बच्चों में आंत के कृमि संक्रमण के खतरे को कम करने हेतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग (आई.सी.डी.एस.), यूनिसेफ एवं एविडेंस एक्शन के सहयोग से 8 फरवरी को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से आयोजित एक राष्ट्रव्यापी आंगनबाड़ी तथा स्कूल आधारित कृमि मुक्ति कार्य क्रम है।
8 फरवरी को राज्य के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों और राजकीय एवं निजी विद्यालयों में 1 से 19 वर्ष के सभी बच्चों के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (नेशनल डिवर्मिंग डे) आयोजित किया जाएगा। जो बच्चे बीमार होने या अनुपस्थित रहने के कारण 8 फरवरी को दवाई (एलबेन्डाजाॅल 400 मि.ग्रा.) नहीं ले पाएंगे उन्हें यह दवाई मॉप अप दिवस (15 फरवरी) पर दी जाएगी। प्रेस वार्ता में यह जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. टी.आर. मीना ने पत्रकारों को दी। प्रेस कांफ्रेंस में जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. महेश महेश्वरी व जिला आईईसी समन्वयक प्रियंका मौजूद रहे।
सवाई माधोपुर के स्कूलों के 342061 बच्चों व आईसीडीएस के माध्यम से 127515 बच्चों कुल 469566 बच्चों को दवा खाने के बाद खिलाई जाएगी। छोेटे बच्चों को दवा पीस कर खिलाई जाएगी व बडे बच्चों को गोली चबा कर खिलाई जाएगी। राजकीय बाॅयज स्कूल मानटाउन में सुबह 10 बजकर 30 मिनिट पर सभापति उद्घाटन करेंगी। विशिष्ट अतिथि के तौर पर पंचायत समिति के प्रधान सूरज मल बैरवा मौजूद रहेंगे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार भारत में 1 से 14 वर्ष की आयु के 22 करोड़ बच्चे आंत के कृमि के संक्रमण के जोखिम में है। कृमि संक्रमण के कारण जो पोषक तत्व बच्चों के शरीर के लिए ज़रूरी होते हैं उन्हें कृमि खा जाते हैं एवं बच्चों में रक्त की हानि, कुपोषण, और शरीर की बढ़त रुक जाने जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं।
कृमि के अत्यधिक संक्रमण के कारण बच्चे इतने बीमार या थके हुए रहने लगते हैं कि वे स्कूल में पढ़ाई पर ध्यान देने या स्कूल जाने में असमर्थ हो जाते हैं। कृमि संक्रमण से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण भविष्य में उनकी कार्यक्षमता और औसत आयु में कमी आती हैं। आंगनबाड़ी और स्कूल आधारित कृमि मुक्ति एक सुरक्षित, सरल एवं कम लागत वाला कार्यक्रम है जिससे आसानी से करोड़ों बच्चों को कृमि मुक्त किया जा रहा है।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के आने वाले चरण में राजस्थान के अधिक से अधिक निजी स्कूलों और स्कूल न जाने वाले बच्चों को इसमें सम्मिलित करने का प्रयास किया जाएगा ताकि राज्य के सभी बच्चों को कार्यक्रम का लाभ मिल सके। स्कूल न जाने वाले बच्चों(6 से 19 वर्ष) को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर आशा कार्यकर्ताओं द्वारा प्रेरित करके आंगनबाड़ी केन्द्रों में दवाई खिलाने के लिए लाया जाएगा।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम में राजस्थान के निजी विद्यालयों को फरवरी 2016 से सम्मिलित किया गया था और तब से निजी विद्यालयों में कार्यक्रम के प्रति काफी जागरूकता बढ़ी है। वर्ष 2016 में हुए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम में निजी विद्यालयों के कुल 57,55,313 बच्चों को तथा वर्ष 2017 में कुल 63,75,890 बच्चों को कृमि मुक्त किया गया था। परन्तु दोनों ही वर्ष के राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम में यह पाया गया कि बहुत से अधिक बच्चों के नामांकन वाले निजी विद्यालय इस कार्यक्रम में भाग नहीं ले रहे हैं। अतः सभी निजी विद्यालयों से आशा है कि कार्यक्रम में प्रभावी योगदान करके राज्य के लक्षित 2.41 करोड़ बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य एवं भविष्य निर्माण हेतु सहयोग करेंगे।
इस गोली का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है दवा से पेट के कृमि मरते हैं इसलिए कुछ बच्चों में जी मचलाना, उल्टी या पेट दर्द जैसे सामान्य व अस्थाई हैं। संक्रमित व्यक्ति की शौच में कृमि के अंडे होते है जो मिट्टी में विकसित हो जाते हैं। अन्य व्यक्ति संक्रमित भोजन से गंदे हाथों से या फिर त्वचा के लार्वा के संपर्क में आने से संक्रमिज हो जाते हैं। नंगे पैर चलने से गंदे हाथों से खाना खाने से या फिर बिना ढंका खाना खाने से लार्वा के संपर्क में आने से भी संक्रमण होता है। एक संक्रमित व्यक्ति में लार्वा बडे कृमि में विकसित हो जाता है और व्सक्ति की आंत में रहता है। जो कि पोषण का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृमि अपने भोजन का हिस्सा बना लेते हैं। जिससे व्यक्ति कुपोषण का शिकार हो जाता है। संक्रमण से बचाव के लिए खुली जगह में शौच नहीं कर ना चाहिए। खाने के पहले और बाद में साबुन से हाथ धोना चाहिए। और फलों और सब्जियों को खाने से पहले पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए।