डूंगर को इसमें शामिल किया गया है।
स्किल्स और आत्मविश्वास में हुआ इजाफा
प्रशिक्षित कार्मिकों का कहना है प्रसव में दक्षता हासिल करने से उनका आत्मविश्वास बढा है। जिन समस्याओं का समाधान पूर्व में पता नहीं था उनकी जानकारी और प्रशिक्षण के बाद गर्भवतियों व नवजात को बेहतर तरीके से सेवाएं दे पा रहे हैं।