रणथंभौर नेशनल पार्क में 30 जनवरी की शाम टाइगर टी 85 पैकमैन का शव मिलने से वन विभाग में हड़कंप मच गया।
सूत्रों के अनुसार टाइगर का शव 2 से 3 दिन पुराना है जिसमें दुर्गंध आने लगी थी। वन विभाग के कर्मचारियों को खंडार रेंज के इंडाला वन क्षेत्र में बीच रास्ते में टाइगर का शव पड़ा हुआ मिला। शव पड़ा होने की सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और शव को कब्जे में लेकर राजबाग चौकी पर रखवाया। जहां उसका 31 जनवरी को पोस्टमार्टम कर शव का दाह संस्कार कर दिया गया।
टाइगर के मौत के कारणों का वन विभाग द्वारा अभी तक कोई खुलासा नहीं किया गया। लेकिन यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि अन्य टाइगर से आपसी लड़ाई की वजह से इस टाइगर की मौत हुई है।
वन विभाग के अधिकारियों का यह भी मानना है कि दूसरा टाइगर टी 20 भी लड़ाई में बुरी तरह घायल हुआ होगा। वन विभाग के अधिकारी दूसरे टाइगर की तलाश में जुटे हुए हैं। रणथंभोर नेशनल पार्क मे मछली की बेटी कृष्णा का दूसरे प्रसव के दौरान इस बाघ का जन्म हुआ था। 2014 में टाइगर पैकमैन की पहली साइटिंग हुई थी और उस दौरान ये पदम तालाब राजबाग मलिक तालाब के आसपास विचरण करता था। बाद में अपनी स्वतंत्र टेरिटरी बनाने के लिए टाइगर पैकमैन खंडार की ओर विचरण करने लग गया।
जिस तरह बीच सड़क पर टाइगर टी 85 का शव बरामद हुआ, उससे वन विभाग की पेट्रोलिंग पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। टाइगर का शव 2 से 3 दिन पुराना प्रतीत हो रहा है ऐसे में सवाल यह उठता है कि वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा किस तरह की गश्त की जाती है और वन्यजीव की किस तरह की मानिटरिंग की जाती है। टाइगर टी 85 की मौत को लेकर कर्मचारियो द्वारा की जाने वाली निगरानी को लेकर इसकी जांच की जानी चाहिए।