उपमुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा का कहना है ऐसे कॉलेज का रिव्यू किया जा रहा है। कांग्रेस सरकार में राजस्थान कॉलेज एजुकेशन सोसायटी (राजसेस) के तहत खोले गए करीब 100 कॉलेज वर्तमान सरकार मर्ज या बंद कर सकती है। इनमें कई खामियां मिली हैं। सरकार की एक हाई पावर कमेटी ऐसे 303 कॉलेजों का रिव्यू करेगी। इसमें संयोजक कोटा ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर कैलाश सोडानी व 6 सदस्य हैं। कमेटी स्टूडेंट्स की संख्या, कॉलेज की क्षेत्र में जरूरत और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कॉलेजों की जांच कर रिपोर्ट 30 दिन में सरकार को सौंपेगी। सरकार ने एक ‘इंटरनल रिपोर्ट’ भी तैयार कराई है। जिसमें सामने आया है कि कांग्रेस सरकार ने बिना जरूरत कॉलेज खोले। अब इनका संचालन छात्र व सरकार दोनों के हित में नहीं है। इस मामले पर कांग्रेस सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री और अब भाजपा में शामिल हो चुके राजेंद्र यादव का कहना है कि उस समय के हिसाब से निर्णय किए थे। कुछ कमी रह गई होगी तो रिव्यू हो जाएगा। अब नई सरकार जो निर्णय ले रही है, ठीक ले रही है। रिव्यू करके कुछ अच्छा ही निर्णय होगा। वहीं, डिप्टी सीएम व उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. प्रेमचंद बैरवा का कहना है कि छात्रों के बेहतर भविष्य को देखते हुए सरकार राजसेस के कॉलेजों का रिव्यू करवा रही है। कांग्रेस सरकार ने अंतिम 2 साल में कॉलेज की संख्या तेजी से बढ़ाई। इनमें करीब 60 ऐसे हैं जिनके 5 किलोमीटर दायरे में पुराना स्थापित कॉलेज है। इस वजह से नए कॉलेजों में एनरोलमेंट कम है। लगभग 70 कॉलेज ऐसे हैं जिनमें छात्र संख्या 100 से कम है। कई में 50 से भी कम, आधे से ज्यादा नए कॉलेजों में औसत 300 छात्रों की संख्या पूरी नहीं। स्टूडेंट्स को 30 अंक सेशनल दिए जाते हैं। नए कॉलेजों में इन अंकों के लिए पुराने कॉलेजों से टीचर्स भेजने पड़ते हैं। कुछ को छोड़ ज्यादातर में साइंस की पढ़ाई नहीं हो रही, इनमें लैब भी नहीं है।
फंड की किल्लत: इन कॉलेजों में न विकास समिति है न स्टूडेंटस फंड, बिल्डिंग की बिजली, पानी, रिम के कागज तक के लिए भी फंड की दिक्कत है।
जहां एनरोलमेंट कम व पास में पुराना कॉलेज, वे मर्ज होंगे
सरकार ऐसे कॉलेजों को मर्ज या बंद करने की तैयारी में है, जहां एनरोलमेंट बेहद कम है। ऐसे कॉलेज जो पुराने या स्थापित कॉलेज से काफी कम दूरी पर हैं। उन्हें नजदीकी और पुराने कॉलेजों में मर्ज किया जा सकता है। इसके अलावा पंचायत स्तर पर खुले कॉलेज भी इनमें शामिल हो सकते हैं। वहीं अलग से 116 गर्ल्स कॉलेज खोले गए हैं, इन कॉलेजों में ज्यादातर एनरोलमेंट नहीं, ऐसे में उन्हें काॅमन कॉलेज के साथ मर्ज कर दिया जाएगा। इनमें से जिनकी जरूरत नहीं होगी, उन्हें बंद करने का निर्णय हो सकता है।
कॉलेज 303, इनमें 278 किराए की बिल्डिंग में
303 कॉलेजों में से सिर्फ 25 यानी 10 प्रतिशत से भी कम के पास अपनी खुद की बिल्डिंग है। 278 किराए की बिल्डिंग में चल रहे हैं। जबकि सिर्फ 16 ऐसे हैं, जिनकी नई बिल्डिंग बन गई है, मगर उनमें शिफ्टिंग ही नहीं हुई है। इन कॉलेजों के लिए कोई स्थाई शिक्षकों का प्रावधान नहीं है। विद्या सम्बल योजना और अस्थाई शिक्षकों के भरोसे पढ़ाई चल रही है, शिक्षकों की तनख्वाह देने का भी संकट।