सरकारी स्कूलों में शिक्षक बनने का ख्वाब देख रहे प्रदेश के युवाओं को 2 वर्षीय बीएड, 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बीए बीएड और बीएससी बीएड कोर्सेज में दाखिले के लिए पहले पीटीईटी का एग्जाम देना होता है। उसके बाद बीएड कोर्स, फिर रीट एग्जाम और आखिर में मुख्य परीक्षा से गुजर कर स्कूल में शिक्षक बनने का सपना पूरा होता है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में अभ्यर्थियों के कई साल गुजर जाते है और सफल होने वाले अभ्यर्थियों का प्रतिशत में महज 10 फीसदी ही है। बाकी 90 फीसदी अभ्यर्थियों को मायूसी ही हाथ लगती है। ऐसे में अब प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने अभ्यर्थियों का समय व्यर्थ ना हो, इस उद्देश्य से एक प्लान तैयार किया है। जिसके तहत ना तो छात्रों को रीट की परीक्षा देनी होगी और ना ही कई साल बर्बाद करने होंगे। बीएड से पहले ही महज एक परीक्षा देकर वो अपना भविष्य तय कर सकेंगे। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि उनका जो प्लान है, उसके अनुसार युवाओं के 5 साल बेकार ना हों।
पहले उन्हें बीएड के लिए प्रतियोगिता परीक्षा देनी होती है। उसके बाद बीएड और फिर रीट और मुख्य परीक्षा देनी होती है, तब जाकर नौकरी लगती है। जितने लोग बीएड करते हैं सभी को नौकरी मिल भी नहीं पाती। अधिकतर को तो करियर के दूसरे क्षेत्र में भाग्य आजमाने का भी मौका नहीं मिल पाता। ऐसे में युवाओं का समय बर्बाद ना हो और एक प्रतियोगिता परीक्षा देने के बाद ही ये तय हो जाए कि उन्हें नौकरी मिलेगी या नहीं। उन्होंने बताया कि यदि बीएड किए बिना अभ्यर्थी परीक्षा में भाग लेगा तो परीक्षा में सफल होने पर उसे बीएड करने के लिए समय दिया जाएगा और यदि बीएड किया हुआ अभ्यर्थी परीक्षा में सफल होता है तो उसे सीधे नौकरी दी जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि बीएड से पहले एक कंपटीशन एग्जाम होगा। इस कंपटीशन एग्जाम की मेरिट ग्रेड और विषय वार बनाई जाएगी। इस एक प्रतियोगिता परीक्षा से ये क्लियर हो जाएगा कि अभ्यर्थी शिक्षक बनेगा या नहीं। हालांकि, इसके लिए पहले लीगल राय ली जाएगी। एक्सपर्ट से भी बातचीत कर रहे हैं। सबसे बातचीत करने के बाद जो न्याय संगत होगा, वहीं कदम उठाया जाएगा ताकि नियमों का उल्लंघन की बात कहकर कोई कोर्ट से स्टे नहीं ले पाए।