Saturday , 30 November 2024

राजस्थान में बीजेपी ने वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो इन नामों पर हो सकता है विचार

राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत के साथ चुनावी रण जीत लिया है। 199 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को 115 सीटों पर जीत मिली है। यानी बीजेपी ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। कांग्रेस को 69 सीटों पर जीत मिली है। कांग्रेस के मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी हार मान ली है और उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र को रविवार शाम को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया है। जिसे राज्यपाल कलराज मिश्र ने स्वीकार लिया है।

साथ ही साथ राज्यपाल कलराज मिश्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आग्रह किया है कि नई सरकार गठन होने तक वह कार्य करते रहे। सूत्रों के अनुसार कहा जा रहा है कि राजस्थान में बीजेपी की चुनावी जीत में इसके दिग्गज नेताओं की ख़ासी भूमिका रही है। हालांकि बीजेपी ने किसी को भी सीएम चेहरा बना कर चुनाव नहीं लड़ा है। इसलिए अब ये सवाल काफ़ी अहम हो गया है कि आख़िर राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा।

If BJP does not make Vasundhara Raje the Chief Minister in Rajasthan, then these names may be considered

वसुंधरा राजे की दावेदारी कितनी मज़बूत:- 

जानकारी के अनुसार राजस्थान की दो बार की मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे सिंधिया के बारे में कहा जा रहा है कि वह आलाकमान की पसंद नहीं हैं। इसलिए ये सवाल उठ रहा है कि आखिर वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री नहीं तो कौन होगा मुख्यमंत्री? वसुंधरा राजे पूरे चुनाव में राज्य की उन नेताओ में से एक हैं, जिन्होंने अपनी सीट से बाहर जाकर बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार-प्रसार किया है।

Vasundhara Raje CM Face 2023

कांग्रेस के मौजूदा सीएम अशोक गहलोत तो ये कहते रहे हैं कि वसुंधरा ही बीजेपी की चेहरा हैं। लेकिन कई लोग दावा करते हैं कि बीजेपी आलाकमान और वसुंधरा के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। वसुंधरा राजे के बारे में यह भी कहा जाता है कि आरएसएस में उनकी अच्छी पैठ नहीं है। लेकिन वसुंधरा राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। जानकारी के अनुसार उनके 50 क़रीबी नेताओं ने पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा है और इनमें से ज़्यादातर को जीत मिली है। विश्लेषकों का कहना है कि वसुंधरा अगर 50 विधायकों का समर्थन जुटा लेती हैं तो बीजेपी आलाकमान उन्हें दरकिनार नहीं कर सकता।

लेकिन वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शरद गुप्ता का कहना है कि बीजेपी आलाकमान वसुंधरा को सीएम नहीं बनाना चाहेगा। वह कहते हैं कि,”वसुंधरा राजे के बीजेपी आलाकमान से उनके रिश्ते अच्छे नहीं है। बीजेपी मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को नहीं बदलेगी। लेकिन राजस्थान में वसुंधरा को नहीं आने देना चाहेगी।” कहा जा रहा था कि वसुंधरा राजे के 30 समर्थक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरे हुए थे।

इस बार के चुनाव में आठ निर्दलीय उम्मीदवारों को ही जीत मिली है। अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे दोनों ने बाग़ी उम्मीदवार खड़े किए हैं और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जीते हुए ऐसे उम्मीदवार इन लोगों का समर्थन करेंगे। लेकिन जीते हुए निर्दलियों के समर्थन की अब कोई बात नहीं रह गई है क्योंकि बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिला है।

दिया कुमारी – राजपरिवार का मुख्य चेहरा:-

राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे नहीं तो कौन के सवाल के जवाब में अक्सर जो नाम आता है वो है राजपरिवार की दिया कुमारी का। राजसमंद से सांसद दिया कुमारी भी वसुंधरा राजे की तरह राजपरिवार से आती हैं और उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी सहित पूरे बीजेपी आलाकमान का पसंदीदा माना जाता है। दिया कुमारी जयपुर के राजपरिवार की बेटी हैं। जयपुर की पूर्व राजमाता गायत्री देवी का इंदिरा गांधी से छत्तीस का आंकड़ा रहा था।

Diya Kumari CM Face 2023

उनकी मां पद्मिनी देवी और पिता भवानी सिंह नामी होटल कारोबारी थे। दिया कुमारी दिल्ली और लंदन के बेहतरीन स्कूलों में पढ़ी हैं। वे जयपुर के सिटी पैलेस में रहती हैं और आमेर के ऐतिहासिक जयगढ़ क़िले, महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय म्यूज़ियम ट्रस्ट और कई स्कूलों का संचालन करती हैं।

बाबा बालकनाथ – क्या राजस्थान मुख्यमंत्री के रूप में “योगी आदित्यनाथ” बनेंगे:-

अलवर जिले की तिजारा सीट पर भाजपा उम्मीदवार बाबा बालकनाथ रोहतक स्थित अस्थल बोहर नाथ आश्रम के महंत हैं। बोहर मठ के आठवें महंत को यहां उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ की तरह देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान उन्हें राजस्थान की सीएम की कुर्सी दे सकता है। उनका नाम सीएम के दावेदार के तौर पर तेजी से उभरा है। बाबा बालकनाथ ओबीसी (यादव) हैं। उनके पिता सुभाष यादव नीमराना के बाबा खेतानाथ आश्रम में सेवा करते थे।

Baba Balaknath CM Face 2023

इससे बालकनाथ के अंदर काफी पहले से योगी बनने की ओर रुझान दिखने लगा था। बाबा बालकनाथ यहां कांग्रेस के इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ मैदान में थे। इस सीट पर ख़ुद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रचार किया था। यहीं पर उन्होंने भारत के कट्टरपंथियों को हमास से जोड़ते हुए इसराइल के पक्ष में बयान दिया था। बालकनाथ अलवर लोकसभा सीट से भारी बहुमत से जीत चुके हैं। त्रिभुवन कहते हैं कि, ’’बाबा बालकनाथ यादव हैं।

यादव मूल ओबीसी की जाति है और जाट-बिश्नोई-सिख आदि उच्च ओबीसी के बरक्स वंचित ओबीसी का प्रतिनिधित्व करती है। अभी तक उन पर कोई आरोप-प्रत्यारोप नहीं है और वे विवादों से परे हैं। विनम्र हैं। लेकिन धार्मिक कट्‌टरता की राजनीति में इसलिए आसानी से फ़िट होते हैं कि मेवों से उनका संघर्ष लगातार हो रहा है।

गजेंद्र सिंह शेखावत- क्या मेहनत काम आएगी?

अब बात आती है कि केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की। गजेन्द्र सिंह शेखावत पार्टी के भीतर वसुंधरा राजे के विरोधी माने जाते हैं। जोधपुर सीट पर सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को हराने वाले शेखावत केंद्र में मंत्री हैं। शेखावत गहलोत से टकराते रहे हैं। दोनों एक दूसरे के ख़िलाफ़ तीखी प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते रहते हैं। शेखावत पर गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगता रहा है। शेखावत उस समय विवादों में आए थे, जब उनकी कांग्रेस नेता भंवरलाल शर्मा के साथ कथित ऑडियो सीडी क्लिप प्रकरण काफी चर्चा में रहा था।

Gajendra Singh Shekhawat CM Face 2023

इसमें भंवरलाल शर्मा, विधायक विश्वेंद्र सिंह और गजेंद्र शेखावत की बातचीत होने का दावा किया गया था। राजस्थान की सबसे हॉट सीट कही जाने वाली जोधपुर लोकसभा सीट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गढ़ कहे जाने वाले क्षेत्र में कांग्रेस को पटखनी देने वाले गजेंद्र सिंह शेखावत केंद्र में कैबिनेट मंत्री हैं। वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन के मुताबिक़ उन्हें सियासत में बहुत महत्वाकांक्षी माना जाता है और बकौल एक प्रेक्षक उन पर सबसे बड़े पद की चाह का इल्ज़ाम पिछली वसुंधरा राजे सरकार के समय से ही है। वो कहते हैं कि, ”लेकिन वसुंधरा राजे ने उन्हें तिल भर भी हाथ नहीं धरने दिया।

उस समय भले वे नाकाम हो गए हों, लेकिन नाउम्मीद कभी नहीं हुए। वे गाहे – बगाहे राजधानी और प्रदेश के बाक़ी हिस्सों में डेरा डाले रहते हैं।” त्रिभुवन के मुताबिक़ गजेंद्र सिंह शेखावत सीएम बनाए जा सकते हैं क्योंकि वो चुनावों में काफ़ी सक्रिय रहे और ख़ुद को एक मज़बूत दावेदार के तौर पर पेश करने में हिचक नहीं रहे हैं। ये एक स्वाभाविक नाम है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला – छुपे रुस्तम ?

कोटा के ओम बिड़ला अभी लोकसभा के स्पीकर हैं। उन्हें सीएम पद की रेस में छुपा हुआ रुस्तम माना जा रहा है। उन्हें बीजेपी और संघ के बड़े नेताओं का क़रीबी और विश्वासपात्र समझा जाता है। ओम बिड़ला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के काफ़ी क़रीबी हैं। वो 2003 से लेकर 2008 तक दौरान वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहने के दौरान संसदीय सचिव रहे हैं।

Om Birla CM Face 2023

वो 2008 और 2013 में विधानसभा चुनाव जीते चुके हैं। 2014 में उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट मिला। इस चुनाव में और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें जीत मिली है। त्रिभुवन के मुताबिक़ बिड़ला खुद को लो-प्रोफाइल रखते हैं लेकिन उनकी ज़मीनी पकड़ मज़बूत है। साथ ही वह पार्टी और संघ में मज़बूत पकड़ रखते हैं। माना जा रहा है कि पार्टी आलाकमान उनके नाम पर एकमत हो सकता है।

राजेंद्र सिंह राठौड़ : राजनीतिक जोड़तोड़ के माहिर:- 

राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ इस बार शुरू से कहते आ रहे थे कि बीजेपी को इस बार सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता। राजेन्द्र राठौड़ राजस्थान यूनिवर्सिटी के चर्चित छात्र नेता रह चुके हैं। 68 वर्षीय राठौड़ यहां पार्टी के उतार-चढ़ाव में साथ रहे हैं। राठौड़ वसुंधरा राजे की दोनों सरकार में काफ़ी ताकतवर मंत्री रहे है। लेकिन केंद्र में बीजेपी के अंदर बदले शक्ति संतुलन को देखते हुए वो दिल्ली के क़रीब हो गए है।

Rajendra Singh Rathore CM Face 2023

इसलिए सीएम पद के लिए उनकी दावेदारी भी काफ़ी मज़बूत मानी जा रही है। बीजेपी के अंदर उनकी लचीली राजनीतिक शैली ने ही उन्हें प्रासंगिक और सीएम पद का दावेदार बनाए रखा है। वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री के दोनों कार्यकाल में काफ़ी पावरफुल मंत्री रहे। लेकिन जैसे ही दिल्ली में बीजेपी का शक्ति संतुलन नए सिरे से तय हुआ तो वे दिल्ली के भी क़रीब हो गए और कांग्रेस की सरकार बनने पर वे उप नेता प्रतिपक्ष बनाए गए। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया रहे।

कटारिया के असम का राज्यपाल बनने पर राठौड़ को कुछ समय बाद ही नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया। राजस्थान की राजनीति में भैरोसिंह शेखावत और अशोक गहलोत की शैली वाली राजनीति में वे काफ़ी फ़िट हैं और लोगों से उनका जुड़ाव काफ़ी सशक्त है। त्रिभुवन कहते हैं, ”1993 में बीजेपी शामिल हुए राठौड़ भैरोसिंह शेखावत के विश्वासपात्र रहे और उनके मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री बने थे। बाद में वो वसुंधरा राजे के भरोसमंद गए।

अब वसुंधरा के ख़िलाफ़ बीजेपी आलाकमान के नज़दीक हैं। कुल मिलाकर जातिगत समीकरणों के माहिर माने जाते हैं। जोड़तोड़ की राजनीति के वो उस्ताद माने जाते हैं।” हालांकि वो इस बार राजस्थान में हुए विधानसभा में चुनाव हार चुके है। राठौड़ तारानगर सीट से चुनाव हारे है।

अर्जुन राम मेघवाल – बीजेपी का दलित चेहरा:-

अगर कांग्रेस ने पिछड़ी जाति से आने वाले अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए रखा है तो भाजपा अर्जुन राम मेघवाल को मुख्यमंत्री बना सकती है। पूर्व आईएएस और केंद्रीय क़ानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल बीकानेर से सांसद हैं और पार्टी का दलित चेहरा हैं। उनके साथ ख़ास बात ये है कि राजस्थान के दलितों में उनकी जाति के सबसे अधिक वोट हैं। ब्यूरोक्रेसी में रहने अर्जुन राम मेघवाल ज़मीन से जुड़े नेता माने जाते हैं।

Arjun Ram Meghwal CM Face 2023

प्रदेश में अपनी बिरादरी के अकेले ऐसे व्यक्ति हैं, जो उस पद तक पहुंचे हैं, जहाँ कभी बीआर आंबेडकर रहे थे। त्रिभुवन कहते हैं कि, “जब वो बीजेपी में आए तो इसमें कांग्रेस की तरह अनुसूचित जाति के नेताओं की लंबी भीड़ नहीं थी। लिहाजा, उन्हें तेज़ी से आगे बढ़ने का मौक़ा मिला है और अपने दोस्ताना स्वभाव से जगह बनाने में क़ामयाब रहे है।

अश्विनी वैष्णव सहित ये भी सीएम रेस में:-

पार्टी के दिग्गज नेताओं के मुकाबले नए उभरते नेता भी सीएम पद की दौड़ में हैं। लेकिन बीजेपी से जुड़ाव रखने वाले बीजेपी आलाकमान के करीबी और राजस्थान के स्थानीय पार्टी नेता भी कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री कौन होगा इसका अभी कोई संकेत नहीं है। उनका कहना कि ये सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी या अमित शाह जानते हैं कि कौन मुख्यमंत्री होगा। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर, यूपी में योगी आदित्यनाथ ,असम में हिमंत बिस्व सरमा या उत्तराखंड में पुष्कर धामी को सीएम बनाए जाने से पहले किसी को ये पता नहीं था कि कुर्सी उन्हें दी जा रही है।

Ashwini Vaishnaw CM Face 2023

त्रिभुवन कहते हैं कि हो सकता है कि सीएम पद के दावेदारों के लिए चर्चा में आ रहे नाम को दरकिनार करते हुए अश्विनी वैष्णव को सीएम बना दिया जाए। त्रिभुवन कहते हैं कि बीजेपी आलाकमान बिल्कुल उल्टा दांव भी खेल सकता है। उनका कहना है, “चूंकि अभी राष्ट्रपति आदिवासी हैं। उपराष्ट्रपति ओबीसी समुदाय से आते हैं। खुद प्रधानमंत्री ओबीसी समुदाय हैं तो ये भी हो सकता है कि वो राजस्थान के लिए दलित कैंडिडैट के बजाय किसी ब्राह्मण या ठाकुर कैंडिडेट को चुनें।”

वो कहते हैं कि, ” इन नामों के अलावा भूपेंद्र यादव, यूपी में चुनाव की डोर थामने वाले सुनील बंसल, ओम माथुर भी शामिल हैं। हालांकि ओम माथुर की उम्र काफ़ी ज्यादा हो रही है। लेकिन बीच-बीच में उनका नाम भी उभरता है।” त्रिभुवन कहते हैं फ़िलहाल राजस्थान के सीएम पद के लिए तमाम नाम आ रहे हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह के काम करने के स्टाइल को देख कर लग रहा है कि कोई चौंकाने वाला फैसला दिख सकता है।

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(सोर्स : बीबीसी न्यूज हिन्दी)

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