Wednesday , 3 July 2024
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50 हजार की आबादी रियासतकाल से आज तक भी नाव पर निर्भर

जिले के निकटवर्ती खातौली कस्बे सहित आसपास की 10 ग्राम पंचायतों में निवास करने वाली करीब 50 हजार की आबादी आज भी चम्बल नदी पार आवागमन के लिए नाव पर निर्भर है।
हालांकि चम्बल नदी पर गेंता माखीदा पुलिया बन गई है, लेकिन 40 कि.मी. की अतिरिक्त दूरी की वजह से क्षेत्र के लोग नाव का सहारे ही सवाई माधोपुर पहुंचना ज्यादा उचित समझते हैं। वहीं झरेल के बालाजी वाली पुलिया पर भी वर्षाकाल में तीन माह के लिए आवागमन बंद रहता है। ऐसे में क्षेत्र के लोगों को चम्बल नदी के दूसरी तरफ आवागमन के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्षेत्र के लोग काफी समय से ढीपरी व झरेल के बालाजी के पास चम्बल नदी पर ऊंची पुलिया बनाने की मांग भी करते आ रहे हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने बजट भाषण में झरेल के बालाजी पर पुलिया निर्माण की घोषणा भी कि है, लेकिन यह घोषणा अभी तक फाइलों से बाहर नहीं आई है।

A population 50 thousand still depends boat travelling

जानकारी के अनुसार खातौली, जटवाड़ी, जटवाड़ा, बालूपा, केथूदा, बागली, मियाणा, निमोला, ढीपरी, तलाव आदि ग्राम पंचायतों में करीब 50 हजार की आबादी निवास करती है। कोटा की अपेक्षा सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय नजदीक होने से क्षेत्र के लोग खरीदारी करने व गंभीर बीमारी के ईलाज के लिए सवाई माधोपुर का रुख करते हैं।
क्षेत्र के लोगों ने बताया कि अठारहवां क्षेत्र इंद्रगढ़ रियासत का भाग था। इसलिए क्षेत्र के यहां निवास करने वाली आबादी की अधिकांश रिश्तेदारी इंद्रगढ़, बूंदी व सवाई माधोपुर क्षेत्र में है। रियासतकाल से आजादी के बाद आज तक भी क्षेत्र के लोगों के पास चम्बल नदी पार करने के लिए एक मात्र नाव ही सहारा है।
सुरक्षा उपकरणों के अभाव में नाव के संचालन से हमेशा हादसे का अंदेशा बना रहता है। क्षेत्र के लोगों ने मांग रखी कि उन्हें इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए चम्बल नदी पर पुलिया निर्माण ही एक मात्र उपाय हो सकता है, ताकि भविष्य में फिर से गोठडा के जैसे हादसे नहीं देखने पड़े। नाव हादसे में दिवंगतों को भी पुलिया निर्माण ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
जानकारी के अनुसार शुक्रवार को मृतकों के परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, जिले के प्रभारी मंत्री लालचंद कटारिया व विधायक रामनारायण मीणा से भी लोगों ने ढीपरी व झरेल के बालाजी के पास चम्बल नदी पर पुलिया निर्माण की मांग रखी।
क्षेत्रवासियों ने बताया कि नदी के दूसरी तरफ इंद्रगढ़ में पहाड़ी पर स्थित बीजासन माताजी व बूंदी एवं सवाई माधोपुर जिले की सीमा में बह रही चाकल नदी के पास स्थित प्राचीन कमलेश्वर महोदव मंदिर धार्मिक आस्था के केंद्र है। खासतौर से कमलेश्वर महादेव मंदिर में चतुर्दशी व अमावस्या को तथा माताजी के चतुर्थी, अष्टमी व पूर्णिमा को काफी संख्या में क्षेत्र के लोग दर्शनों के लिए जाते है। क्षेत्र में ढीपरी, गोठडा, निमोला, शेरगढ़ व बागली आदि गांवों के पास से बह रही चम्बल नदी में नावों संचालन होता है। यहाँ से प्रतिदिन 1500 से 2000 के करीब यात्री नाव में बैठकर एक से डेढ़ कि.मी. चौड़े पाट में फैली चम्बल नदी का सफर तय करते है।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि खातौली से गैंता मखीदा की पुलिया होते हुए सवाई माधोपुर की दूरी 101 किमी, झरेल के बालाजी होते हुए सवाई माधोपुर की दूरी 60 किमी तथा श्योपुर होते हुए सवाई माधोपुर की दूरी 86 कि.मी. है।

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