प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को एचआईवी संक्रमण के प्रसार के खिलाफ जन जागरूकता पैदा करने के लिए विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। शुक्रवार को विश्व एड्स दिवस के अवसर पर विभाग की टीम द्वारा सभी को रेड रिबन लगाकर जागरूकता का संदेश दिया गया। टीम द्वारा इस मौके पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. धर्मसिंह मीना, जिला क्षय रोग नियंत्रण अधिकारी डाॅ. अमित गोयल सहित स्वास्थ्य भवन के सभी कार्मिकों को रेड रिबन लगाकर दिवस की शुरुआत की। जिला क्षय रोग नियंत्रण अधिकारी डाॅ. अमित गोयल ने बताया कि एड्स की बीमारी से बचाव हेतु संकोच छोड़कर समय पर जांच व उपचार के माध्यम से वायरस लोड को कम किया जा सकता है।
एक बार ईलाज शुरू हो जाने के बाद, डरने जैसी कोई बात नहीं होती है। ऐसे मरीजों की केयर करने की आवश्यकता होती है और नियमित दवाओं के सेवन के पश्चात मरीज सामान्य जैसा हो जाता है। आम जन तक यह संदेश पहुंचाकर अधिकाधिक जागरूकता फैलाकर ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। इस दौरान उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ी को एड्स से बचाने के लिए लापरवाही को पूरी तरह से नकार दें और संकोच छोड़कर जांच कराने हेतु जनसमुदाय में अधिक से अधिक जागरूकता फैलायें। जिले में कार्यरत जिला एड्स नियत्रंण ईकाई के माध्यम से जिले में एचआईवी से बचाव हेतु जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है।
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को जीवन में समय-समय पर जांच व नियमित दवा का सेवन आवश्यक है साथ ही खान-पान व व्यायाम करना भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। एचआईवी संक्रमण सें बचाव हेतु जीवन साथी के प्रति संयम व सुरक्षित यौन व्यवहार हो, मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक से ही रक्त लेंवे, हमेशा नई सुई व सिरिंज का उपयोग करे। एड्स जैसी महामारी को जड़ से खत्म करने के लिए जनसमुदाय की भागीदारी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। एचआईवी एड्स रोकथाम एंव नियंत्रण के लिए जिले एआरटी सेन्टर्स बनाया गया है। यहां एचआईवी के मरीजों का निःशुल्क ईलाज उपलब्ध करवाया जाता है।
विश्व एड्स दिवस पर छात्राध्यापिकाओं ने रखे विचार
आचार्य नानेश शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय कुस्तला सवाई माधोपुर के सभागार में 1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अथिति संस्था के निदेशक मुकेश जैन रहे जबकि अध्यक्षता प्राचार्य डा. निधि जैन ने की। डाॅ. सुनील कुमार जैन ने एड्स रोग के फैलने (संक्रमण) के बारे में बताते हुए विश्व में सर्वप्रथम एचआईवी वायरस जनित रोगी दक्षिणी अफ्रीका में पाए गए तथा भारत में यह वायरस सर्वप्रथम 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में चन्नई में पाया गया। विश्व में 2.5 करोड़ व्यक्ति इस वायरस जनित संक्रमण से ग्रस्त है।
जिनमें भारतीयों की संख्या सवा लाख के लगभग है। और इनमें से 1.5 करोड़ लगभग व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। प्राचार्य डा. निधि जैन ने बताया कि एड्स रोग के नियंत्रण हेतु भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित मान्यता प्राप्त अनुदानित एवं गैर अनुदानित सरकारी एवं निजी उपक्रम की लगभग 35 संस्थायें कार्यरत है। व्याख्याता कन्हैया लाल ने बताया कि एड्स रोग के प्रमुख लक्षण बताते हुए कहा कि इस रोग में व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूर्णतः नष्ट हो जाती है भोजन का नहीं पचना, दस्त का लगना, थकान रहना, मुंह में सूजन आदि है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निः शुल्क दवाइयां उपलब्ध करवाई जा रही है। दुरदर्शन आदि पर प्रकाशित विज्ञापनों द्वारा जागृति कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जा रहा है। तथा अन्य सभी व्याख्यातागणों ने भी एड्स के विषय में विस्तार से बताया और रोकथाम के उपाय भी बताये।
बी.एड द्वितीय वर्ष की छात्राध्यापिका प्रियंका मीना, अंजलि यादव, अनिता मीना, पूजा कुमारी बैरवा, आरती मीना, स्नेहा शर्मा तथा बी.एड प्रथम वर्ष से खुशी जैन, कशिश साहू, शिमला, पूजा मीना, लक्ष्मी नामा, गुंजन चेतीवाल आदि ने एड्स के बारे में विस्तार पूर्वक अपने-अपने विचार प्रकट किये। महाविद्यालय निदेशक मुकेश जैन ने बताया कि एड्स जनित रोगी के साथ घृणा और वैमनस्य को त्यागकर मैत्रीपूर्ण एवं सहयोगात्मक व्यवहार करना चाहिए। यह संक्रमण अत्यधिक गम्भीर है अतः बचाव को ही उपचार की संज्ञा दी गई है। कार्यक्रम का संचालन छात्राध्यापिका पुष्पा सैनी द्वारा किया गया।
एड्स दिवस पर छात्र-छात्राओं को किया जागरूक
महाराजा हम्मीर महाविद्यालय में शुक्रवार विश्व एड्स दिवस पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी हरकेश गुर्जर ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि एड्स से प्रभावित लोग अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपनी आवाज उठाने में सक्षम बने। बीमारी को रोकने के लिए समाज की अहम भूमिका है एड्स से तात्पर्य “एकवायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम” है यह एक वायरस के कारण होता है जिसे एचआईवी कहा जाता है। भारत में इसका पहला मामला 1986 में आया जब चेन्नई में एक संक्रमण की पुष्टि हुई। इसके लक्षण मुंह में सफेद चक्तेदार धब्बे उभरना, शरीर में अधिक पसीना निकलना, बार-बार थकान की शिकायत होना, अचानक वजन कम होना, तेज बुखार होना, बार-बार खांसी व दस्त होना, शरीर में खुजली, वजन कम होना, गांठे होना इत्यादि हैं। यह वाइरस मुख्य तौर पर मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित करता है धीरे-धीरे उन्हें नष्ट कर देता है। कार्यशाला को संबोधित करते हुए जमवाय एजुकेशन ट्रस्ट के एडवोकेट सुरेंद्र सिंह राजावत ने कहा कि आज संपूर्ण विश्व में एड्स रोगियों की संख्या लाखों में पहुंच गई है। इसलिए हमें इसके बारे में लोगों में सामाजिक जागरूकता पैदा करनी चाहिए। जिससे इस जानलेवा बीमारी से अधिक से अधिक लोगों का बचाव किया जा सके।