दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कारजी आलनपुर में चातुर्मास कर रहे आचार्य सुकुमालनंदी ने प्रवचन के दौरान श्रावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भूतकाल कचरे के डिब्बे क समान है। जिसे बीत जाने पर भूल जाना चाहिए, वर्तमान काल समाचार पत्र की तरह है जिसे संवारना चाहिए तथा भविष्य काल प्रश्न पत्र के समान है जिसके लिये वर्तमान में तैयारी करनी चाहिए। उन्होनें कहा कि जिस प्रकार परमाणु से छोटी कोई चीज नहीं होती, आसमान से बड़ी कोई चीज नहीं होती उसी प्रकार धर्म से बढकर कुछ नहीं होता। अहिंसा मय धर्म से ही शांति सम्भव है।
वर्षायोग समिति के प्रचार प्रसार मंत्री प्रवीण कुमार जैन ने बताया कि धर्म सभा का शुभारम्भ केसरियाजी (उदयपुर) से आए बाहुवली गढिया एवं अहमदाबाद के प्रकाश चन्द जैन ने भगवान महावीर की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया। वहीं अजीत बडजात्या ने धर्मसभा के मंच का संचालन करते हुए मंगलचरण की शानदार प्रस्तुती दी। धर्मसभा के मंच पर मुनि सुनयनंदी एवं ऐलक सुलोकनंदी भी विराजमान थे।
इस दौरान स्थानिय श्रावकों सहित निवाई, बूंदी, जयपुर, जोधपुर, भीलवाड़ा एवं मुम्बई के श्रावकगण भी मौजूद थे।
सम्मान समारोह आयोजित:
सकल दिगम्बर समाज द्वारा वर्षायोग समिति के तत्वावधान में शिक्षक दिवस के अवसर पर समाज के शिक्षक- शिक्षिकाओं का सम्मान समारोह आलनपुर स्थित चमत्कारजी के वर्षायोग पाण्डाल में विगत संध्या ( 5 सितम्बर की सांयकाल) भव्यतापूर्वक आयोजित किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि कैलाश चन्द जैन श्रीमाल एडवोकेट थे। जिनका वर्षायोग समिति के अध्यक्ष डॉ. शिखर चन्द जैन, स्वागताध्यक्ष व समाज अध्यक्ष पदम कुमार छाबडा तथा कार्याध्यक्ष चन्द्रप्रकाश छबडा ने आत्मीय अभिनन्दन करते हुए मंच पर आसीन होकर साथ दिया।
वर्षायोग समिति के प्रचार प्रसार मंत्री प्रवीण जैन ने बताया कि सम्मान की श्रंखला को आगे बढाते हुए तालियों की गूंज के बीच समाजे के 25 शिक्षक-शिक्षिकाओं का तिलक लगा, माल्यार्पण कर, दुपट्टा ओढाकर , साफा बांध कर एवं उपहार देकर वर्षायोग समिति के नेतृत्व में समाज के गणमान्य व्यक्तियों ने सम्मानित किया और जिनेन्द्र देव से उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। साथ ही सभी ने आचार्य सुकुमालनंदी से आशीर्वाद लिया।
इस मौके पर आचार्य सुकुमालनन्दी ने अपने सम्बोधन में कहा कि शिक्षक वही होता है जो बच्चों की धर्म और नैतिकता की शिक्षा दे। शिक्षक का काम बच्चों की संस्कार देना है। शिक्षक माता के समान अपने शिष्यों का तरानहारा होता है। उन्होंने कहा कि बाधाओं की जीत सके वही जवानी है, चट्टानों से टकरा सके वहीं पानी है, यू तो बहुत सारे शिक्षक है दुनिया में लेकिन जो विद्यार्थी को संस्कार दे वही शिक्षक की निशानी है। शिक्षक देश का सुनहरा भविष्य है। एक शिक्षक का सम्मान दस पीढी के सम्मान तुल्य होता है।
समाज के लोगों ने आयोजन की खूब सराहना की। इस दौरान समारोह के पाण्डाल में समाज के गणमान्य महिला-पुरूष काफी संख्या में मौजूद थे।