नई दिल्ली: भारत के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की न्याय की देवी की मूर्ति के संबंध में की अनोखी पहल की है। सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की नई मूर्ति लगाई गई है। जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई मूर्ति की खास बात यह है कि इसकी आंखों पर पट्टी नहीं बंधी हुई है। परंपरागत मूर्ति की तरह इसके एक हाथ मे तराजू तो है वहीं दूसरे हाथ में तल*वार की जगह भारत का संविधान है।
सांकेतिक रूप से अगर देखा जाए तो कुछ महीने पहले लगी न्याय की देवी की नई मूर्ति साफ संदेश दे रही है कि न्याय अंधा नहीं है। वह संविधान के आधार पर काम करता है। ऐसा बताया जा रहा है कि यह मूर्ति चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की पहल पर लगाई गई है। फिलहाल यह साफ नहीं है कि ऐसी और मूर्तियां लगाई जाएंगी या नहीं।
न्याय की देवी की नई मूर्ति में खास बात:
न्याय की देवी की नई मूर्ति की खास बात यह है कि पूरी मूर्ति सफेद रंग की है। प्रतिमा में न्याय की देवी को भारतीय वेषभूषा में दर्शाया गया है। वह साड़ी में दर्शाई गई हैं। सिर पर सुंदर का मुकुट भी है। माथे पर बिंदी, कान और गले में पारंपरिक आभूषण भी देखे जा सकते है। न्याय की देवी के एक हाथ में तराजू है। वहीं दूसरे हाथ में संविधान पकड़े दिखाया गया है।
दरअसल, न्याय का प्रतिनिधित्व करने वाली अदालतों में रखी गई मूर्ति को ‘लेडी जस्टिस’ के नाम से जाना जाता है। न्याय की देवी की अब तक जो मूर्ति इस्तेमाल होती थी, उसमें आंखों पर काले रंग की पट्टी बंधी नजर आती थी, जबकि एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तल*वार हुआ करती थी।