Thursday , 4 July 2024
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विद्यार्थियों को दी साइबर क्राइम, रैगिंग प्रतिषेध अधिनियम एवं महिला सशक्तिकरण की जानकारी

साइबर क्राइम, रैगिंग प्रतिषेध अधिनियम एवं महिला सशक्तिकरण के संबध में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में आज गुरूवार को प्राधिकरण की सचिव श्वेता गुप्ता ने फतेह पब्लिक उच्च माध्यमिक विद्यालय, रणथंभौर रोड़, सवाई माधोपुर में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया। प्राधिकरण सचिव ने उपस्थित विद्यार्थियों एवं आमजन को जानकारी दी कि रैगिंग आज के समय में एक बड़ी चुनौती बन गई है। कुछ सीनियर विद्यार्थी रैगिंग के नाम पर जूनियर विद्यार्थियों को परेशान करते है, मजाक उड़ाते है जिससे परेशान होकर विद्यार्थी आत्महत्या तक कर लेते है। आत्महत्या, स्कूल या काॅलेज छोड़ देना, पढ़ाई बाधित होना, मानसिक तनाव और अकेलापन तथा लगातार ड़रते रहना आदि इसके दुष्परिणाम है। रैगिंग का दोषी पाये जाने पर रैगिंग प्रतिषेध अधिनियम के तहत दोषी विद्यार्थी को शिक्षण संस्थान से निलंबित किया जाना, परीक्षा मे बैठने की अनुमति नहीं देने तथा साथ ही सजा एवं जुर्माना के भी प्रावधान हैं।

 

Information about cyber crime, ragging prohibition act and women empowerment given to students

 

प्राधिकरण सचिव ने जानकारी दी कि लैंगिक असमानता का अर्थ लैंगिक आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव से है। परम्परागत रूप से समाज में महिलाओं को कमजोर वर्ग के रूप में देखा जाता रहा है। घर और समाज दोनों जगहों पर शोषण, अपमान और भेदभाव से पीड़ित होती है। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रगति के बावजूद वर्तमान में भारतीय समाज में पितृसत्तात्मक मानसिकता जटिल रूप से व्याप्त है।

 

महिलाओं को सामाजिक और पारिवारिक रूढ़ियों के कारण विकास के कम अवसर मिलते है जिससे उनके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले भेदभाव को समाप्त करने के लिए बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ, वन स्टाॅप सेन्टर, महिला हेल्पलाइन, महिला शक्ति केन्द्र जैसी योजनाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का प्रयास किया जा रहा है। इन योजनाओं के क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप लिंगानुपात और लड़कियों के शैक्षिक नामांकन में प्रगति देखी जा रही है। साइबर अपराध में बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इंटनरेट के माध्यम से होने वाले अपराधों के बारें में जागरूकता होना जरूरी है। यह एक आपराधिक गतिविधि है जिसे कम्प्यूटर और इंटरनेट के उपयोग द्वारा अंजाम दिया जाता है।

 

साइबर अपराध जिसे इलेक्ट्रोनिक अपराध के रूप में भी जाना जाता है, में किसी भी अपराध को करने के लिए कम्प्यूटर, नेटवर्क डिवाइस या नेटवर्क का उपयोग, एक वस्तु या उपकरण के रूप में किया जाता है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 पारित किया गया जिसके प्रावधानों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता के प्रावधान सम्मिलित रूप से साइबर अपराधों से निपटने के लिए पर्याप्त है। जिसके तहत जुर्माना तथा सजा होने के प्रावधानों के संबंध में जानकारी प्रदान की। साथ ही नालसा एवं रालसा द्वारा संचालित विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान करते हुए महिला सशक्तिकरण, नालसा एवं रालसा की योजनाओं के पोस्टर एवं पम्पलेट्स वितरित किये। इस दौरान स्थानीय विद्यालय के प्रधानाचार्या जे. एस. विक्टर, एक्ज्यूकेटिव डायरेक्टर रूपेन्द्र कौर, अध्यापक प्रिथा कथुरिया एवं प्राधिकरण के वरिष्ठ सहायक उमेश साहू सहित छात्र-छात्राएं एवं अन्य आमजन उपस्थित थे।

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