नई दिल्ली: 21 मार्च को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में सामाजिक कार्यकर्ता और वकीलों के 30 से ज्यादा संगठनों ने आरटीआई में होने वाले संशोधनों का विरो*ध किया है। भारतीय नागरिकों को सूचना का अधिकार यानी आरटीआई मिले हुए 20 साल हो चुके हैं, मगर अब इसमें संशोधन किए जा रहे हैं। ये संशोधन डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (डीपीडीपी अधिनियम) के तहत हो रहे हैं। इस कानून को साल 2023 में लाया गया था, और अब इसके नियमों को लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो रही है।
ये नए नियम आरटीआई के तहत अपवादों को समाप्त कर देंगे, जिसके अनुसार व्यक्तिगत जानकारी को केवल तभी अस्वीकार किया जा सकता था जब उसका किसी सार्वजनिक गतिविधि से कोई संबंध न हो या वह निजता का अनुचित उल्लंघन हो। वकील और सामाजिक कार्यकर्ता इस संशोधन का विरो*ध कर रहे हैं। जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने इस बारे में कहा कि पहले सिर्फ उस सूचना को देने पर रोक थी जिसका किसी सामाजिक गतिविधि से लेना-देना नहीं था, मगर अब पूरी तरह से प्र*तिबंध लगा दिया गया है।
अब किसी भी सूचना को रोका जा सकता है यानी भ्रष्टाचार के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी जाएगी। आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने इन संशोधनों को घा*तक बताया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में हर साल 60 लाख आरटीआई दायर की जाती हैं। लोग राशन से लेकर पेंशन तक के मुद्दों पर सूचना मांगते हैं। इन संशोधनों से लोगों से सवाल पूछने का अधिकार छीना जा रहा है, ये लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है।