चार साल का एक बच्चा अपने स्कूल से ना जाने किस तरह बाहर आकर पुलिस लाइन चौराहे पर पहुँच गया और वहां खड़ा हो कर रोने लगा। भीड़ इकठ्ठा हुई और बच्चे से उसका नाम पता पूछने की कोशिश करने लगी
कुछ ही देर बाद हाल ही में 2 साल के प्रोबेशन के बाद स्थाई हुए पुलिस के 3 कांस्टेबल शैतान सिंह गुर्जर, हरिसिंह गुर्जर और मुरारी लाल सैनी अपने निजी काम से जब वहां से गुज़र रहे थे तो मामला जानने के लिए रुके और रोते हुए बच्चे को प्यार दुलार कर बातचीत शुरू की, उसे बिस्किट खिलाए और चॉकलेट दी साथ ही कंट्रोल रूम में सूचना देने के साथ साथSawai Madhopur App को भी सूचित किया।
फिर शुरू हुआ लम्बा से एक सफ़र:
जैसे जैसे बच्चे ने बताया की उसका घर इधर है, इधर चलो वोह वहां वहां चलते गए और सूरवाल तक पहुंच गए, लेकिन बच्चा बस इधर उधर चलते रहने की बात कर रहा था, लेकिन घर का सही पता नहीं मिल पाया।
आखिरकार तीनों कांस्टेबलों ने बच्चे को मानटाउन ठाने लाने का फ़ैसला करते हुए सूरवाल से निकल पड़े।
लगभग 25 किलोमीटर घूमने के बाद पुलिस लाइन से आगे चलने के बाद सामने से आ रहे सवाई माधोपुर एप के टीम मेम्बर को देख कर तीनों ने गाड़ी रोक ली और स्थिति बताई, जब टीम मेम्बर ने वहीं से उस बच्चे को फेसबुक पर लाइव दिखाने की तैयारी कर ही ली थी कि उतनी ही देर में स्कूल की टीचर भागते हुए आई और बच्चे को गोद में उठा लिया।
स्कूल के एक स्टाफ़ ने बताया की आज ही बच्चे के पेरेंट्स उसके एडमिशन के लिए आए थे और बच्चे को स्कूल में छोड़ कर कुछ काम से बाजार चले गए थे। इसी दौरान बच्चा स्कूल से कब और निकल गया पता ही नहीं चला। स्कूल का स्टाफ़ भी बच्चे को काफी देर से ढूंढ रहा था। आखिरकार बच्चे को सही सलामत पा कर स्कूल के स्टाफ़ और बच्चे के पेरेंट्स की जान में जान आई और उन्होंने तीनों जवानों का शुक्रिया अदा किया।
यदि राजस्थान पुलिस के सभी जवानों में इस प्रकार की भावना अपने करियर के दौरान हमेशा रहे तो फिर उनका दिया हुवा नारा “आमजन में विश्वास –अपराधियों में भय” वह सही मायने में जनता के सामने प्रस्तुत कर सकेंगे।