Saturday , 6 July 2024
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330 घंटे बाद भी आरोपियों का सुराग तक नहीं मिलना जनता में भय पैदा करता है – रामपाल जाट

जिले के पुलिस थाना खंडार के ग्राम छाण में गत 20 दिसम्बर को गांव के बीच में दिनदहाड़े हुई लूट और हत्या के आरोपियों को 336 घंटे (14 दिन) व्यतीत होने के बाद भी नहीं पकड़ा गया हैं जबकि स्थानीय विधायक ने 24 घंटे में इस हत्या और लूट के आरोपियों को पकड़ने का विश्वास दिलाया था। जब आक्रोशित गांव वालों ने रास्ते रोक दिए थे और शव को उठाने नहीं दिया था। तभी विधायक द्वारा पुलिस को निर्देशित किया था कि कुछ भी करो 24 घंटे में आरोपियों को पकड़ो क्योंकि अब राज बदल चुका है, यह संदेश जनता में चहुँओर जाना चाहिए। यद्यपि किसी भी विधायक को जिला अधिकारियों को निर्देशित करने का अधिकार संविधान नहीं देता है तो भी उन्होंने राज्य के मुखिया की भांति निर्देश दिए। उनके निर्देशों में पुलिस प्रशासन ने काम तो किया किंतु वह गांव के 50 से अधिक व्यक्तियों को पूछताछ के नाम पर पट्टों से पीटने का प्रसाद दिया। जो काम लूट और हत्या के आरोपियों के सुराग प्राप्त करने का होना चाहिए था वह तो 336 घंटे व्यतीत होने के उपरांत भी नहीं हो पाया।

 

जाट ने बताया कि 20 दिसम्बर को दिन के 2 से 4 बजे के बीच में ग्राम छाण में 70 वर्षीय धापू देवी माली का चटनी पीसने के सिल से उसके मुंह पर वार कर उसकी हत्या कर दी गई और उसके पैरों की एक किलो वजनी चांदी की कड़ी, आधा किलो हाथो में पहने हुए चांदी के कड़े, 3 तोले सोने के कानों के टॉप्स एवं गले में पहनने वाला सोने का जंतर जैसे जेवरात को लूट कर ले गएं आश्चर्य की बात तो यह है कि जहां घटना हुई, उसका रहने का मकान गांव के मध्य में है और उसके सामने से सार्वजनिक रास्ता है, जिससे आवागमन बना रहता हैं पुलिस लवाजमें में सात थाने के अधिकारी, उप एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षकों का पड़ाव भी इस गांव में डाला गया पुलिस अधीक्षक भी घटनास्थल का निरीक्षण कर चुके हैं सुराग देने वाले को 25, 000 रुपये का पारितोषिक भी घोषित किया जा चुका हैं उसके उपरांत भी इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई।

 

Even after 330 hours, not finding any clue about the accused creates fear among the public - Rampal Jat

 

जाट ने कहा कि पुलिस महानिरीक्षक रेंज भरतपुर एवं पुलिस महानिदेशक ने संज्ञान लिया हो अभी तक, ऐसी जानकारी जनता को नहीं हैं इस घटना से क्षेत्र की जनता डर की छाया में स्तब्ध हैं। राज्य में ऐसी घटनाओं के लिए 10 लाख रुपए तक की नगद सहायता दी जा चुकी हैं इतना ही नहीं तो कन्हैया जैसे प्रकरणों में आश्रित परिजनों को 50 लाख रुपए तक की नगद सहायता एवं आश्रित परिजन को नौकरी भी दी गई थी। जयपुर के रामगंज बाजार की घटना के पीड़ित परिवार को नौकरी के अतिरिक्त 1 करोड़ की सहायता राशि दे दी गयी किंतु यहां तो मृतका के पांच पुत्रों को ढाई-ढाई लाख रुपए की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सहायता घोषित करने के उपरांत भी उन्हें नगद राशि या अन्य कोई भी सहायता अब तक प्राप्त नहीं हुई है।

 

जाट ने कहा कि यह नई सरकार बनने के बाद भेदभाव का बड़ा उदाहरण हैं जबकि सरकार बनने के पहले इसी दल के लोग इस प्रकार के भेदभाव को लेकर निरंतर सरकार की निंदा करते रहे थे और वह यह भी कहते थे कि उनकी सरकार आने के बाद इस प्रकार की घटनाएं नहीं होगी। क्योंकि एसी घटनाएं तब होती है जब अपराधियों में भय नहीं होता है। उनकी ओर से यह भी कहा गया कि नई सरकार में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है। भेदभाव को समाप्त करते हुए राज्य की जनता विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में भय मुक्ति के लिए राज्य सरकार को तत्काल सार्थक कार्यवाही करने की आवश्यकता है जिससे इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लग सके और अपराधियों के मन में भय उत्पन्न हो सके।

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