जिले के खंडार उपखंड क्षेत्र में टमाटर की बम्पर पैदावार होने के बाद किसानों के टमाटर को खरीदने वालों की कमी खलने लगीं हैं हालात ये हैं कि किसानों के टमाटर को व्यापारी 1 रुपये किलों में भी खरीदने को तैयार नहीं है। जिससे किसानों की लागत निकलना भी मुश्किल हो गया है।
जानकारी के अनुसार क्षेत्र के बहरावंडा खुर्द, अल्लापुर, सुखवास, दौलतपुरा, सेवतीं, धर्मपुरी, हरिपुरा, सुमनपुरा सोनकच्छ, खेड़ी बोहना सहित एक दर्जन से अधिक गांवों के किसानों ने खेतों में टमाटर की फसल लगाई जिसमें किसानों द्वारा 30 हजार रुपये से लेकर 70 हजार रुपये प्रति किलोग्राम भाव का बीज बोया और पौध तैयार कर मजदूरों द्वारा खेतों में लगवाया। उसके बाद किसानों ने हजारों रुपये की दवाई स्प्रे आदि कर फसल तैयार की। जब टमाटर की फसल बिकने के लिए तैयार है तो टमाटर को खरीदने वाले व्यापारी नहीं मिल रहे। वहीं दलालों के मार्फत बिकने वाले टमाटर का भाव सही नहीं मिलने से मजदूर की मजदूरी निकलना भी मुश्किल हो गया है। वर्तमान समय में टमाटर के भाव 1 रुपये प्रति किलोग्राम से भी नीचे आ गए हैं। इसके बाबजूद भी टमाटर के खरीददारों का टोटा हैं।
व्यापारियों के बीच दलाल सक्रिय, सीधे नहीं हो पाती खरीद:-
क्षेत्र में टमाटर शुरू होने के साथ ही दिल्ली, हरियाणा, गुजरात सहित क्षेत्रीय टमाटर मंडियों से व्यापारी अक्टूबर-नवंबर महीने में टमाटर खरीद के लिए क्षेत्र में आना शुरू हो जाते है यहां पहुंचने पर व्यापारी कमीशन एजेंटों और दलालों से संपर्क साधकर टमाटर की खरीद करते हैं। ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए दलाल खुद मन मुताबिक भाव खोलकर किसानों का शोषण करते हैं। दलालों और एजेंट कमीशन पर खरीद फरोख्त करने वाले अपने चहेतों को अच्छा भाव दिलाकर कैरेट उपलब्ध करवा देते हैं वहीं दूसरे किसानों के टमाटरों का भाव कम लगाते हैं। जिससे किसानों को मजबूर होकर कम दामों में टमाटर बेचना पड़ता है।
20 रुपये प्रति कैरेट में भी नही मिल रहें खरीददार:-
बहरावंडा खुर्द मुख्य तिराहे पर लगने वाली टमाटर बोली मंडी पर रोज सुबह टमाटर के भाव खोले जाते है। इस दौरान अल्लापुर, दौलतपुरा, सुमनपुरा, सुखवास, मीनाखेड़ी, सोनकच्छ, बोहना, नरवला, सत्रहमील आदि गांवों के किसान टमाटर बेचने के लिए कैरेट मिलने के इंतजार में एकत्रित होते हैं जहां भाव खोले जाने के बाद किसानों को कैरेट का वितरण किया जाता है।
जानकारी के अनुसार शुक्रवार को सुबह व्यापारियों द्वारा 30 रुपये प्रति कैरेट का भाव खुलने के बाद किसानों को टमाटर तोड़ने के लिए कैरेट नहीं मिली। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक कमीशन एजेंट ने बताया कि जिन किसानों के जानकार एजेंट बने हुए है उनको कैरेट दी जा रहीं है वहीं दूसरे किसान जिनकी सांठगांठ नहीं है, उनको कैरेट ही नहीं दे रहे। जिससे मजबूर होकर उन किसानों को ओने-पौने दामों में टमाटर व्यापारियों को बेचना पड़े। जिसका सीधा-सीधा फायदा दलाल उठा रहे हैं।
मंडियों में गुजरात-मध्यप्रदेश के नए टमाटर की बड़ी आवक:-
वर्तमान समय मे मध्यप्रदेश के शिवपुरी और गुजरात के डागौर से अच्छी क्वालिटी के टमाटर की आवक मंडियों में बढ़ने से भी टमाटर के दाम में गिरावट आई हैं। जानकारी के अनुसार इस समय तार वांस के टमाटर का भी उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। इन राज्यों में भी टमाटर 80-100 रुपये प्रति कैरेट के भाव से टमाटर की खरीद व्यापारियों द्वारा की जा रहीं हैं, वहीं दूसरी तरफ किसान आंदोलन के कारण दिल्ली की सीमाएं सील होने से टमाटर दिल्ली की मंडियों में नहीं पहुंच रहा हैं। जिससे टमाटर के भाव बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। हालत ये है कि किसानों के टमाटर बीज की कीमत निकलना भी बहुत मुश्किल हो रहा हैं।
उच्च गुणवत्ता और टमाटर के भाव लेने में हिमाचल प्रदेश है अव्वल:-
उच्च गुणवत्ता के टमाटर की बात करें तो इस मामले में हिमाचल प्रदेश का टमाटर अपनी विशेष पहचान रखता हैं। हिमाचल प्रदेश में टमाटर अन्य जगहों की अपेक्षा पहले क्यारियों में लगा दिया जाता हैं। जब राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में टमाटर की पौध तैयार की जाती है। उस समय हिमाचल प्रदेश का टमाटर मंडियों में बिकने के लिए पहुंच जाता है और उस समय अच्छा खासा मुनाफा वहां के किसान कमा लेते हैं। हिमाचल प्रदेश के सोलन और नहरूआ में टमाटर की बम्पर पैदावार की जाती हैं। हिमाचल का टमाटर जुलाई अगस्त के महीनों में लगभग पूरे देश मे बिकने के लिए पहुंचता हैं।
अल्लापुर के किसान रामावतार सैनी ने बताया कि मैंने इस साल अपने 20 बीघा खेतों में टमाटर की फसल तैयार की। लेकिन भाव नहीं होने के कारण अब खेतों में लगी लागत भी निकलना मुश्किल हो गया है। मेरे 20 बीघा टमाटर में लगभग 6 लाख रुपये का खर्चा है। जिस तरह से टमाटर के भाव गिरे हैं उससे तो खेत मे बोये बीज की कीमत भी नहीं मिल रहीं है।
इसी प्रकार किसान प्रकाश माली ने बताया कि वर्तमान में भाव गिरने से हम पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर खड़े हो गए हैं। वर्तमान समय में जिस तरह से टमाटर के भाव 1 रुपये किलो पर आ गए हैं। उससे खेतों में टमाटर तोड़ने जाने वाले मजदूर की मजदूरी निकलना भी मुश्किल हो गया है। वहीं 1 रुपये किलो में हमारे टमाटर को खरीददार नहीं मिल रहें हैं।