देश के जाने – माने शायर मुनव्वर राना का 71 वर्ष की उम्र में लखनऊ में रविवार देर रात को निधन हो गया है। मुनव्वर राना लंबे समय से बीमार चल रहे थे। लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में उनका इलाज चल रहा था।
मुनव्वर राना की बेटी सुमैया राना ने समाचार एजेंसी पीटीआई को जानकारी देते हुआ बताया है कि उनके पिता का रविवार देर रात अस्पताल में निधन हो गया है और सोमवार को उनका अंतिम संस्कार होगा।
मुनव्वर राना बेटे तबरेज़ राना ने पीटीआई को बताया कि, ”बीमारी के कारण वो (मुनव्वर राना) 14 – 15 दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता और फिर एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने रविवार देर रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली है।” साल 2014 में मुनव्वर राना को उनकी किताब के ‘शाहदाबा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
साल 2012 में उन्हें उर्दू साहित्य में उनकी सेवाओं के लिए शहीद शोध संस्थान की ओर से माटी रतन सम्मान भी दिया गया था। साल 2015 में यूपी के दादरी में अखलाक की लिचिंग की घटना के बाद राना ने एक न्यूज़ चैनल पर लाइव डिबेट के दौरान अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का एलान किया था। उन्होंने देश में बढ़ रही असहिष्णुता को वजह इस फ़ैसले की जगह बतायी थी।
मुनव्वर राना के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया शोक, कहा- “उर्दू साहित्य में दिया महत्वपूर्ण योगदान”
मुनव्वर राना के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए एक्स पर लिखा है कि, “मुनव्वर राना जी के निधन की ख़बर से दुखी हूं, उन्होंने उर्दू साहित्य और शायरी की दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदना है।उनकी आत्मा को शांति मिले”।
Pained by the passing away of Shri Munawwar Rana Ji. He made rich contributions to Urdu literature and poetry. Condolences to his family and admirers. May his soul rest in peace.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 15, 2024