Wednesday , 3 July 2024
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कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों का सहारा बनेगी राज्य सरकार

कोरोना के कारण माता-पिता दोनों को अथवा एकल जीवित माता या पिता को खोने वाले बेसहारा बच्चों को मुख्यमंत्री कोरोना बाल कल्याण योजना के तहत तत्काल सहायता के रूप में एक लाख रूपए का एकमुश्त अनुदान और 18 वर्ष पूरे होने तक 2500 रूपए की राशि प्रतिमाह दी जाएगी। अनाथ बालक-बालिका के 18 वर्ष की उम्र होने पर उसे 5 लाख रूपए एकमुश्त सहायता दी जाएगी। ऐसे बच्चों को 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की सुविधा आवासीय विद्यालय अथवा छात्रावास के माध्यम से निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। कोविड-19 महामारी के कारण बेसहारा हुई कॉलेज में अध्ययनरत छात्राओं को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। कॉलेज में पढ़ने वाले बेसहारा छात्रों को अंबेडकर डीबीटी वाउचर योजना का लाभ मिलेगा। कोविड महामारी से प्रभावित निराश्रित युवाओं को मुख्यमंत्री युवा संबल योजना के तहत बेरोजगारी भत्ता दिए जाने में प्राथमिकता दी जाएगी। इस महामारी के कारण अपने पति को खो चुकी विधवा महिलाओं को भी राज्य सरकार द्वारा एकमुश्त एक लाख रूपए की सहायता अनुदान के रूप में दी जाएगी। साथ ही ऐसी विधवाओं को प्रतिमाह 1500 रूपए विधवा पेंशन दी जाएगी। इसके लिए आयु वर्ग और आय की कोई भी सीमा नहीं होगी। इन विधवाओं के बच्चों को निर्वाह के लिए एक हजार रूपए प्रतिमाह एवं स्कूल ड्रेस तथा किताबों के लिए दो हजार रूपए सालाना प्रति बच्चा दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कोरोना की दूसरी लहर में एक मात्र सहारा छिन जाने से कई बच्चे बेसहारा हो चुके है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऐसे बच्चों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए इनके लिए पैकेज तैयार करने के निर्देश दिए थे।

Rajasthan government will be the support of the children orphaned due to Covid-19

जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन ने आज शनिवार को जीनापुर में कोरोना काल में अनाथ हुए दो बच्चों के घर पहुंचकर उन्हें ढांढस बंधाया। बच्चों के साथ संवाद करते हुए उनकी पढ़ाई, घर खर्च के संबंध में सरकार की ओर से दी जाने वाली सहायता के बारे में बताया। उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग एवं अन्य विभागों के अधिकारियों को भी ऐसे सभी बालकों को योजनाओं से लाभान्वित करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने बताया कि जिले में कोरोना संक्रमण की अवधि में 13 बच्चे ऐसे है जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को खोया है तथा अनाथ हो चुके है। इसी प्रकार 25 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने माता-पिता में से किसी एक को खोया है । कलेक्टर ने बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर शनिवार को सभी अधिकारियों, संबंधित अधिकारियों को निर्देशित कर जिले में अपने-अपने निकटतम स्थित इन बच्चों के घर जाकर संपर्क करने और उनके दुख को बांटने की कोशिश करने के निर्देश दिए थे। उन्होंने अधिकारियों को सहृदयता और प्रेम दिखाते हुए ऐसे बच्चों को राज्य सरकार की योजनाओं के अंतर्गत जो भी लाभ दिए जा सकते है उसकी प्रक्रिया पूर्ण कर लाभान्वित करने के निर्देश दिए थे। कलेक्टर स्वयं जीनापुर में दो बच्चों से मिले तो उपखंड अधिकारी भी अपने-अपने उपखंड में ऐसे बालको से मिलने पहुंचे तथा उन्हें ढांढस बंधाया। कलेक्टर के साथ एसडीएम कपिल शर्मा, सहायक निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सुनील गर्ग, बाल अधिकारिता शृद्धा गौत्तम भी मौजूद रहे। इसी प्रकार उपखंड अधिकारी सवाई माधोपुर कपिल शर्मा, उपखंड अधिकारी गंगापुर अनिल चौधरी व तहसीलदार ज्ञानचंद जैमन, मलारना डूंगर उपखंड अधिकारी ने जोलन्दा में, बौंली एसडीएम ने बोंली में और अन्य उपखंड के अधिकारियों ने भी ऐसे बालकों के पास पहुंचकर उन्हें सांत्वना प्रदान कर ढांढस बंधाया।

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