Tuesday , 1 April 2025
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सहकारिता मंत्री के आदेशों की पालना में रजिस्ट्रार ने कसा सिकंजा 

जयपुर: रजिस्ट्रार, सहकारिता मंजू राजपाल ने सहकारी सोसायटियों के गठन, उनके द्वारा किये गये कारोबार और वित्तीय अनियमितताओं और फ*र्जीवाडे को रोकने तथा सोसायटियों के प्रभावी संचालन को सुनिश्चित करने के लिये सहकारी अधिनियम के तहत धारा-55 एवं 57 के तहत त्वरित कार्यवाही करने के निर्देश दिये ताकि सहकारी सोसायटियों के गठन से मिलने वाले लाभों से उनके सदस्य वंचित न रहें।

The registrar tightened its grip on following the orders of the Cooperative Minister in Jaipur
सहकारिता मंत्री की समीक्षा बैठक का असर:
सहकारिता राज्य मंत्री गौतम कुमार दक द्वारा माह अक्टूबर में की गई सहकारी अधिनियम के तहत धारा-55 एवं 57 के तहत समीक्षा के दौरान लम्बे समय से पेंडिंग चल रही जांचों को निर्धारित समय सीमा में पूर्ण करने के निर्देश दिये थे। राजपाल ने सहकार भवन स्थित कमेटी रूम से रिव्यू करने के बाद बताया कि अक्टूबर माह में धारा-55 के 242 प्रकरण लंबित थे, जिनमें से 67 प्रकरणों में जांच पूरी कर जांच परिणाम जारी कर दिये गये हैं। इसी प्रकार धारा-57(1) के 318 प्रकरणों में से 91 प्रकरणों में जांच पूरी कर ली गई है और धारा-57(2) के 232 प्रकरणों में से 89 प्रकरणों में सरचार्ज निर्धारित कर दिया गया है।
सहकारिता रजिस्ट्रार ने बताया कि एक माह की अवधि में भी जिन अधिकारियों ने कोई जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है या जांच परिणाम जारी नहीं हुए हैं उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि सहकारी सोसायटियों में किसी प्रकार की अनियमितता या कोताही को स्वीकार नहीं किया जायेगा। जांच में देरी होना अप्रत्यक्ष रूप से दोषी व्यक्ति को प्र्रश्रय देने के समान होता है, जिससे सोसायटियों का संचालन प्रभावित होता है और सदस्य सहकारिता की योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं।
धारा-55 में जांच: 
किसी भी सहकारी सोसायटी के संचालक मण्डल के निर्णय या सोसायटी के 10 प्रतिशत सदस्यों के आवेदन पर सोसायटी के गठन, कारोबार और वित्तीय स्थिति के बारे में धारा-55 में जांच करवाई जा सकती है। यदि सोसायटी में अनियमितता संबंधी प्रकरण रजिस्ट्रार के संज्ञान में आता है तब रजिस्ट्रार द्वारा स्वप्रेरणा से जांच करवा सकता है।
धारा-57 में सरचार्ज:
किसी भी सहकारी सोसायटी के संगठन या प्रबंधन में भाग लेने वाले अधिकारी/कर्मचारी द्वारा यदि नियमों या उपविधियों के विरूद्ध कार्य किया हो, सोसायटी की आस्तियों में कमी कर दी हो या सोसायटी के धन का दुरूपयोग कर लिया हो या उसको ह*डप लिया हो, ऐसे अधिकारी, कर्मचारी या पदाधिकारी के विरूद्ध धारा 57 में आचरण की जांच कर दायित्व का निर्धारण किया जाता है।

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