मनमानी करने वाले निजी स्कूल आए कानून के दायरे में, नहीं तो मान्यता हो रद्द
स्कूल प्रबंधक फीस देने में देरी होने पर अभिभावकों से मनमानी जुर्माना वसूल कर लगातार प्रताड़ित कर रहे है। जबकि हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है की कोई भी स्कूल फीस में देरी होने पर रोज पांच पैसे से अधिक विलंब शुल्क नहीं वसूल सकते है भले ही अभिभावक अंतिम तिथि बीत जाने के 10 दिन बाद भी भुगतान नहीं किया हो। उसके बावजूद स्कूल संचालक प्रतिदिन पांच पैसे से अधिक जुर्माना राशि नहीं वसूल सकेंगे। जिस पर दिल्ली सरकार ने स्कूल प्रबंधकों को हाईकोर्ट के आदेश की पालना करने के आदेश जारी कर दिए है। जबकि राजस्थान में फीस को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना को लेकर आज डेढ़ साल बीत जाने के बावजूद राजस्थान सरकार ने कोई भी आदेश जारी नहीं किया है।
संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की प्रदेश का अभिभावक राजस्थान सरकार से मांग करता है की वह निजी स्कूलों के मनमाने जुर्माने पर दिल्ली की तर्ज पर लगाम लगाए और फीस में देरी होने पर स्कूलों द्वारा वसूले जा रहे भारी-भरकम जुर्माने से अभिभावकों को राहत पहुंचाए। अभी निजी स्कूलों की स्थिति ऐसी है की वह स्कूल की फीस 3 से 6 महीनों की फीस एडवांस वसूलते है उसके बावजूद स्कूलों द्वारा घोषित अंतिम तिथि पर फीस जमा ना करवाने पर 50 से 100 रुपए तक प्रतिदिन का जुर्माना वसूल रहे है। जबकि अभिभावक फीस एडवांस जमा करवा रहे है। ऐसे में स्कूल अभिभावकों की समस्याओं को समझने की बजाय अभिभावकों को धमकियां देते है जलील करते हुए कहते है की “जब बच्चों को पढ़ाने को औकात ही नहीं है तो क्यों बच्चों को पढ़ाते हो, स्कूल से बच्चों का नाम कटवा लो और अगर तय तिथि पर फीस जमा नहीं करवाई तो स्कूल बच्चों की पढ़ाई बंद कर देगा और नाम काट देगा”।
जिससे डर से अभिभावक अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से कर्ज लेकर या घर का सामान गिरवी रखकर स्कूलों की मनमानी जुर्माने को भरने पर मजबूर हो रहे है। प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा की एक कहावत है “थोथा चना बाजे घना” इसी तर्ज पर प्रदेश की सरकार और प्रशासन कार्य कर रही है।
गत 18 दिसंबर 2020 को फीस को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश आया था, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया था, जिस पर पहले गत 3 मई 2021 को आदेश आया, फिर दुबारा स्कूल संचालक इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए जिस पर 1 अक्टूबर 2021 को आदेश आया किंतु इन डेढ़ वर्षो में आज तक ना राजस्थान सरकार ने आदेश की पालना की और ना ही शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करवाई।
अभिभावक शिकायत करते है तो दिखाने के स्कूलों को नोटिस जारी कर दिए जाते है किंतु किसी भी स्कूल पर कार्यवाही आजतक नहीं हुई। अभी दो महीने पहले राजधानी जयपुर के 4-5 बड़े स्कूलों को नोटिस जारी हुए थे, किंतु वह अब तक केवल नोटिस बनकर ही शिक्षा विभाग में चक्कर कांट रहे है। अंतिम कार्यवाही किसी भी स्कूल पर नही की जा रही।
मनमानी करने वाले निजी स्कूल आए कानून के दायरे में
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा की शिक्षा को लेकर कोई विवाद ना स्कूलों की ओर से होना चाहिए और ना ही अभिभावकों की ओर से होना चाहिए। किंतु सरकारी संरक्षण प्राप्त प्रदेश के निजी स्कूल अभिभावकों से मनमानी फीस भी वसूल रहे है, फीस में देरी होने पर मनमाना जुर्माना भी वसूल रहे है साथ ही अभिभावकों को जलील और अपमानित भी कर रहे है ऐसे में अभिभावक कैसे कानून के विरुद्ध जाकर स्कूलों की मनमानी सहन करेगा।
प्रदेश के अभिभावकों और संयुक्त अभिभावक संघ की मांग है की “प्रदेश के मनमानी करने वाले सभी निजी स्कूलों को सख्ती के साथ कानून के दायरे लाया जाए, जो स्कूल मनमानी करे उन स्कूलों की तत्काल प्रभाव से मान्यता रद्द की जाए”। राज्य सरकार और शिक्षा विभाग अभिभावकों की मांगों को अगर गंभीरता से नहीं लेंगे तो मजबूरन अभिभावकों को सड़कों पर आकर पुनः आंदोलन के मार्ग को अपनाना पड़ेगा।