देश के बहुचर्चित ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में राजस्थान के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर शुरू से ही जयपुर के एसएमएस अस्पताल के आरोपी चिकित्सकों को बचाने का काम कर रहे है। चिकित्सा मंत्री के प्रयासों को मेरे ब्लॉग में लगातार उजागर किया जा रहा है। अब जानकारी मिली है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी अपनी सरकार के चिकित्सा मंत्री की कार्यशैली से खुश नहीं है। सूत्रों की माने तो सीएम शर्मा चाहते हैं कि मामले में दोषी चिकित्सकों को नौकरी से बर्खास्त किया जाए। ताकि ऑर्गन ट्रांसप्लांट में हुए भ्रष्टाचार के मामले में सख्त संदेश जाएगा। सीएम शर्मा भी मानते हैं कि जब जयपुर के नामी अस्पतालों में सरकारी एसएमएस अस्पताल की फर्जी एनओसी से ऑर्गन ट्रांसप्लांट हो रहे थे, तब जिम्मेदार चिकित्सक क्यों खामोश रहे? एक हजार से भी ज्यादा फर्जी एनओसी पर ट्रांसप्लांट हो और सरकारी डॉक्टरों को खबर न लगे ऐसा नहीं हो सकता।
सूत्रों के अनुसार चिकित्सा मंत्री खींवसर ने एसएमएस अस्पताल के प्राचार्य राजीव बगरहट्टा और अधीक्षक अचल शर्मा का इस्तीफा स्वीकार कर न्यायपूर्ण काम नहीं किया है। मालूम हो कि डॉक्टरों के इस्तीफे से पहले चिकित्सा मंत्री 2 मई को एसएमएस अस्पताल पहुंचे थे और आरोपी चिकित्सकों को क्लीन चिट दी थी। अब सीएम शर्मा अपने चिकित्सा मंत्री की कार्यशैली से खुश नहीं है। चूंकि सीएम शर्मा इन दिनों लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रचार के लिए दूसरे राज्यों में व्यस्त है, इसलिए उसकी मुलाकात अपने चिकित्सा मंत्री से नहीं हो रही। अलबत्ता सीएम ने अपनी मंशा चिकित्सा मंत्री तक पहुंचा दी है। मालूम हो कि इस मामले में आरयूएचएस के कुलपति डॉक्टर सुधीर भंडारी भी संदेह के घेरे में है। भंडारी ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है, ऐसे में डॉक्टर भंडारी का मामला राज्यपाल कलराज मिश्र के पास पहुंच गया है। हो सकता है कि राज्यपाल की कार्यवाही से पहले ही डॉ. भंडारी भी कुलपति के पद से इस्तीफा दे दें। (एसपी मित्तल, ब्लॉगर)