अंतर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर विधिक जागरूकता शिविर हुआ आयोजन
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सवाई माधोपुर के तत्वाधान में आज शनिवार को अन्तर्राष्ट्रीय न्याय दिवस के अवसर पर पैनल अधिवक्ता हरिमोहन जाट एवं हनुमान गुर्जर द्वारा मीटिंग हॉल नगर परिषद सवाई माधोपुर एवं वीरेन्द्र कुमार वर्मा द्वारा आंगनबाडी केन्द्र बम्बोरी जिला सवाई माधोपुर में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। पैनल अधिवक्ता हरिमोहन जाट ने शिविर में उपस्थित आमजन एवं महिलाओं को विधिक जानकारी देते हुए बताया कि ज्यादातर देशों में बहुत सारी प्रथाएं ऐसी है जहां समान रूप से न्याय मिल पाना आज भी संभव नहीं है। हमारे देश भारत में भी बहुत सी प्रथाएं ऐसी है। लोगों के अधिकारों का हनन हो रहा है, ऐसे लोगों को समानता का अधिकार मिल सके, इसके लिए राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और बाल विकास आयोग के साथ कई अन्य गैर सरकारी संगठन भी अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रहे है। आज वैश्विक व्यवस्था का बहुत महत्व है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापारिक लेनदेन, सांस्कृतिक और सूचना आदान-प्रदान इतना ज्यादा होता है कि अन्तर्राष्ट्रीय न्याय व्यवस्था की जरूरत को खारिज नही किया जा सकता है। इतना ही नही, दुनिया में अपराध का भी अन्तर्राष्ट्रीयकरण हो चुका है, इसके लिए अब व्यवस्थित रूप से अन्तर्राष्ट्रीय न्याय व्यवस्था की जरूरत है इसलिए हर वर्ष विश्व अन्तर्राष्ट्रीय न्याय दिवस मनाया जाता है। पैनल अधिवक्ता हनुमान प्रसाद गुर्जर ने बताया कि 17 जुलाई को संपूर्ण विश्व में विश्व अन्तर्राष्ट्रीय न्याय दिवस मनाया जाता है।
यह दिवस अन्तर्राष्ट्रीय न्याय की सुदृढ व्यवस्था को मान्यता देने और पीड़ितों के अधिकारो को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है, जो लोगों को नरसंहार, मानवता के विरूद्ध अपराध, युद्ध अपराधों एवं आक्रामकता के अपराध से बचाने की कोशिश करता है। साथ ही महिला सशक्तिकरण के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय समाज में वैदिक काल से ही नारी का स्थान बहुत ही सम्मानजनक था और हमारा अखंड भारत विदुषी नारियों के लिए जाना ही जाता है। किन्तु कालांतर में नारी की स्थिति का ह्रास हुआ, मध्यकाल आते-आते यह स्थिति अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई, क्योंकि अंग्रेजो का मकसद भारत पर शासन करना था ना कि भारत के रीति-रिवाजों, मान्यताओं और समाज सुधार करना था। इसलिए ब्रिटिश काल मे भारतीय नारियों की स्थिति में कोई विशेष सुधार नही हुआ। साथ ही नालसा एवं रालसा द्वारा संचालित विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देकर पोस्टर, पंपलेट वितरित कर आमजन को जागरूक किया गया।