सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर नेशनल पार्क में कार्यरत नेचर गाइडों और विभागीय अधिकारियों के बीच गाइड शुल्क को लेकर इन दिनों खासा विवाद चल रहा है। विभागीय अधिकारियों की मनमानी के चलते गाइडों को पिछले तीन माह से गाइड शुल्क नहीं मिल रहा है। जिसे लेकर गाइडों में भारी आक्रोश व्याप्त है। गाइड शुल्क सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर नेचर गाइड ऐसोसिएशन द्वारा रणथंभौर रोड़ स्थित एक निजी होटल में प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें ऐसोसिएशन के पदाधिकारियों ने पत्रकारों से रुबरु होते हुए अपनी विभिन्न मांगों की जानकारी दी।
गाइड ऐसोसिएशन अध्यक्ष रफीक खान का कहना है की रणथंभौर वन प्रशासन द्वारा मनमानी की जा रही है। उनका कहना है की गाइडों को पूर्व में फुल-डे सफारी पर 1500 रुपये और हाफ-डे सफारी पर 900 रुपये गाइड शुल्क दिया जाता था। मगर विभागीय अधिकारियों द्वारा इसमें कटौती कर दी गई। और वर्तमान में फुल-डे सफारी पर 900 रुपये और हाफ-डे सफारी पर महज 600 रुपये गाइड फीस दी जा रही है। वहीं जो गाइड फीस पूर्व में गाइडों को सीधे दी जाती थी उसे विभागीय अधिकारियों द्वारा अब आॅनलाइन कर दिया गया है। और वह भी पिछले तीन महीनों से गाइडों को नहीं मिल रही है, जिसके चलते गाइडों को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है। रफीक का कहना है की एक तरफ जहां सरकार सातवां वेतन आयोग लागु कर चुकी है वहीं रणथंभौर वन प्रशासन गाइडों की फीस बढ़ाने की बजाय कम कर रहा है। जिससे गाइडों के सामने परेशानी पैदा हो गई है। उनका कहना है की गाइडों के लिए विभाग के पास कोई नीति नहीं है जबकी उनके द्वारा गाइड फीस का पांच प्रतिशत रणथंभौर फाउन्डेशन में जमा करवाया जाता है और उन्हीं गाइडों के लिए विभाग के पास कोई गाइडलाइन भी नहीं है।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने गाइडलाइन बनाने के साथ ही गाइड शुल्क बढाने व गाइड शुल्क का समय पर भुगतान करने सहित सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार लोकल एडवाइजरी कमेटी गठित करने की मांग की है। उनका कहना है की अगर रणथंभौर वन प्रशासन द्वारा समय रहते उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगामी एक मई से रणथंभौर के सभी नेचर गाइड सम्पुर्ण कार्य बहिष्कार कर गणेश धाम स्थित रणथंभौर पार्क के मुख्य द्वार पर भुख हड़ताल पर बैठ कर आन्दोलन करेगें। जिसकी जिम्मेदारी वन प्रशासन की होगी।