अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के प्रतिष्ठित वैश्विक पटल पर सवाई माधोपुर से कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। पटल के समन्वयक, संस्था के वैश्विक अध्यक्ष तथा प्रख्यात साहित्यकार एवं पत्रकार प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव की अध्यक्षता में आयोजित इस कवि सम्मेलन का संचालन प्रख्यात साहित्यकार डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने किया। कवि सम्मेलन में दिल्ली से ब्रह्मदेव शर्मा, अजमेर से निशा भार्गव, करौली से शिवराज पाल सिंह, दमोह मध्य प्रदेश से डॉ. प्रेम लता नीलम, बैंगलोर से ज्ञान चंद मर्मज्ञ और सवाई माधोपुर से डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी शामिल हुए।
ब्रह्म देव शर्मा ने कविता
विश्व में हम किसी से न कम ,
रख दिए चाँद पर भी कदम ।
जो असंभव था संभव किया ,
हो गये कुछ सफल और हम। प्रस्तुत की।
निशा भार्गव ने कविता
सब पूछेंगे आप कैसे हैं जब तक आपके पास पैसे हैं।
यही है ज़माने का दस्तूर इसके बिना अपने भी हो जाते हैं दूर। प्रस्तुत की।
‘राव’ शिवराज पाल सिंह जी ने कविता
शरद पूर्णिमा के शुभ्र चांद की चांदनी,
वातायन की राह रात भर है आती। प्रस्तुत की। डॉ. प्रेम लता नीलम ने कविता
फिसल ,फिसल जाता है बार-बार मन
शरद यामिनी नभ में चंद्र सुहागन।
शरद रात चांद चांदनी संग डोले
गीत छंद गंध लिए मिसरी घोले,
धवल चांदनी छिटकी वन मन उपवन। प्रस्तुत की।
ज्ञान चंद मर्मज्ञ ने कविता
क्या करें गूंगों की बस्ती है यहां,
चीख सन्नाटों से सस्ती है यहां,
एक तो विश्वास की छोटी नदी,
वो भी बहने को तरसती है यहां। प्रस्तुत की।
डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने ग़ज़ल
तेरे चुप रहने से तूफ़ान नहीं रुकने वाला,
आह को सीने में चुपचाप दबाने वाले। प्रस्तुत की।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे पंडित सुरेश नीरव ने कविता
यहाँ हर दो मुंहा इंसां निकलता इच्छाधारी है
सपोलों की इसी बस्ती का हर इंसान शिकारी है। प्रस्तुत की। देर शाम तक चले इस कवि सम्मेलन को स्वदेश एवं अन्य देशों से असंख्य श्रोताओं ने देखा सुना और सराहा।