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राजस्थान में कांग्रेस – बीजेपी के लिए मुसीबत बन सकती हैं ये छोटी पार्टियां

Rajasthan Assembly Election 2023 जयपुर:- राजस्थान में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में छोटी पार्टियां बीजेपी एवं कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए मुसीबत बन सकती हैं। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और भारतीय आदिवासी पार्टी ने चुनाव से पहले एक मोर्चा बनाने की शुरुआत  की है।

 

यदि यह मोर्चा बन जाता है, तो चुनावी सियासत पर दोनों ही पार्टियों पर इसका गहरा असर पड़ेगा। राजस्थान चुनाव में पिछली बार छोटी राजनीतिक पार्टियों को कम से कम 10-15 प्रतिशत मत मिले थे। इस मत के बल पर ये पार्टियां गेम चेंजर का काम कर सकती है। राजस्थान विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और कांग्रेस एवं बीजेपी ने उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी है। दोनों ही पार्टियां चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगा रही है।

 

small political parties can become a problem for Congress and BJP in Rajasthan

 

 

ऐसे में अब इन छोटी – छोटी  पार्टियों ने कांग्रेस और बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है। साल 2018 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में इन छोटी पार्टियों ने 14 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। चुनाव में 13 निर्दलीय प्रत्याशी भी विजयी हुए थे। इस बार छोटी पार्टियों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। बीजेपी और कांग्रेस के सहयोगी रही ये छोटी पार्टियां एक मोर्चा बनाने की कोशिश में लगी हुई है।

 

 

 

छोटी पार्टियों ने नया मोर्चा बनाने की शुरू की कवायद:-

 

बीजेपी के पहले सहयोगी रहे जाट नेता हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) एवं कांग्रेस की पूर्व सहयोगी रही भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) के साथ मोर्चा बनाने की कवायद शुरू की है। साल 2018 के विधानसभा चुनावों के आंकड़ों से संभावित मोर्चे की ताकत का पता लगाया जा सकता है। पिछले चुनाव में राजस्थान में बीएसपी ने छह सीटों पर जीत हासिल की थी और उसे 4 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने 2.4 फीसदी मत के साथ तीन सीटों पर जीत हासिल की थी।

 

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल का कहना है कि वह बीएसपी एवं बीएपी के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत कर रहे हैं। सीट बंटवारे को लेकर आपसी सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है। यह मोर्चा राज्य में कांग्रेस एवं बीजेपी के प्रभुत्व को खत्म करने का काम करेगा और इसकी राज्य की जरूरत है।

 

कांग्रेस – बीजेपी को चुनौती देने का प्लान:-

जानकारी के अनुसार बेनीवाल ने करीब 125 विधानसभा क्षेत्रों के लिए “सत्ता परिवर्तन संकल्प” यात्रा आरंभ की है। इस यात्रा का समापन 29 अक्टूबर को पार्टी के स्थापना दिवस पर होगा और इस अवसर पर एक रैली का भी आयोजन किया जाएगा। कृषि कानूनों को लेकर हनुमान बेनीवाल और बीजेपी की दूरी बढ़ गई थी और उन्होंने पार्टी नाता तोड़ लिया था।

 

उसके बाद बेनीवाल ने खींवसर विधानसभा उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की। बेनीवाल ने बताया कि उनका कहना है कि वे लोग सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। साल 2018 में आरएलपी ने 58 सीटों प्रतिद्वंद्विता की थी और 3 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि यह पार्टी दो सीटों पर दूसरे स्थान और 24 सीटों पर तीसरे स्थान हासिल की थी।

 

 

वहीं, बीएसपी ने साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 189 सीटों पर प्रतिद्वंद्विता की थी और 6 सीटों पर जीत हासिल की थी। इन पार्टियों के अतिरिक्त असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम एवं आम आदमी पार्टी भी कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने की योजना बना रही है।

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