शिवाड निवासी गम्भीरमल मीणा दिव्यांग है, दिव्यांग पेंशन मिलती है, राशन मिलता है, छोटे-मोटी अन्य आमदनी भी हो जाती है लेकिन मंहगाई के इस जमाने में परिवार चलाने में समस्या आ रही है। प्रशासन गांवों और शहरों के संग अभियान के अर्न्तत आज बुधवार को शिवाड में लगे कैम्प ने उसकी आर्थिक समस्या का काफी हद तक समाधान कर दिया है। अब उसे अपनी पुत्री चाइना के पालनहार के रूप में 1 हजार रूपये प्रतिमाह मिलेंगे। इसके अतिरिक्त बच्चे के कपडे, स्वेटर, जूते आदि खरीदने के लिये साल में एक बार 2 हजार रूपये मिलेंगे।
गम्भीरमल मीणा ने बताया कि मुझे पहले केवल यह पता था कि जिस बच्चे के मां और बाप दोनों या बाप मर जाता है, उसके पालन पोषण के लिये पालनहार योजना में सहायता मिलती है। 2 दिन पहले ही किसी ने बताया कि विशेष योग्यजन माता-पिता के बच्चों के लिये भी यह सहायता मिल सकती है। मैने कैम्प में आकर सहायता मांगी तो कलेक्टर साहब ने ई-मित्र वाले लड़के को बुलाकर फॉर्म ऑनलाइन करवाया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारी ने थोडी ही देर बाद में ही सारी प्रक्रिया करवाकर पूरा काम करवा दिया। इसके लिये कलेक्टर साहब का बहुत-बहुत धन्यवाद।
शिविर में उपस्थित जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन ने बताया कि कई योजनाओं की पात्रों को पूरी जानकारी नहीं रहती। पंचायती राज जनप्रतिनिधियों, शिक्षक, गैर सरकारी संगठन, मीडिया को योजनाओं की जानकारी सभी पात्रों तक पहुंचाने में हमारी मदद करनी चाहिये। कलेक्टर ने बताया कि न केवल विधवा, दिव्यांग बल्कि नाते गई महिला, विधवा होने के बाद पुनः विवाह करने वाली महिला, तलाकशुदा, परित्यक्ता, कुष्ठ और एचआईवी समेत कई श्रेणी के अभिभावकों को इस योजना का लाभ देय है।
शुद्धिकरण कर वास्तविक नाम और जाति दर्ज किये, अब नहीं काटने पडेंगे दफ्तरों के चक्कर
प्रशासन गांव के संग अभियान में रामा के पुत्र मदन लाल एवं पौत्र जितेन्द्र ने राजस्व रेकार्ड में उनके पिता/दादा का नाम शुद्ध होने पर मुख्यमंत्री एवं प्रशासन का आभार जताया। रेकार्ड जमाबंदी संवत् 2034-37 में रामदेवा, सुखदेवा पुत्र रामा जाति बैरवा सा. चौकड़ी दर्ज था।
जमाबंदी संवत् 2058-59 आधार वर्ष तथा खतौनी बंदोबस्त के खाता संख्या 38 में रामा की जगह रामदेवा दर्ज कर दिया गया। शिविर में नामशुद्धि का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत होने पर तुरन्त ही सुखदेवा पुत्र रामदेवा के स्थान पर सुखदेवा पुत्र रामा दर्ज कर दिया गया। इस पर प्रार्थी ने राज्य सरकार का आभार प्रकट किया।
तराचंद के खातेदारी रेकार्ड का हुआ शुद्धिकरण
प्रशासन गांव के संग शिविर ताराचंद के लिए वरदान बन गया। शिवाड के शिविर में ताराचंद के राजस्व रेकार्ड में जाति का अंकन सही करवाया। न्यायालय उप जिला कलेक्टर चौथ का बरवाड़ा में वाद संख्या 17/21 ताराचंद बनाम सरकार जरिये तहसीलदार चौथ का बरवाड़ा विचाराधीन था। इसके अनुसार भू प्रबंध विभाग द्वारा ताराचंद और भूमि में उसके अन्य सहभागीदारों की जाति सवंत् 2038-41 में कोली के स्थान काछी दर्ज कर दी गई थी।
विभिन्न राजस्व न्यायालयों में लम्बित मुकदमों का इन शिविरों में समाधान किया जा रहा है। शिविर प्रभारी एसडीएम ने नाम शुद्धि के इस वाद में तहसीलदार से रिपोर्ट मांगी। तहसीलदार से रिपोर्ट प्राप्त होते ही उन्होंने ताराचंद और अन्य प्रार्थीगणों की जाति काछी के स्थान पर कोली किये जाने के आदेश प्रदान किये।
इस पर प्रार्थीगणों ने बताया कि अलग-अलग दस्तावेज में अलग-अलग जाति दर्ज होने से बहुत परेशानी हो रही थी, मुकदमें के सिलसिले में कोर्ट और वकीलों के चक्कर काट रहे थे। अब स्थायी समाधान हो गया है। हम बहुत खुश हैं। मुख्यमंत्री जी का आभार जिन्होंने अधिकारियों को गांवों में जाकर ऐसे पुराने मुकदमों में फैसले सुनाने के निर्देश दिये हैं।
मुख्यमंत्री जी से बड़ा क्या सहारा होगा, विशेष योग्यजनों को दे रहे हैं विशेष सहारा
दिव्यांग को सहारा चाहिये और मुख्यमंत्री जी से बड़ा इनका क्या सहारा होगा जो डॉक्टर को गांव में भेजकर प्रमाण पत्र बनवा रहे हैं। इनकी और हमारी दुआयें हमेशा सीएम साहब के साथ है। हम हर कदम पर उनके साथ खडे होकर राज्य के पूर्ण विकास में भागीदार बनेगे। निमोद राठौद में 2 विशेष योग्यजन के दिव्यांगता प्रमाण पत्र मौके पर ही बन जाने पर ग्रामीणों ने यह बात कही। प्रशासन गांवों और शहरों के संग अभियान वैसे तो सभी वर्गों के लोगों के लिये राहत बन कर आया है लेकिन इससे विशेष योग्यजनों को विशेष सहारा मिल रहा है।
अभियान में इन्हें चिन्हित और पंजीकृत कर निःशक्तता प्रमाण पत्र जारी करवाकर पेंशन, बस पास, ऋण, पालनहार समेत राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में लाभान्वित किया जा रहा है। बौंली पंचायत समिति के निमोद राठौद में आयोजित कैम्प में दिव्यांग मनीष गुर्जर और कल्याण बैरवा के प्रमाण पत्र मौके पर ही बनाये गये। अब इन्हें विभिन्न योजनाओं में लाभान्वित किया जा सकेगा। 13 वर्षीय मनीष गुर्जर पुत्र मीठालाल गुर्जर अपनी आयु के अनुसार मानसिक रूप से विकसित नहीं है, साथ ही बोल भी नहीं सकता।
इसके परिजनों ने इसका प्रमाण पत्र बनवाने के लिये 2 साल तक कई जगह चक्कर काटे लेकिन यह प्रमाण पत्र 1 डॉक्टर नहीं बनाता, मेडिकल बोर्ड गठित होता है। इन उलझनों से आजिज आकर 3 महीने पहले थक हार कर बैठ गये। गांव में कैम्प लगने की जानकारी पर परिजन मनीष को लेकर यहां आये। शिविर प्रभारी ने व्यक्तिगत रूचि ली और तत्काल प्रमाण पत्र बनवाया। इसी कैम्प में कल्याण बैरवा पुत्र मूलचन्द बैरवा आयु 57 साल का भी प्रमाण पत्र बनाया गया। सड़क दुर्घटना के बाद इसके दांयें पैर में स्थायी दिव्यांगता आ गई है।
वह जयपुर और सवाईमाधोपुर के अस्पतालों के चक्कर काट रहा था लेकिन काम नहीं बना। कल्याण ने बताया कि अब वह सरकारी योजनाओं का बेहतर लाभ उठा पाउंगा। शिविर में उपस्थित सभी लोगों ने इन दोनों के प्रमाण पत्र बन जाने पर खुशी प्रकट की।
6 साल बाद मिला विकलांग प्रमाण पत्र
प्रशासन गांवो एवं शहरों के संग अभियान मकसूदनपुरा निवासी जगमोहन के लिए सुकुन देने वाला रहा। 6 साल से अपने दिव्यांग पुत्र का दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाने के लिए चक्कर काट रहे जगमोहन के पुत्र का दिव्यांग प्रमाण पत्र आसानी से बन गया।
जगमोहन गुर्जर निवासी मकसूदनपुरा ने बताया कि उनके बेटे को बचपन से ही हाथ पैर में लकवा है, व मानसिक रूप से कम विकसित था, बच्चे को लेकर परिजन पिछले 6 साल से विकलांग प्रमात्र पत्र बनवाने हेतु कभी जयपुर कभी सवाई माधोपुर दर -दर भटक रहे थें शिविर में उन्होंनेे अपनी समस्या शिविर प्रभारी उपखण्ड अधिकारी महोदय मलारना डूंगर को सुनाई तो शिविर प्रभारी महोदय ने प्रार्थी की समस्या सुनकर तत्काल बच्चे का विकलांग परीक्षण करने के आदेश दिये।
वहा उपस्थित मेडिकल टीम ने मोके पर बच्चे की विकलांगता का परीक्षण कर तुरन्त विकलांग प्रमाण पत्र जारी किया। विकलांग प्रमाण मिलने पर जगमोहन ने खुशी जाहिर करते हुए माननीय मुख्यमंत्री महोदय एवं सभी अधिकारीयों/ कर्मचारियों का बहुत बहुत आभार प्रकट किया। और अन्त मे कहा प्रशासन गांवों के संग अभियान मेरे लिए वरदान साबित हुआ।
तीन साल से चक्कर लगा रहे केदार को मिली राहत, खुला विरासत का नामान्तकरण
प्रशासन गांवों और शहरों के संग अभियान के अन्तर्गत बौंली पंचायत समिति के नीमोद राठौद में आयोजित कैम्प में केदार पुत्र उद्दा गुर्जर की 3 साल पुरानी परेशानी का अन्त हो गया। वह 3 साल से एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस के चक्कर काटता-काटता थक गया था। अफसर भी अपनी जगह सही थे। नियमों के अनुसार प्रक्रिया का पालन जरूरी था। राज्य सरकार ने इस अभियान में अधिक से अधिक लोगों को राहत देने के लिये प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया है।
एक प्रार्थना पत्र आता है, अधिकारी मौके पर ही 5 मिनट में जांच करवाता है, जांच रिपोर्ट मिलने के अगले ही पल निर्णय आ जाता है और मौके पर ही समस्या समाधान हो जाता है। केदार के पिता की मृत्यु के बाद विरासत का नामान्तकरण खुलना था लेकिन अब तक खुल नहीं पा रहा था।
इसके चलते वह परेशानी से घिर रहा था क्योंकि वह न तो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ ले पा रहा था, न ही फसल बीमा में पंजीयन हो पा रहा था। शिविर में आवेदन करने के 20 मिनट के भीतर ही उसका नामान्तकरण खुल गया। इस पर उसने राज्य सरकार का आभार प्रकट किया है।