सवाई माधोपुर: प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देशन में राज्य सरकार किसानों को स्वावलंबी बनाने एवं सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) के कम्पोनेंट-बी को प्रभावी रूप से लागू कर रही है। इसका उद्देश्य किसानों को रियायती दर पर सौर ऊर्जा पंप संयंत्र स्थापित करवा कर सिंचाई व्यवस्था को सशक्त बनाना है। इस योजना के तहत 3, 5 एवं 7.5 हॉर्सपावर की क्षमता वाले सोलर पंप संयंत्रों पर 60 प्रतिशत तक का अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
इन पंपों की इकाई लागत क्रमशः 2 लाख 15 हजार 438 रूपये, 3 लाख 5 हजार 321 रूपये, 4 लाख 53 हजार 322 रूपये निर्धारित की गई है। इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लाभार्थी किसानों को प्रत्येक संयंत्र पर 45 हजार रूपये का अतिरिक्त अनुदान भी दिया जा रहा है। किसान को कुल लागत का केवल 40 प्रतिशत स्वयं वहन करना होता है, जिसमें से 30 प्रतिशत तक का ऋण बैंक के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
लघु एवं सीमांत किसानों को योजना में प्राथमिकता दी जा रही है, बशर्ते किसान के पास न्यूनतम 0.40 हेक्टेयर भूमि का स्वामित्व हो। वे किसान जिनके पास पूर्व में कृषि विद्युत कनेक्शन नहीं है और जिनके खेतों में सिंचाई के लिए जल संग्रहण ढांचा (डिग्गी, फार्म पौंड, जलहौज आदि) उपलब्ध है, वे शपथ पत्र के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। वहीं जिन किसानों ने पहले ही इस योजना के तहत लाभ ले लिया है, वे दोबारा पात्र नहीं होंगे।
जिले में अब तक 621 किसान हो चुके हैं लाभांवित:
उप निदेशक उद्यान डॉ. हेमराज मीना ने बताया कि जिले को वर्ष 2024-25 हेतु कुल 1,500 सोलर पंप संयंत्रों का लक्ष्य प्राप्त हुआ है, जिसमें से अब तक 621 कृषकों को योजना का लाभ मिल चुका है। यह किसानों के बीच सौर ऊर्जा की बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है।
कैसे करें आवेदन:
किसान ई-मित्र केंद्र या स्वयं एसएसओ आईडी के माध्यम से राजकिसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद कृषकों को अपनी हिस्सेदारी की 40 प्रतिशत राशि पोर्टल पर दिए गए लिंक के जरिए ई-मित्र, ईसीएस या डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से जमा करनी होती है। आवेदन के साथ जनाधार कार्ड, भूमि की जमाबंदी, सिंचाई जल स्रोत की उपलब्धता तथा विद्युत कनेक्शन न होने का शपथ पत्र अनिवार्य रूप से संलग्न करना होता है। सरकार की यह पहल पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि और कृषि क्षेत्र में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सशक्त कदम है।