Wednesday , 3 July 2024
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राजस्थान सरकार को झटका, चार्जशीट फाइल करने पर हाईकोर्ट की रोक, गजेंद्र सिंह शेखावत को मिली बड़ी राहत

संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मामले में राजस्थान हाईकोर्ट से स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) को फटकार लगाते हुए चार्जशीट फाइल करने पर रोक लगा दी है। जहां इस मामले में जोधपुर सांसद और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को बड़ी राहत मिली है, वहीं राजस्थान सरकार को तगड़ा झटका लगा है। इस केस में 13 अप्रैल 2023 को हाईकोर्ट ने शेखावत की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान शेखावत की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता वि.आर.बाजवा ने पैरवी करते हुए कहा कि एसओजी ने अगस्त 2019 में यह मामला दर्ज किया था।

 

एसओजी ने साढ़े चार साल बाद भी जांच को पूरा नहीं किया है, क्योंकि राजनीतिक द्वेष के चलते राज्य सरकार शेखावत को गलत तरीके से फंसाना चाहती है। एसओजी ने कभी गजेंद्र सिंह शेखावत को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया। न ही पूर्व में दायर चार्जशीटों में कहीं शेखावत का नाम अभियुक्तों में शामिल किया गया। बाजवा ने बताया कि हाईकोर्ट ने पूछा कि अगर शेखावत की संजीवनी मामले में संलिप्तता थी तो एसओजी ने चार साल में कोई नोटिस क्यों नहीं दिया? कोर्ट ने यह भी पूछा कि फरवरी 2020 में चार्जशीट फाइल करने के तीन साल बाद फरवरी 2023 में दूसरे लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की, जबकि उसमें शेखावत या उनके परिवार के किसी सदस्य का नाम नहीं था।

 

High Court ban on filing charge sheet, Gajendra Singh Shekhawat gets big relief

 

बाजवा ने कोर्ट में कहा कि राजनीतिक बदले के लिए सरकार विधानसभा चुनावों के बीच शेखावत को फंसाने का प्रयास कर रही है, जबकि इसी साल अप्रैल में राजस्थान सरकार के वकील हाईकोर्ट में यह भी कह चुके हैं कि शेखावत का किसी एफआईआर और चार्जशीट में नाम नहीं है। गौरतलब है कि करीब 900 करोड़ रुपए के संजीवनी घोटाले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री शेखावत पर आरोप लगाकर पूरे मामले को राजनीतिक रंग दे दिया था, जबकि शेखावत शुरू से कह रहे हैं कि साढ़े चार साल में इस प्रकरण की जांच न तो राज्य की एसओजी ने पूरी की और न ही इसे सीबीआई को सौंपा जा रहा है। मुख्यमंत्री गहलोत राजनीति करते हुए केवल जांच को भटकाने का काम कर रहे हैं।

 

जब अशोक गहलोत ने शेखावत की मां समेत पूरे परिवार पर संजीवनी घोटाले में शामिल होने के आरोप लगाए तो शेखावत ने गहलोत के खिलाफ दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में मानहानि का केस किया है, जिसमें अब तक गहलोत को राहत नहीं मिली है। मल्टीस्टेट सोसायटी होने के बावजूद राजनीतिक कारणों से राजस्थान सरकार इस मामले को सीबीआई को सौंप नहीं रही है, जबकि मल्टी स्टेट सोसाइटी होने के कारण इसकी जांच सीबीआई द्वारा नियमित जमा पर प्रतिबंध योजना अधिनियम 2019 के तहत की जानी चाहिए।

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