Monday , 1 July 2024
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यह कांग्रेस की नहीं, अशोक गहलोत की शिकस्त – ओएसडी लोकेश शर्मा

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के परिणामों में कांग्रेस 5 राज्यों में से सिर्फ तेलंगाना में सरकार बनाने में सफल हुई और चारों खाने चित्त हो गई। राजस्थान की जनता ने राज बदल दिया, लेकिन रिवाज नहीं बदला। ऐसे में कांग्रेस की हार को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकश शर्मा का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने हार का जिम्मेदार अशोक गहलोत को ही बता दिया।
This is not the defeat of Congress, but of Ashok Gehlot - OSD Lokesh Sharma
लोकेश शर्मा ने एक्स पर लिखा- लोकतंत्र में जनता ही माई-बाप है और जनादेश शिरोधार्य है, विनम्रता से स्वीकार है।
मैं नतीजों से आहत जरूर हूं, लेकिन अचंभित नहीं हूं। कांग्रेस पार्टी राजस्थान में निःसंदेह रिवाज बदल सकती थी लेकिन अशोक गहलोत कभी कोई बदलाव नहीं चाहते थे। यह कांग्रेस की नहीं बल्कि अशोक गहलोत की शिकस्त है। गहलोत के चेहरे पर, उनको फ्री हैंड देकर, उनके नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा और उनके मुताबिक प्रत्येक सीट पर वे स्वयं चुनाव लड़ रहे थे। न उनका अनुभव चला, न जादू और हर बार की तरह कांग्रेस को उनकी योजनाओं के सहारे जीत नहीं मिली और न ही अथाह पिंक प्रचार काम आया। तीसरी बार लगातार सीएम रहते हुए गहलोत ने पार्टी को फिर हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया। आज तक पार्टी से सिर्फ लिया ही लिया है लेकिन कभी अपने रहते पार्टी की सत्ता में वापसी नहीं करवा पाए गहलोत। आलाकमान के साथ फरेब, ऊपर सही फीडबैक न पहुंचने देना, किसी को विकल्प तक न बनने देना, अपरिपक्व और अपने फायदे के लिए जुड़े लोगों से घिरे रहकर आत्ममुग्धता में लगातार गलत निर्णय और आपाधापी में फैसले लिए जाते रहना, तमाम फीडबैक और सर्वे को दरकिनार कर अपनी मनमर्जी और अपने पसंदीदा प्रत्याशियों को उनकी स्पष्ट हार को देखते हुए भी टिकट दिलवाने की जिद। आज के ये नतीजे तय थे। मैं स्वयं मुख्यमंत्री को यह पहले बता चुका था, कई बार आगाह कर चुका था लेकिन उन्हें कोई ऐसी सलाह या व्यक्ति अपने साथ नहीं चाहिए था जो सच बताए।
मैं 6 महीने लगातार घूम-घूम कर राजस्थान के कस्बों-गांव-ढाणी में गया, लोगों से मिला, हजारों युवाओं के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किये, लगभग 127 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए ग्राउंड रिपोर्ट मुख्यमंत्री को लाकर दी, ज़मीनी हक़ीकत को बिना लाग-लपेट सामने रखा ताकि समय पर सुधारात्मक कदम उठाते हुए फैसले किये जा सकें जिससे पार्टी की वापसी सुनिश्चित हो। मैंने खुद ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, पहले बीकानेर से फिर सीएम के कहने पर भीलवाड़ा से, जिस सीट को हम 20 साल से हार रहे थे। लेकिन ये नया प्रयोग नहीं कर पाए और बीडी कल्ला  के लिए मैंने 6 महीने पहले बता दिया था कि वे 20 हजार से ज्यादा वोट से चुनाव हारेंगे और वहीँ हुआ। अशोक गहलोत के पार्ट पर इस तरह फैसले लिए गए कि विकल्प तैयार ही नहीं हो पाए। 25 सितंबर की घटना भी पूरी तरह से प्रायोजित थी जब आलाकमान के खिलाफ विद्रोह कर अवमानना की गई और उसी दिन से शुरू हो गया था खेल।

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