सवाई मानसिंह सेंचुरी में गत अप्रेल माह में हुई दो बाघों की मौत जहर से हुई थी। दोनों बाघों की मौत के कारणों की बरेली से आई इस जांच रिपोर्ट से वन विभाग में बवाल मच गया है। जांच रिपोर्ट ने वन विभाग द्वारा दोनों बाघों की मौत पर डाले गए पर्दे को हटा दिया है। रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि दोनों बाघों की मौत का जिम्मेदार अन्य कोई टाइगर नहीं बल्कि उन्हें जहर खिलाकर मारा गया है।
मानसिंह सेंचुरी में बाघिन टी-79 के दो नर बाघों (शावक) की गत अप्रैल माह में एक साथ मौत हो गई थी। दोनों के शव वनकर्मियों को सेंचुरी के फलौदी रेंज के आमन्ड की चौकी के पास खरड़ वन क्षेत्र में मिले थे। एक बाघ के पेट में गहरा घाव सा था. दूसरे के शरीर पर कोई निशान नहीं थे। मृत दोनों बाघों की उम्र डेढ़ से दो साल के बीच थी। तब वन अधिकारियों ने स्पष्ट किया था कि दोनों बाघों की मौत किसी अन्य बाघ से संघर्ष में हुई है। इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ पूर्व में मुकदमा भी दर्ज करवाया गया था।
तीन लेबोरेट्री में भेजा गया था विसरा:
मृत बाघों के विसरा जांच के लिए तीन अलग-अलग लेबोरेट्री में भेजा गया। इसमें चेन्नई से आई जांच रिपोर्ट में कुछ भी स्पष्ट नहीं हो सका लेकिन उत्तर प्रदेश के आईवीआरआई इज्जतनगर (बरेली) से आई जांच रिपोर्ट ने वन विभाग में हड़कंप मचा दिया है। बरेली से आई रिपोर्ट में साफ तौर पर स्पष्ट कहा गया कि दोनो बाघों की मौत विषाक्त के सेवन से हुई है। इस जांच रिपोर्ट से वन अधिकारियों के चेहरे की हवाइयां उड़ गई हैं।
पहले फौरी कार्रवाई, अब जांच कमेटी:
दो शावक बाघों की मौत के इस मामले में तत्कालीन तीन अधिकारियों डीएफओ बीजू जाय, एसीएफ संजीव शर्मा तथा रेंजर तुलसीराम को प्रारभिंक तौर पर दोषी मानकर उनका तबादला कर दिया गया था। अब जब अधिकारियों की मिलीभगत का पर्दाफाश हुआ है तब मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक जीवी रेड्डी ने एक जांच कमेटी का गठन किया है यह कमेटी दोनों बाघों की मौत के कारणों की जांच रिपोर्ट देगी। हालांकि अभी भरतपुर से एक और रिपोर्ट आने का इंतजार है लेकिन बरेली से आई जांच रिपोर्ट ने वन अधिकारियों की कलई खोल के रख दी है।