प्रदेश में नए संभागों के गठन की संभावनाओं के बीच वरिष्ठ नागरिक संस्थान के अध्यक्ष सुरेश सौगानी ने राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय को संभाग मुख्यालय बनाए जाने की मांग की है। सोगानी ने बताया कि सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय से करौली, दौसा, बूंदी, टोंक सभी जिलों के जिला मुख्यालय 100 किलोमीटर से कम दूरी पर हैं। यदि सवाई माधोपुर को संभाग मुख्यालय बनाया जाता है तो इन जिलों के नागरिकों को संभाग स्तरीय प्रशासनिक कार्यों के लिए आवागमन की सुविधा मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा की सवाई माधोपुर जिला सन् 1949 जब राजस्थान प्रदेश बना तभी से जिला मुख्यालय बना हुआ है।
यह राजस्थान प्रदेश का जैसलमेर के बाद क्षेत्र में सबसे बड़ा जिला रहा है। किंतु दौसा जिला बनने पर सवाई माधोपुर जिले कि महुआ तहसील दौसा में इसी प्रकार से करौली जिला बनने पर सवाई माधोपुर जिले के उपखंड हिंडौन एवं करौली को मिलाकर करौली जिला बना दिया गया है। इस प्रकार दो बार सवाई माधोपुर जिले को तोड़ा गया। सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पर्यटन की दृष्टि से अपनी अलग पहचान रखता है। देश की पहली सबसे बड़ी बाघ परियोजना सवाई माधोपुर मुख्यालय पर है।
इसी प्रकार से सनातन संप्रदाय के रणथम्भौर स्थित भगवान त्रिनेत्र गणेशजी एवं जैन संप्रदाय का चमत्कार मंदिर सहित अनेक धार्मिक स्थल सवाई माधोपुर मुख्यालय पर ही है। यह राजस्थान प्रदेश का प्रवेश द्वार भी है। उन्होने बताया कि सवाई माधोपुर जिले को हमेंशा उपेक्षित रखा गया है। उद्योग की दृष्टि से पूर्व में एशिया की सबसे बड़ी सीमेंट फैक्ट्री जयपुर उद्योग लि. सवाई माधोपुर में ही थी जो बंद हो गई। इण्डेन गैस सिलेण्डर का बाॅटलिंग प्लांट भी सवाई माधोपुर में था जो बंद कर दिया गया। इसी प्रकार से तेल शोधक कारखाना भी सवाई माधोपुर में ही लगाया जाना था। खाद कारखाने का कार्य भी प्रारंभ हो चुका था किंतु बाद में उसे गड़े पान स्थानांतरित कर दिया गया। इस प्रकार से अनेकों उद्योग जिनका यहां लगना था उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया है।
चंबल पेयजल योजना का शिलान्यास भी सवाई माधोपुर के पाली ग्राम पर मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था किंतु इसे भी करौली जिले में स्थानांतरित कर प्रारंभ किया गया। परिणाम स्वरूप सवाई माधोपुर मुख्यालय को आज तक भी चंबल का जल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। यह विडंबना ही है कि सब प्रकार से योग्य होने पर भी सवाई माधोपुर जिले के विकास पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। जबकि सवाई माधोपुर मुख्यालय स्थित बाघ परियोजना से अनेकों बाघों को अन्यत्र स्थानांतरित कर वहां की बाघ परियोजनाओं को जीवनदान दिया गया है। इस प्रकार से अब तक सवाई माधोपुर से ही लिया गया है इसको दिया कुछ भी नहीं गया है। इसको ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ नागरिक संस्थान ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय को डिविजनल मुख्यालय बनाए जाने की मांग की है।